पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (82) सूरः: सूरतुल् अअराफ
وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ قَرْیَتِكُمْ ۚ— اِنَّهُمْ اُنَاسٌ یَّتَطَهَّرُوْنَ ۟
जब लूत - अलैहिस्सलाम - ने अपनी जाति के इस अनैतिक काम करने वालों का खंडन किया, तो उनका उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने सत्य से मुँह मोड़ते हुए कहा : लूत और उसके परिवार को अपने गाँव से निकाल दो। ये ऐसे लोग हैं जो हमारे इस काम से बड़े पाक बनते हैं। इसलिए उनका हमारे बीच रहना हमारे लिए उचित नहीं है।
अरबी व्याख्याहरू:
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• اللواط فاحشة تدلُّ على انتكاس الفطرة، وناسب أن يكون عقابهم من جنس عملهم فنكس الله عليهم قُراهم.
• समलैंगिकता एक ऐसी अश्लीलता है जो प्राकृतिक प्रवृत्ति के उलट जाने को इंगित करती है और यह उचित है कि उनकी सज़ा उनके कर्मों के समान हो, इसलिए अल्लाह ने उनकी बस्तियों को उनपर उलट दिया।

• تقوم دعوة الأنبياء - ومنهم شعيب عليه السلام - على أصلين: تعظيم أمر الله: ويشمل الإقرار بالتوحيد وتصديق النبوة. والشفقة على خلق الله: ويشمل ترك البَخْس وترك الإفساد وكل أنواع الإيذاء.
• नबियों की दावत (मिशन) - जिनमें शुऐब अलैहिस्सलाम भी शामिल हैं - दो सिद्धांतों पर आधारित होती है : अल्लाह के आदेश का सम्मान करना : जिसमें एकेश्वरवाद की स्वीकृति और नुबुव्वत की पुष्टि शामिल है। तथा अल्लाह की सृष्टि के प्रति करुणा : जिसमें घटाकर देने से बचना, तथा बिगाड़ पैदा करने और सभी प्रकार के कष्ट देने को त्यागना शामिल है।

• الإفساد في الأرض بعد الإصلاح جُرْم اجتماعي في حق الإنسانية؛ لأن صلاح الأرض بالعقيدة والأخلاق فيه خير للجميع، وإفساد الأرض عدوان على الناس.
• सुधार के बाद धरती में बिगाड़ पैदा करना मानवता के खिलाफ एक सामाजिक अपराध है; क्योंकि शुद्ध अक़ीदा तथा नैतिकता के द्वारा धरती के सुधार में सभी के लिए भलाई है। जबकि धरती में बिगाड़ पैदा करना लोगों के प्रति आक्रामकता है।

• من أعظم الذنوب وأكبرها وأشدها وأفحشها أخذُ ما لا يحقُّ أخذه شرعًا من الوظائف المالية بالقهر والجبر؛ فإنه غصب وظلم وعسف على الناس وإذاعة للمنكر وعمل به ودوام عليه وإقرار له.
• सबसे बड़े, सबसे गंभीर और सबसे जघन्य पापों में से एक बलपूर्वक और ज़बरदस्ती ऐसा वित्तीय ओहदा लेना है जिसे शरीयत की दृष्टि से लेना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह जबरन क़ब्ज़ा, अत्याचार, लोगों का दमन, तथा बुराई फैलाना, उसपर अमल करना, उसपर निरंतर क़ायम रहना और उसकी स्वीकृति देना है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (82) सूरः: सूरतुल् अअराफ
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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