पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (26) सूरः: सूरतुल् जासिया
قُلِ اللّٰهُ یُحْیِیْكُمْ ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یَجْمَعُكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह ही तुम्हारी रचना करके तुम्हें जीवन प्रदान करता है, फिर वही तुम्हें मृत्यु देता है, फिर वही तुम्हारी मृत्य के पश्चात, तुम्हें क़ियामत के दिन हिसाब और बदले के लिए इकट्ठा करेगा। वह ऐसा दिन है, जिसके आने में कोई संदेह नहीं है, लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते; इसलिए, वे अच्छे कर्मों के साथ इसकी तैयारी नहीं करते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
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• اتباع الهوى يهلك صاحبه، ويحجب عنه أسباب التوفيق.
• इच्छाओं का पालन करना मनुष्य का विनाश कर देता है, तथा सफलता के कारणों को उससे रोक देता है।

• هول يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन की भयावहता।

• الظن لا يغني من الحق شيئًا، خاصةً في مجال الاعتقاد.
• अनुमान सत्य के मुक़ाबले में कोई लाभ नहीं देता, विशेष रूप से अक़ीदा (विश्वास) के क्षेत्र में।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (26) सूरः: सूरतुल् जासिया
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