แปล​ความหมาย​อัลกุรอาน​ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - สารบัญ​คำแปล


แปลความหมาย​ อายะฮ์: (56) สูเราะฮ์: Al-Isrā’
قُلِ ادْعُوا الَّذِیْنَ زَعَمْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ فَلَا یَمْلِكُوْنَ كَشْفَ الضُّرِّ عَنْكُمْ وَلَا تَحْوِیْلًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन मुश्रिकों से कह दीजिए : (ऐ मुश्रिको) यदि तुम्हें कोई कष्ट पहुँचे, तो तुम उन्हें पुकारो जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूज्य समझते हो। तो वे अपनी विवशता के कारण तुमसे वह कष्ट दूर नहीं कर सकते, और न ही उसे तुमसे हटाकर किसी अन्य की ओर स्थानांतरित कर सकते हैं। और जो विवश हो, वह पूज्य नहीं हो सकता।
ตัฟสีรต่างๆ​ ภาษาอาหรับ:
ประโยชน์​ที่​ได้รับ​:
• القول الحسن داع لكل خلق جميل وعمل صالح، فإنَّ من ملك لسانه ملك جميع أمره.
• अच्छी बात, हर अच्छी नैतिकता और अच्छे काम के लिए प्रेरित करती है। क्योंकि जो व्यक्ति अपनी ज़ुबान का मालिक होता है, वह अपने सभी मामलों का मालिक होता है।

• فاضل الله بين الأنبياء بعضهم على بعض عن علم منه وحكمة.
• अल्लाह ने अपने ज्ञान तथा हिकमत के आधार पर कुछ नबियों को कुछ नबियों पर श्रेष्ठता दी है।

• الله لا يريد بعباده إلا ما هو الخير، ولا يأمرهم إلا بما فيه مصلحتهم.
• अल्लाह अपने बंदों का भला ही चाहता है और उन्हें केवल उसी बात का आदेश देता है, जिसमें उनका हित हो।

• علامة محبة الله أن يجتهد العبد في كل عمل يقربه إلى الله، وينافس في قربه بإخلاص الأعمال كلها لله والنصح فيها.
• अल्लाह से प्रेम की एक निशानी यह है कि बंदा हर उस काम को करने में भरपूर प्रयास करता है, जो उसे अल्लाह से निकट करता है, तथा सभी कार्यों को अल्लाह के लिए विशुद्ध करके उसकी निकटता में प्रतिस्पर्धा करता है।

 
แปลความหมาย​ อายะฮ์: (56) สูเราะฮ์: Al-Isrā’
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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