அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - இந்தி மொழிபெயர்ப்பு * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை

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மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (237) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்பகரா
وَاِنْ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ وَقَدْ فَرَضْتُمْ لَهُنَّ فَرِیْضَةً فَنِصْفُ مَا فَرَضْتُمْ اِلَّاۤ اَنْ یَّعْفُوْنَ اَوْ یَعْفُوَا الَّذِیْ بِیَدِهٖ عُقْدَةُ النِّكَاحِ ؕ— وَاَنْ تَعْفُوْۤا اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰی ؕ— وَلَا تَنْسَوُا الْفَضْلَ بَیْنَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
और यदि तुम उन्हें इससे पहले तलाक़ दे दो कि उन्हें हाथ लगाओ, जबकि तुम उनके लिए कोई महर निर्धारित कर चुके हो, तो तुमने जो महर निर्धारित किया है उसका आधा देना अनिवार्य है, सिवाय इसके कि वे (पत्नियाँ) माफ़ कर दें, अथवा वह पुरुष माफ़ कर दे जिसके हाथ में विवाह का बंधन[155] है। और यह (बात) कि तुम माफ़ कर दो तक़वा (परहेज़गारी) के अधिक क़रीब है। और आपस में उपकार करना न भूलो। निःसंदेह अल्लाह उसे ख़ूब देखने वाला है, जो तुम कर रहे हो।
155. अर्थात पति अपनी ओर से अधिक अर्थात पूरा महर दे, तो यह प्रधानता की बात होगी। इन दो आयतों में यह नियम बताया गया है कि यदि विवाह के पश्चात् पति और पत्नी में कोई संबंध स्थापित न हुआ हो, तो इस स्थिति में यदि महर निर्धारित न किया गया हो तो पति अपनी शक्ति अनुसार जो भी दे सकता हो, उसे अवश्य दे। और यदि महर निर्धारित हो, तो इस स्थिति में आधा महर पत्नी को देना अनिवार्य है। और यदि पुरुष इससे अधिक दे सके, तो संयम तथा प्रधानता की बात होगी।
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மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (237) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்பகரா
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புனித அல் குர்ஆனுக்கான ஹிந்தி மொழிபெயர்ப்பு- அஸீஸுல் ஹக் உமரி மூலம் மொழிபெயர்க்கப்பட்டது.

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