पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (16) सूरः: सूरतुल् अनअाम
مَنْ یُّصْرَفْ عَنْهُ یَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمَهٗ ؕ— وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
जिस व्यक्ति से अल्लाह क़ियामत के दिन उस यातना को दूर कर देता है, तो निश्चय वह अपने आप पर अल्लाह की दया के साथ सफल हो गया, तथा यातना से यह मुक्ति ही वह स्पष्ट सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं है।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• بيان حكمة الله تعالى في إرسال كل رسول من جنس من يرسل إليهم؛ ليكون أبلغ في السماع والوعي والقبول عنه.
• हर जाति की ओर उन्हीं के वर्ग से रसूल भेजने में अल्लाह की हिकमत का वर्णन; ताकि यह उसकी बात को सुनने, समझने और स्वीकार करने में अधिक परिपूर्ण एवं व्यापक हो।

• الدعوة للتأمل في أن تكرار سنن الأوّلين في العصيان قد يقابله تكرار سنن الله تعالى في العقاب.
• इस बात पर विचार करने का निमंत्रण कि अवज्ञा में पहले लोगों के चलन को दोहराने के मुक़ाबिले में सज़ा देने में अल्लाह सर्वशक्तिमान का नियम दोहराया जा सकता है।

• وجوب الخوف من المعصية ونتائجها.
• पाप और उसके परिणामों से डरने की अनिवार्यता।

• أن ما يصيب البشر من بلاء ليس له صارف إلا الله، وأن ما يصيبهم من خير فلا مانع له إلا الله، فلا رَادَّ لفضله، ولا مانع لنعمته.
• मनुष्य पर जो विपत्ति आती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई दूर करने वाला नहीं और उन्हें जो भलाई पहुँचती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई रोकने वाला नहीं। इस तरह न कोई अल्लाह के अनुग्रह को फेरने वाला है और न कोई उसकी नेमत को रोकने वाला है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (16) सूरः: सूरतुल् अनअाम
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