ශුද්ධවූ අල් කුර්ආන් අර්ථ කථනය - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - පරිවර්තන පටුන


අර්ථ කථනය වාක්‍යය: (31) පරිච්ඡේදය: සූරා සබඃ
وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ بِهٰذَا الْقُرْاٰنِ وَلَا بِالَّذِیْ بَیْنَ یَدَیْهِ ؕ— وَلَوْ تَرٰۤی اِذِ الظّٰلِمُوْنَ مَوْقُوْفُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۖۚ— یَرْجِعُ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضِ ١لْقَوْلَ ۚ— یَقُوْلُ الَّذِیْنَ اسْتُضْعِفُوْا لِلَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا لَوْلَاۤ اَنْتُمْ لَكُنَّا مُؤْمِنِیْنَ ۟
और अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वालों ने कहा : हम इस क़ुरआन पर कदापि ईमान नहीं लाएँगे, जिसके बारे में मुहम्मद का दावा है कि वह उसपर अवतरित हुआ है। इसी तरह हम पिछली आसमानी पुस्तकों पर भी ईमान नहीं लाएँगे। और (ऐ रसूल) यदि आप देखें, जब क़ियामत के दिन अत्याचारियों को उनके पालनहार के पास हिसाब के लिए रोक लिया जाएगा, वे आपस में एक-दूसरे की बात का उत्तर दे रहे होंगे, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को ज़िम्मेदार ठहरा रहा होगा और उसे दोष दे रहा होगा। अनुयायी लोग जो कमज़ोर समझ लिए गए थे अपने उन आकाओं से जिन्होंने उन्हें दुनिया में कमज़ोर बनाकर रखा था, कहेंगे : यदि तुम लोगों ने हमें गुमराह न किया होता, तो हम अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाने वाले होते।
අල්කුර්ආන් අරාබි අර්ථ විවරණ:
මෙ⁣ම පිටුවේ තිබෙන වැකිවල ප්‍රයෝජන:
• التلطف بالمدعو حتى لا يلوذ بالعناد والمكابرة.
• आमंत्रित व्यक्ति के साथ कोमल व्यवहार करना, ताकि वह हठ और अहंकार का सहारा न ले।

• صاحب الهدى مُسْتَعْلٍ بالهدى مرتفع به، وصاحب الضلال منغمس فيه محتقر.
• मार्गदर्शन वाला व्यक्ति मार्गदर्शन के कारण उच्च और बुलंद रहता हैं। और गुमराही वाला व्यक्ति उसमें लिप्त और तुच्छ होता है।

• شمول رسالة النبي صلى الله عليه وسلم للبشرية جمعاء، والجن كذلك.
• नबी सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम का संदेश सर्व मानव जाति तथा जिन्न को भी शामिल है।

 
අර්ථ කථනය වාක්‍යය: (31) පරිච්ඡේදය: සූරා සබඃ
සූරා පටුන පිටු අංක
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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