पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (29) सूरः: सूरतुल् अहकाफ
وَاِذْ صَرَفْنَاۤ اِلَیْكَ نَفَرًا مِّنَ الْجِنِّ یَسْتَمِعُوْنَ الْقُرْاٰنَ ۚ— فَلَمَّا حَضَرُوْهُ قَالُوْۤا اَنْصِتُوْا ۚ— فَلَمَّا قُضِیَ وَلَّوْا اِلٰی قَوْمِهِمْ مُّنْذِرِیْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब हमने आपकी ओर जिन्नों का एक समूह भेजा कि वे आपपर उतरने वाले क़ुरआन को सुनें। जब वे क़ुरआन सुनने के लिए आए, तो उन्होंने एक-दूसरे से कहा : खामोश हो जाओ, ताकि हम इसे ठीक से सुन सकें। फिर जब रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़ुरआन पढ़ना समाप्त किया, तो वे अपनी जाति के लोगों के पास लौटे, उन्हें डराते थे कि यदि वे इस क़ुरआन पर ईमान न लाए, तो उन्हें अल्लाह की यातना का सामना करना पड़ेगा।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• من حسن الأدب الاستماع إلى المتكلم والإنصات له.
• वक्ता की बात सुनना और उसके लिए चुप रहना अच्छे शिष्टाचार में से है।

• سرعة استجابة المهتدين من الجنّ إلى الحق رسالة ترغيب إلى الإنس.
• मार्गदर्शित जिन्नों का सत्य को स्वीकारने में जल्दी करना मानव जाति के लिए प्रोत्साहन का संदेश है।

• الاستجابة إلى الحق تقتضي المسارعة في الدعوة إليه.
• सत्य को स्वीकार करने के लिए आवश्यक है कि उसकी ओर बुलाने में जल्दी की जाए।

• الصبر خلق الأنبياء عليهم السلام.
• सब्र (धैर्य) नबियों (अलैहिमुस्सलाम) का आचरण है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (29) सूरः: सूरतुल् अहकाफ
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