《古兰经》译解 - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - 译解目录


含义的翻译 章: 安法里   段:

सूरा अल्-अन्फ़ाल

每章的意义:
الامتنان على المؤمنين بنصر الله لهم في بدر، وبيان سنن النصر والهزيمة.
अल्लाह का ईमान वालों पर बद्र के युद्ध में उनकी मदद करने पर उपकार जताना, तथा जीत और हार के नियमों (क़वायद) का वर्णन।

یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْاَنْفَالِ ؕ— قُلِ الْاَنْفَالُ لِلّٰهِ وَالرَّسُوْلِ ۚ— فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَصْلِحُوْا ذَاتَ بَیْنِكُمْ ۪— وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗۤ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आपके साथी आपसे ग़नीमतों (युद्ध में प्राप्त होने वाले धन) के विषय में पूछते हैं कि उन्हें कैसे विभाजित किया जाएगा? और किन लोगों में वितरण किया जाएगा? (ऐ रसूल!) उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए कह दें : ग़नीमतें (युद्ध में प्राप्त धन) अल्लाह और उसके रसूल के लिए हैं और उन्हें खर्च करने और बाँटने के विषय में निर्णय का अधिकार अल्लाह और उसके रसूल का है। तुम्हारा काम केवल मान लेना और आज्ञापालन करना है। अतः (ऐ मोमिनो!) तुम अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से दूर रहकर, डरो। तथा तुम्हारे बीच जो संबंध-विच्छेद और वियोग है, उसे आपसी प्रेम, परस्पर संपर्क (संयोग), अच्छे शिष्टाचार और क्षमा के द्वारा सुधार लो। और अगर तुम सच में ईमान वाले हो, तो अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। क्योंकि ईमान आज्ञापालन करने और गुनाहों से दूर रहने की प्रेरणा देता है। यह प्रश्न बद्र के युद्ध के बाद किया गया था।
阿拉伯语经注:
اِنَّمَا الْمُؤْمِنُوْنَ الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَاِذَا تُلِیَتْ عَلَیْهِمْ اٰیٰتُهٗ زَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟ۚۙ
वास्तव में, ईमान वाले वही लोग हैं कि जब अल्लाह का वर्णन किया जाए, तो उनके दिल काँप उठते हैं, और उनके दिल और शरीर आज्ञापालन की ओर आकर्षित हो जाते हैं, और जब उनके सामने अल्लाह की आयतें पढ़ी जाती हैं, तो उनपर चिंतन करते हैं, जिसके फलस्वरूप उनका ईमान बढ़ जाता है, तथा वे अपने हितों को प्राप्त करने और अपनी बुराइयों को दूर करने में केवल अपने पालनहार ही पर भरोसा करते हैं।
阿拉伯语经注:
الَّذِیْنَ یُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ؕ
जो लोग समय पर पूर्ण रूप से नमाज़ अदा करते हैं और हमारे दिए हुए धन से उन जगहों में खर्च करते हैं, जहाँ खर्च करना वाजिब या मुस्तहब है।
阿拉伯语经注:
اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّا ؕ— لَهُمْ دَرَجٰتٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَمَغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟ۚ
इन्हीं विशेषताओं के मालिक लोग सच्चे ईमान वाले हैं; क्योंकि उनके अंदर ईमान और इस्लाम की ज़ाहिरी विशेषताएँ मौजूद हैं। और उनका बदला उनके पालनहार के पास ऊँचे-ऊँचे घर, उनके गुनाहों की क्षमा और सम्मानित (उत्तम) जीविका है। ये वही नेमतें हैं, जो अल्लाह ने उनके लिए तैयार कर रखी हैं।
阿拉伯语经注:
كَمَاۤ اَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنْ بَیْتِكَ بِالْحَقِّ ۪— وَاِنَّ فَرِیْقًا مِّنَ الْمُؤْمِنِیْنَ لَكٰرِهُوْنَ ۟ۙ
जिस प्रकार अल्लाह पाक ने, युद्ध में प्राप्त धन को विभाजित करने का मामला, उसके विभाजन के बारे में तुम्हारी असहमति और विवाद के बाद, तुम्हारे हाथ से ले लिया और उसे अल्लाह एवं उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अधिकार में दे दिया, उसी तरह आपके पालनहार ने (ऐ रसूल!) आपपर वह़्य उतारकर, बहुदेववादियों से युद्ध करने के लिए आपको मदीना से निकलने का आदेश दिया है, हालाँकि मोमिनों के एक गिरोह को यह पसंद नहीं था।
阿拉伯语经注:
یُجَادِلُوْنَكَ فِی الْحَقِّ بَعْدَ مَا تَبَیَّنَ كَاَنَّمَا یُسَاقُوْنَ اِلَی الْمَوْتِ وَهُمْ یَنْظُرُوْنَ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) मोमिनों का यह समूह बहुदेववादियों से युद्ध करने के बारे में आपके साथ बहस कर रहा था, जबकि उनके लिए यह स्पष्ट हो चुका था कि युद्ध होनी ही है। ऐसा मालूम हो रहा था कि वे मौत की ओर हाँके जा रहे हैं और वे उसे अपनी आँखों से देख रहे हैं। ऐसा इसलिए था कि उन्हें युद्ध के लिए निकलना सख़्त नापसंद था; क्योंकि उन्होंने उसके लिए कोई तैयारी नहीं की थी।
阿拉伯语经注:
وَاِذْ یَعِدُكُمُ اللّٰهُ اِحْدَی الطَّآىِٕفَتَیْنِ اَنَّهَا لَكُمْ وَتَوَدُّوْنَ اَنَّ غَیْرَ ذَاتِ الشَّوْكَةِ تَكُوْنُ لَكُمْ وَیُرِیْدُ اللّٰهُ اَنْ یُّحِقَّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ وَیَقْطَعَ دَابِرَ الْكٰفِرِیْنَ ۟ۙ
और ऐ (झगड़ने वाले मोमिनो!) उस समय को याद करो, जब अल्लाह तुम्हें वचन दे रहा था कि तुम्हें बहुदेववादियों के दो गिरोहों में से एक पर विजय ज़रूर प्राप्त होगी। यह गिरोह या तो काफ़िला की शक्ल में होगा, जिसपर क़ब्ज़ा करके तुम उसके साथ मौजूद धन को ग़नीमत के धन के तौर पर प्राप्त कर लोगे, या मक्का से आए हुए जत्थे की शक्ल में होगा, जिससे लड़ाई करके उसपर विजय प्राप्त करोगे। और तुम चाहते थे कि तुम्हारा सामना क़ाफ़िले ही से हो, क्योंकि उसे बिना किसी लड़ाई के अपने नियंत्रण में करना आसान था। और अल्लाह चाहता था कि तुम्हें लड़ने का आदेश देकर सत्य को सत्य कर दिखाए; ताकि तुम बहुदेववादियों के सरदारों को क़त्ल करो, और उनमें से बहुतों को बंदी बना लो, और इस तरह इस्लाम की शक्ति का प्रदर्शन हो।
阿拉伯语经注:
لِیُحِقَّ الْحَقَّ وَیُبْطِلَ الْبَاطِلَ وَلَوْ كَرِهَ الْمُجْرِمُوْنَ ۟ۚ
ताकि अल्लाह इस्लाम और मुसलमानों को विजय प्रदान करके सत्य को सत्य कर दिखाए, इस प्रकार कि उसकी सत्यता के सबूत प्रदर्शित कर दे। तथा असत्य के असत्य होने के प्रमाण सामने लाकर उसकी असत्यता को साबित कर दे। यद्यपि काफ़िरों को यह बुरा लगे, लेकिन अल्लाह इसे प्रकट ही करने वाला था।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• ينبغي للعبد أن يتعاهد إيمانه ويُنمِّيه؛ لأن الإيمان يزيد وينقص، فيزيد بفعل الطاعة وينقص بضدها.
• बंदे को चाहिए कि अपने ईमान की देखभाल करता रहे और उसे बढ़ाता रहे, क्योंकि ईमान घटता और बढ़ता है। वह आज्ञाकारिता से बढ़ता है और उसके विपरीत (अवज्ञा) से घटता है।

• الجدال محله وفائدته عند اشتباه الحق والتباس الأمر، فأما إذا وضح وبان فليس إلا الانقياد والإذعان.
• बहस की गुंजाइश और उसकी उपयोगिता उस समय है, जब सत्य संदिग्ध हो और मामला उलझा हुआ हो, लेकिन जब सत्य स्पष्ट हो जाए, तो स्वीकारने और आज्ञापालन करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता।

• أَمْر قسمة الغنائم متروك للرّسول صلى الله عليه وسلم، والأحكام مرجعها إلى الله تعالى ورسوله لا إلى غيرهما.
• ग़नीमतों (युद्ध में प्राप्त धन) को विभाजित करने का मामला रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर छोड़ दिया गया है, तथा सभी अहकाम केवल अल्लाह और उसके रसूल की ओर लौटाए जाते हैं, किसी अन्य की ओर नहीं।

• إرادة تحقيق النّصر الإلهي للمؤمنين؛ لإحقاق الحق وإبطال الباطل.
• सत्य को सत्य कर दिखाने और असत्य का असत्य होना सिद्ध करने के लिए अल्लाह की ओर से ईमान वालों को विजय प्रदान करने की इच्छा।

اِذْ تَسْتَغِیْثُوْنَ رَبَّكُمْ فَاسْتَجَابَ لَكُمْ اَنِّیْ مُمِدُّكُمْ بِاَلْفٍ مِّنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ مُرْدِفِیْنَ ۟
बद्र के दिन को याद करो, जब तुमने अल्लाह से अपने दुश्मन के विरुद्ध सहायता माँगी, तो अल्लाह ने तुम्हारी दुआ क़बूल कर ली कि वह एक हज़ार फ़रिश्तों के द्वारा (ऐ मोमिनो!) तुम्हारी मदद करने वाला है, जो एक-दूसरे के पीछे आएँगे।
阿拉伯语经注:
وَمَا جَعَلَهُ اللّٰهُ اِلَّا بُشْرٰی وَلِتَطْمَىِٕنَّ بِهٖ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَمَا النَّصْرُ اِلَّا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟۠
अल्लाह ने फ़रिश्तों के द्वारा सहायता को तुम्हारे लिए (ऐ मोमिनो!) केवल इस बात की शुभ सूचना बनाया है कि वह तुम्हारे दुश्मनों के विरुद्ध तुम्हारी मदद करने वाला है, और ताकि मदद के यक़ीन के साथ तुम्हारे दिलों को संतोष प्राप्त हो जाए। और (दरअसल) विजय संख्याओं की अधिकता और उपकरणों की प्रचुरता के आधार पर प्राप्त नहीं होती, बल्कि विजय अल्लाह की ओर से मिलती है। निःसंदेह अल्लाह अपने राज्य में प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। अपने विधान और निर्णय (नियति) में हिकमत वाला है।
阿拉伯语经注:
اِذْ یُغَشِّیْكُمُ النُّعَاسَ اَمَنَةً مِّنْهُ وَیُنَزِّلُ عَلَیْكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ مَآءً لِّیُطَهِّرَكُمْ بِهٖ وَیُذْهِبَ عَنْكُمْ رِجْزَ الشَّیْطٰنِ وَلِیَرْبِطَ عَلٰی قُلُوْبِكُمْ وَیُثَبِّتَ بِهِ الْاَقْدَامَ ۟ؕ
(ऐ मोमिनो!) उस समय को याद करो, जब अल्लाह तुम्हें अपने दुश्मन से होने वाले भय को दूर करने के लिए तुमपर ऊँघ डाल रहा था, तथा तुमपर आकाश से जल बरसा रहा था; ताकि तुम्हें मलिनता से पवित्र कर दे, और ताकि तुमसे शैतान के बुरे ख़यालों को दूर कर दे, और ताकि उसके द्वारा तुम्हारे दिलों को सुदृढ़ कर दे, ताकि मुठभेड़ के समय तुम्हारे शरीर स्थिर रहें, और ताकि उसकी वजह से रेतीली ज़मीन को ठोस करके तुम्हारे क़दमों को जमा दे ताकि उसमें तुम्हारे पाँव न धँसें।
阿拉伯语经注:
اِذْ یُوْحِیْ رَبُّكَ اِلَی الْمَلٰٓىِٕكَةِ اَنِّیْ مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— سَاُلْقِیْ فِیْ قُلُوْبِ الَّذِیْنَ كَفَرُوا الرُّعْبَ فَاضْرِبُوْا فَوْقَ الْاَعْنَاقِ وَاضْرِبُوْا مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍ ۟ؕ
(ऐ नबी!) जब आपका पालनहार उन फ़रिश्तों की ओर वह़्य कर रहा था, जिन्हें बद्र के दिन मोमिनों की सहायता के लिए भेजा था कि (ऐ फ़रिश्तो!) मैं मदद और समर्थन के द्वारा तुम्हारे साथ हूँ। अतः अपने दुश्मनों से लड़ने में मोमिनों के संकल्प को मज़बूत करो। मैं शीघ्र ही काफ़िरों के दिलों में अत्यधिक भय डाल दूँगा। इसलिए तुम (ऐ मोमिनो!) काफ़िरों की गरदनें उड़ाते जाओ, ताकि उनका काम तमाम हो जाए, और उनके जोड़ों और शरीर के अंगों पर वार किए जाओ, ताकि तुमसे युद्ध करने से असमर्थ हो जाएँ।
阿拉伯语经注:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَآقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۚ— وَمَنْ یُّشَاقِقِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
काफ़िरों के क़त्ल किए जाने और उनके अंगों के भंग किए जाने का कारण यह है कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया। चुनाँचे उन्हें जो आदेश दिया गया था, उसका उन्होंने पालन नहीं किया, और उन्हें जिस चीज़ से मना किया गया था, उससे नहीं रुके। तथा जो कोई भी अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करे, तो अल्लाह उसे दुनिया में क़त्ल और क़ैद, तथा आख़िरत में जहन्नम की आग के द्वारा, कठोर यातना देने वाला है।
阿拉伯语经注:
ذٰلِكُمْ فَذُوْقُوْهُ وَاَنَّ لِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابَ النَّارِ ۟
(ऐ अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करने वालो!) यह उक्त सज़ा तुम्हारे लिए है। तो इसे दुनिया के जीवन में अग्रिम ही चखो, और आख़िरत में तुम्हारे लिए आग की यातना है, यदि तुम अपने कुफ़्र और हठ की अवस्था में मर गए।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوْهُمُ الْاَدْبَارَ ۟ۚ
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब युद्ध के मैदान में मुश्रिकों से आमने-सामना हो जाओ, तो उनसे हार न मानो और उनसे पीठ फेरकर न भागो, बल्कि उनके सामने डट जाओ और धैर्य के साथ उनका मुक़ाबला करो। क्योंकि अल्लाह अपनी मदद और समर्थन के द्वारा तुम्हारे साथ है।
阿拉伯语经注:
وَمَنْ یُّوَلِّهِمْ یَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗۤ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَیِّزًا اِلٰی فِئَةٍ فَقَدْ بَآءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَاْوٰىهُ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
और जो व्यक्ति उनसे भागते हुए अपनी पीठ फेरे, जबकि वह उनसे लड़ाई के लिए मुड़ने वाला नहीं है कि वह चाल के तौर पर उनसे भागने का दिखावा करे, जबकि वह पलटकर उनपर हमला करना चाहता हो, या वह मदद लेने के लिए मुसलमानों के किसी उपस्थित समूह में शामिल होने वाला नहीं है, तो निश्चय वह अल्लाह के प्रकोप के साथ लौटा और उसका हक़दार हो गया, और आख़िरत में उसका ठिकाना जहन्नम है और उसका वह ठिकाना बहुत बुरा है और उसके पलटने की वह जगह बहुत बुरी है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• في الآيات اعتناء الله العظيم بحال عباده المؤمنين، وتيسير الأسباب التي بها ثبت إيمانهم، وثبتت أقدامهم، وزال عنهم المكروه والوساوس الشيطانية.
• इन आयतों से पता चलता है कि अल्लाह अपने मोमिन बंदों का अत्यधिक ध्यान रखता है और ऐसे कारणों की सुविधा प्रदान कर देता है जिनके द्वारा उनका ईमान स्थिर रहे, उनके क़दम जम जाएँ और उनसे अप्रिय बातें और शैतानी ख़यालात दूर हो जाएँ।

• أن النصر بيد الله، ومن عنده سبحانه، وهو ليس بكثرة عَدَدٍ ولا عُدَدٍ مع أهمية هذا الإعداد.
• जीत अल्लाह के हाथ में और उसी महिमावान की ओर से है। यह संख्याबल या उपकरणों की अधिकता की बुनियाद पर नहीं मिलती, जबकि इस तैयारी का महत्व सर्वमान्य है।

• الفرار من الزحف من غير عذر من أكبر الكبائر.
• बिना किसी वैध कारण के युद्ध के मैदान से भागना सबसे बड़े पापों में से एक है।

• في الآيات تعليم المؤمنين قواعد القتال الحربية، ومنها: طاعة الله والرسول، والثبات أمام الأعداء، والصبر عند اللقاء، وذِكْر الله كثيرًا.
• इन आयतों में ईमान वालों को युद्ध के नियम सिखाए गए हैं, जिनमें अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करना, दुश्मनों के सामने डटे रहना, मुठभेड़ के समय धैर्य रखना और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करना, शामिल हैं।

فَلَمْ تَقْتُلُوْهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ قَتَلَهُمْ ۪— وَمَا رَمَیْتَ اِذْ رَمَیْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ رَمٰی ۚ— وَلِیُبْلِیَ الْمُؤْمِنِیْنَ مِنْهُ بَلَآءً حَسَنًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
(ऐ मोमिनो!) तुमने बद्र के दिन मुश्रिकों को अपनी ताक़त और शक्ति से नहीं मारा, बल्कि अल्लाह ने इसमें तुम्हारी मदद की। और (ऐ नबी!) जब आपने मुश्रिकों की ओर मिट्टी फेंकी, तो आपने मिट्टी नहीं फेंकी, बल्कि अल्लाह ही ने फेंकी, जब आपकी फेंकी हुई मिट्टी को उनके पास पहुँचा दिया। और ताकि वह मोमिनों को अपने इस उपकार के साथ आज़माए कि उसने उन्हें संख्याबल और उपकरणों की कमी के बावजूद उनके दुश्मन पर विजय प्रदान किया ताकि वे उसका शुक्रिया अदा करें। निश्चय अल्लाह तुम्हारी दुआओं और बातों को सुनने वाला, तथा तुम्हारे कर्मों और हितों को जानने वाला है।
阿拉伯语经注:
ذٰلِكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ مُوْهِنُ كَیْدِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
यह उल्लिखित बातें, जैसे मुश्रिकों को क़त्ल करना, उनकी ओर मिट्टी फेंकना यहाँ तक कि वे पराजित हो गए और पीठ फेरकर भाग गए, तथा मुसलमानों को उनके दुश्मन पर विजय प्रदान करना; यह सब अल्लाह की ओर से है। और अल्लाह काफ़िरों की उस चाल को कमज़ोर कर देने वाला है, जो वे इस्लाम के खिलाफ़ चल रहे हैं।
阿拉伯语经注:
اِنْ تَسْتَفْتِحُوْا فَقَدْ جَآءَكُمُ الْفَتْحُ ۚ— وَاِنْ تَنْتَهُوْا فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَاِنْ تَعُوْدُوْا نَعُدْ ۚ— وَلَنْ تُغْنِیَ عَنْكُمْ فِئَتُكُمْ شَیْـًٔا وَّلَوْ كَثُرَتْ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
(ऐ बहुदेववादियो!) अगर तुम यह चाहते हो कि अल्लाह अपराधियों व अत्याचारियों पर अपनी यातना उतार दे, तो अल्लाह ने तुमपर वह यातना उतार दी है, जो तुमने माँगी थी। क्योंकि वह तुम्हें ऐसी सज़ा दे चुका है, जो तुम्हारे लिए शिक्षाप्रद और अल्लाह का भय रखने वालों के लिए नसीहत (इबरत) का कारण है। और यदि तुम इसकी माँग से बाज़ आ जाओ, तो यह तुम्हारे लिए उत्तम है। क्योंकि हो सकता है कि अल्लाह तुम्हें मोहलत दे दे और तुमसे बदला लेने में जल्दी न करे। और अगर तुम दोबारा उसकी माँग करने और मुसलमानों से युद्ध करने की ओर लौट आए, तो हम फिर से तुम्हें यातना में डालेंगे और मोमिनों को विजय प्रदान करेंगे। और तुम्हारा जत्था और तुम्हारे सहायक, चाहे वे बहुत अधिक संख्या एवं उपकरण वाले हों और ईमान वालों की संख्या कम हो, तुम्हारे कुछ काम न आएँगे। और इसलिए कि निश्चय अल्लाह की सहायता और समर्थन मोमिनों के साथ है। और जिसके साथ अल्लाह हो, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَاَنْتُمْ تَسْمَعُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन और उसके रसूल की आज्ञा का पालन, उसके आदेशों पर अमल करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर, करो। तथा उसके आदेश की अवहेलना करके और उसके मना किए हुए कार्य को करके, उससे मुँह न फेरो, जबकि तुम अल्लाह की आयतों को सुनते हो, जो तुम्हारे सामने पढ़ी जाती हैं।
阿拉伯语经注:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ قَالُوْا سَمِعْنَا وَهُمْ لَا یَسْمَعُوْنَ ۟ۚ
और (ऐ मोमिनो!) तुम उन मुनाफ़िक़ों और मुश्रिकों की तरह न हो जाओ, जिनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो वे कहते हैं : हमने अपने कानों से वह क़ुरआन सुना, जो हमारे सामने पढ़ा जाता है, हालाँकि वे चिंतन करने और उपदेश ग्रहण करने के उद्देश्य से नहीं सुनते, कि जो कुछ उन्होंने सुना है उससे लाभ उठाएँ।
阿拉伯语经注:
اِنَّ شَرَّ الدَّوَآبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الصُّمُّ الْبُكْمُ الَّذِیْنَ لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
अल्लाह के निकट धरती पर चलने वाली सारी मख़लूक़ में सबसे बुरे वे बहरे हैं, जो सत्य को स्वीकार करने के लिए नहीं सुनते, वे गूँगे हैं, जो बोल नहीं पाते। क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो अल्लाह के आदेशों और निषेधों को नहीं समझते।
阿拉伯语经注:
وَلَوْ عَلِمَ اللّٰهُ فِیْهِمْ خَیْرًا لَّاَسْمَعَهُمْ ؕ— وَلَوْ اَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
और अगर अल्लाह जानता कि इन झुठलाने वाले बहुदेववादियों के अंदर कोई भलाई है, तो उन्हें अवश्य इस तरह सुना देता कि वे उससे लाभ उठाते और उसके तर्कों और प्रमाणों को समझते, लेकिन उसे पता है कि उनके अंदर कोई भलाई नहीं है। और अगर (मान लिया जाए कि) अल्लाह उन्हें सुना देता, तो भी वे हठ के कारण ईमान से फिर जाते, इस हाल में कि वे मुँह फेरने वाले होते।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اسْتَجِیْبُوْا لِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ اِذَا دَعَاكُمْ لِمَا یُحْیِیْكُمْ ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَحُوْلُ بَیْنَ الْمَرْءِ وَقَلْبِهٖ وَاَنَّهٗۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो ! अल्लाह और उसके रसूल की पुकार का, उनके आदेशों का पालन करके और उनके निषेधों से बचकर जवाब दो, जब रसूल तुम्हें उस सत्य के लिए बुलाएँ, जिसमें तुम्हारा जीवन है। और इस बात से सुनिश्चित हो जाओ कि अल्लाह हर चीज़ की शक्ति रखता है। चुनाँचे वह इस बात की शक्ति रखता है कि यदि तुम सत्य को अस्वीकार करने के बाद उसे मानना चाहो तो वह तुम्हारे और सत्य को मानने के बीच रुकावट बन जाए। इसलिए सत्य को स्वीकार करने में जल्दी करो। और इस बात का यक़ीन रखो कि तुम क़ियामत के दिन अकेले अल्लाह ही के पास एकत्र किए जाओगे। फिर वह तुम्हें तुम्हारे दुनिया में किए हुए कर्मों का बदला देगा।
阿拉伯语经注:
وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِیْبَنَّ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَآصَّةً ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
और (ऐ ईमान वालो!) उस यातना से बचो, जो तुममें से केवल उसी पर नहीं आएगी, जो पापी है, बल्कि उसके साथ-साथ दूसरे लोग भी उसकी चपेट में आएँगे। यह उस समय होगा, जब अत्याचार प्रकट होगा और उसे दूर नहीं किया जाएगा। और यक़ीन मानो कि अल्लाह अपनी अवज्ञा करने वाले को सख़्त सज़ा देने वाला है। अतः उसकी अवज्ञा से बचो।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• من كان الله معه فهو المنصور وإن كان ضعيفًا قليلًا عدده، وهذه المعية تكون بحسب ما قام به المؤمنون من أعمال الإيمان.
• जिसके साथ अल्लाह होता है, वही विजयी रहता है, भले ही वह कमज़ोर हो और संख्या में कम हो। और अल्लाह का यह साथ उसी अनुपात में प्राप्त होता है, जिस अनुपात में मोमिन ईमान के कार्य करते हैं।

• المؤمن مطالب بالأخذ بالأسباب المادية، والقيام بالتكليف الذي كلفه الله، ثم يتوكل على الله، ويفوض الأمر إليه، أما تحقيق النتائج والأهداف فهو متروك لله عز وجل.
• मोमिन को चाहिए कि भौतिक कारणों को अपनाए और उस ज़िम्मेदारी का निर्वहन करे जिसका अल्लाह ने उसे बाध्य किया है, फिर वह अल्लाह पर भरोसा करे और अपने मामले को अल्लाह के हवाले कर दे। जहाँ तक परिणाम और लक्ष्यों को प्राप्त करने का संबंध है, तो वह अल्लाह सर्वशक्तिमान पर निर्भर है।

• في الآيات دليل على أن الله تعالى لا يمنع الإيمان والخير إلا عمَّن لا خير فيه، وهو الذي لا يزكو لديه هذا الإيمان ولا يثمر عنده.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि अल्लाह ईमान और भलाई से केवल उसी को वंचित करता है, जिसके अंदर कोई भलाई न हो। यह वह व्यक्ति है, जिसका ईमान शुद्ध नहीं होता और न ही उसे इससे कोई फ़ायदा होता है।

• على العبد أن يكثر من الدعاء: يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك.
• बंदे को अधिक से अधिक यह दुआ पढ़ना चाहिए : يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك (ऐ दिलों को पलटने वाले! मेरे दिल को अपने दीन पर जमाए रख, ऐ दिलों को फेरने वाले! मेरे दिल को अपने आज्ञापालन की ओर फेर दे।)

• أَمَرَ الله المؤمنين ألا يُقِرُّوا المنكر بين أظهرهم فيعُمَّهم العذاب.
• अल्लाह ने मोमिनों को आदेश दिया है कि वे अपने बीच बुराई को स्वीकार न करें। अन्यथा वे सभी यातना की चपेट में आ जाएँगे।

وَاذْكُرُوْۤا اِذْ اَنْتُمْ قَلِیْلٌ مُّسْتَضْعَفُوْنَ فِی الْاَرْضِ تَخَافُوْنَ اَنْ یَّتَخَطَّفَكُمُ النَّاسُ فَاٰوٰىكُمْ وَاَیَّدَكُمْ بِنَصْرِهٖ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
तथा (ऐ ईमान वालो!) उस समय को याद करो, जब तुम मक्का में बहुत कम संख्या में थे, मक्का वाले तुम्हें कमज़ोर समझे हुए थे और तुम्हें दबाए हुए थे। तुम्हें डर था कि तुम्हारे दुश्मन तुम्हें उचक ले जाएँगे। तो अल्लाह ने तुम्हें मदीना के रूप में एक शरण स्थल दिया और युद्ध के स्थानों में तुम्हारे दुश्मनों पर तुम्हें विजय प्रदान करके तुम्हें शक्ति प्रदान की, जैसे कि बद्र के दिन हुआ, और तुम्हें पवित्र चीज़ों से जीविका प्रदान की, जिनमें युद्ध के मैदान में तुम्हारे शत्रुओं से प्राप्त किया हुआ ग़नीमत का धन भी शामिल है, ताकि तुम अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करो, जिसके कारण वह तुम्हें और नेमतें प्रदान करेगा, तथा उनकी नाशुक्री न करो कि अल्लाह तुमसे वे नेमतें छीन ले और तुम्हें यातना से ग्रस्त कर दे।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَخُوْنُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ وَتَخُوْنُوْۤا اَمٰنٰتِكُمْ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह और उसके रसूल के साथ, उनके आदेशों का पालन न करके और उनके निषेधों से न बचकर, विश्वासघात न करो, तथा तुम्हारे पास जो अमानत रखी जाए उसमें ख़यानत न करो, जबकि तुम जान रहे हो कि तुम्हारा यह काम ख़यानत है, अन्यथा तुम ख़यानत करने वालों में से हो जाओगे।
阿拉伯语经注:
وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَاۤ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟۠
और (ऐ ईमान वालो!) जान लो कि तुम्हारे धन और तुम्हारी संतान तुम्हारे लिए अल्लाह की ओर से आज़माइश और परीक्षण हैं। क्योंकि ये चीज़ें तुम्हें आख़िरत के लिए कार्य करने से रोक सकती हैं और तुम्हें ख़यानत पर आमादा कर सकती हैं। तथा जान लो कि अल्लाह के पास बहुत बड़ा सवाब है। अतः अपने धन और अपने बच्चों को ध्यान में रखकर और उनकी खातिर ख़यानत करके, यह सवाब अपने हाथ से न जाने दो।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَتَّقُوا اللّٰهَ یَجْعَلْ لَّكُمْ فُرْقَانًا وَّیُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیْمِ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जान लो कि अगर तुम अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरोगे, तो वह तुम्हें सत्य और असत्य के बीच अंतर करने की शक्ति प्रदान करेगा, जिससे तुम्हारे लिए दोनों गड्ड-मड्ड नहीं होंगे। तथा जो कुछ तुमने बुरे कार्य किए होंगे, वह उन्हें तुमसे मिटा देगा और तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा। और अल्लाह बहुत बड़े अनुग्रह वाला है। और उसका एक बड़ा अनुग्रह उसकी जन्नत है, जिसे उसने अपने डरने वाले बंदों के लिए तैयार की है।
阿拉伯语经注:
وَاِذْ یَمْكُرُ بِكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِیُثْبِتُوْكَ اَوْ یَقْتُلُوْكَ اَوْ یُخْرِجُوْكَ ؕ— وَیَمْكُرُوْنَ وَیَمْكُرُ اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ خَیْرُ الْمٰكِرِیْنَ ۟
और (ऐ रसूल) उस समय को याद करें, जब सब मुश्रिकों ने मिलकर आपको क़ैद करने, मार डालने या अपने नगर से किसी और नगर की ओर निकाल देने का षड्यंत्र किया। वे आपके विरुद्ध षड्यंत्र कर रहे थे और अल्लाह उनके षड्यंत्र को उन्हीं पर लौटा रहा था तथा उससे आपोक बचाने का उपाय कर रहा था और अल्लाह ही सबसे अत्तम उपाय करने वाला है।
阿拉伯语经注:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا قَالُوْا قَدْ سَمِعْنَا لَوْ نَشَآءُ لَقُلْنَا مِثْلَ هٰذَاۤ ۙ— اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
और जब उनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो वे सत्य से वैर और अहंकार के कारण कहते हैं : हमने पहले भी ऐसा कुछ सुना है। अगर हम इस क़ुरआन जैसा कहना चाहें, तो निश्चय हम कह सकते हैं। यह क़ुरआन जो हमने सुना है, पहले लोगों की झूठी कहानियों के सिवा कुछ नहीं है। इसलिए हम इसपर हरगिज़ विश्वास नहीं करेंगे।
阿拉伯语经注:
وَاِذْ قَالُوا اللّٰهُمَّ اِنْ كَانَ هٰذَا هُوَ الْحَقَّ مِنْ عِنْدِكَ فَاَمْطِرْ عَلَیْنَا حِجَارَةً مِّنَ السَّمَآءِ اَوِ ائْتِنَا بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब बहुदेववादियों ने कहा : ऐ अल्लाह! यदि मुहम्मद का लाया हुआ धर्म सत्य है, तो हमपर आकाश से पत्थर गिरा दे जो हमें नष्ट कर दे, अथवा हमपर कोई गंभीर यातना ले आ। उन्होंने यह बात इनकार में अतिशयोक्ति के तौर पर कही थी।
阿拉伯语经注:
وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُعَذِّبَهُمْ وَاَنْتَ فِیْهِمْ ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ مُعَذِّبَهُمْ وَهُمْ یَسْتَغْفِرُوْنَ ۟
और अल्लाह आपकी उम्मत को (चाहे वह उन लोगों में से हो जिन्होंने आपके निमंत्रण को स्वीकार किया या उन लोगों में से हो जो आपके निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं), ऐसी यातना से ग्रस्त नहीं करेगा, जो उन्हें जड़ से मिटा दे, जबकि (ऐ मुहम्मद!) आप उनके बीच जीवित मौजूद हैं। क्योंकि उनके बीच आपकी उपस्थिति उनके लिए यातना से सुरक्षा है। तथा अल्लाह उन्हें यातना से ग्रस्त करने वाला नहीं है, जबकि वे अपने पापों के लिए अल्लाह से क्षमा मांगते हों।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• الشكر نعمة عظيمة يزيد بها فضل الله تعالى، وينقص عند إغفالها.
• शुक्रिया अदा करना एक बहुत बड़ी नेमत है, जिससे अल्लाह का अनुग्रह बढ़ता है और उसकी उपेक्षा करने पर यह घट जाता है।

• للأمانة شأن عظيم في استقامة أحوال المسلمين، ما ثبتوا عليها وتخلقوا بها، وهي دليل نزاهة النفس واعتدال أعمالها.
• मुसलमानों की स्थितियों के ठीक (सुदृढ़) रहने में अमानतदारी का बहुत महत्व है, जब तक वे अमानतदारी पर क़ायम और उससे सुसज्जित हैं। अमानतदारी मन की पवित्रता और उसके कार्यों की शुद्धता का प्रमाण है।

• ما عند الله من الأجر على كَفِّ النفس عن المنهيات، خير من المنافع الحاصلة عن اقتحام المناهي لأجل الأموال والأولاد.
• अपने आपको निषिद्ध चीज़ों से दूर रखने का अल्लाह के पास जो प्रतिफल है, वह धन और संतान की खातिर निषिद्ध कार्यों को करने से प्राप्त होने वाले लाभों से बेहतर है।

• في الآيات بيان سفه عقول المعرضين؛ لأنهم لم يقولوا: اللَّهُمَّ إن كان هذا هو الحق من عندك فاهدنا إليه.
• इन आयतों में मुँह फेरने वालों की मूर्खता का उल्लेख है, क्योंकि उन्होंने यह नहीं कहा : ऐ अल्लाह! यदि तेरी ओर से यही सत्य है, तो उसकी ओर हमारा मार्गदर्शन कर।

• في الآيات فضيلة الاستغفار وبركته، وأنه من موانع وقوع العذاب.
• इन आयतों में क्षमा याचना की फ़ज़ीलत व बरकत तथा इस बात का उल्लेख है कि यह यातना को रोकने वाली चीज़ों में से है।

وَمَا لَهُمْ اَلَّا یُعَذِّبَهُمُ اللّٰهُ وَهُمْ یَصُدُّوْنَ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَمَا كَانُوْۤا اَوْلِیَآءَهٗ ؕ— اِنْ اَوْلِیَآؤُهٗۤ اِلَّا الْمُتَّقُوْنَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
भला उनको यातना क्यों न दी जाए, जबकि उन्होंने लोगों को 'मस्जिदे ह़राम' (काबा) का तवाफ़ करने या उसमें नमाज़ अदा करने से रोककर ऐसा कार्य किया है जो उन्हें यातना का पात्र बनाता है? तथा ये मुश्रिक अल्लाह के दोस्त नहीं हैं, अल्लाह के दोस्त तो केवल उसके डरने वाले बंदे हैं, जो उसकी आज्ञाओं का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरते हैं। परंतु अधिकतर मुश्रिक इस बात को नहीं जानते, यही कारण है कि वे कहते हैं कि वे अल्लाह के दोस्त हैं, जबकि वे अल्लाह के दोस्त नहीं हैं।
阿拉伯语经注:
وَمَا كَانَ صَلَاتُهُمْ عِنْدَ الْبَیْتِ اِلَّا مُكَآءً وَّتَصْدِیَةً ؕ— فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟
मस्जिदे ह़राम के पास मुश्रिकों की नमाज़ सीटी बजाने और ताली बजाने के अलावा और कुछ नहीं थी। अतः (ऐ मुश्रिको!) अल्लाह का इनकार करने और उसके रसूल को झुठलाने के कारण बद्र के दिन क़त्ल और क़ैद की यातना चखो।
阿拉伯语经注:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ لِیَصُدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— فَسَیُنْفِقُوْنَهَا ثُمَّ تَكُوْنُ عَلَیْهِمْ حَسْرَةً ثُمَّ یُغْلَبُوْنَ ؕ۬— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِلٰی جَهَنَّمَ یُحْشَرُوْنَ ۟ۙ
निश्चय जिन लोगों ने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, वे अपना धन लोगों को अल्लाह के धर्म से रोकने के लिए ख़र्च करते हैं। चुनाँचे वे इसी तरह खर्च करते रहेंगे और उनकी मनोकामना कभी पूरी नहीं होगी। फिर उनके धन खर्च करने का परिणाम पछतावा होगा; क्योंकि धन भी चला गया और उसके खर्च करने का उद्देश्य भी प्राप्त नहीं हुआ। फिर वे ईमान वालों के उनपर विजय से पराजित हो जाएँगे। और जिन लोगों ने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, वे क़ियामत के दिन जहन्नम की ओर हाँककर ले जाए जाएँगे। फिर वे उसमें प्रवेश करेंगे और हमेशा के लिए उसी में रहेंगे।
阿拉伯语经注:
لِیَمِیْزَ اللّٰهُ الْخَبِیْثَ مِنَ الطَّیِّبِ وَیَجْعَلَ الْخَبِیْثَ بَعْضَهٗ عَلٰی بَعْضٍ فَیَرْكُمَهٗ جَمِیْعًا فَیَجْعَلَهٗ فِیْ جَهَنَّمَ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟۠
इन काफ़िरों को, जो अल्लाह के मार्ग से रोकने के लिए अपना धन खर्च करते हैं, जहन्नम की आग की ओर ले जाया जाएगा, ताकि अल्लाह काफ़िरों के अपवित्र (दुष्ट) समूह को मोमिनों के पवित्र (अच्छे) समूह से अलग कर दे, तथा अपवित्र व्यक्तियों, कार्यों और धनों को एक-दूसरे पर रखकर ढेर बना दे। फिर उसे जहन्नम में डाल दे। यही लोग घाटा उठाने वाले हैं; क्योंकि उन्होंने क़ियामत के दिन अपना और अपने घर वालों का नुक़सान किया।
阿拉伯语经注:
قُلْ لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ یَّنْتَهُوْا یُغْفَرْ لَهُمْ مَّا قَدْ سَلَفَ ۚ— وَاِنْ یَّعُوْدُوْا فَقَدْ مَضَتْ سُنَّتُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप अपनी जाति के उन लोगों से कह दें, जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया : यदि वे अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र करने से, तथा ईमान लाने वालों को अल्लाह के मार्ग से रोकने से बाज़ आ जाएँ; तो अल्लाह उनके पिछले गुनाहों को माफ़ कर देगा। क्योंकि इस्लाम अपने से पहले जो कुछ हुआ, उसे मिटा देता है। और अगर वे अपने कुफ़्र की ओर लौट गए, तो पहले लोगों के बारे में अल्लाह की रीति गुज़र चुकी है। वह यह है कि जब उन्होंने झुठलाया और अपने कुफ़्र पर अड़े रहे, तो अल्लाह ने उन्हें अविलंब सज़ा दे दी।
阿拉伯语经注:
وَقَاتِلُوْهُمْ حَتّٰی لَا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ وَّیَكُوْنَ الدِّیْنُ كُلُّهٗ لِلّٰهِ ۚ— فَاِنِ انْتَهَوْا فَاِنَّ اللّٰهَ بِمَا یَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
और (ऐ मोमिनो!) अपने काफिर दुश्मनों से युद्ध करो, यहाँ तक कि न शिर्क रहे और न ही मुसलमानों को अल्लाह के धर्म से रोकना, तथा धर्म और आज्ञाकारिता एकमात्र अल्लाह के लिए रह जाए, जिसमें उसका कोई साझी न हो। फिर यदि काफ़िर अपने शिर्क और अल्लाह के मार्ग से रोकने से बाज़ आ जाएँ, तो उन्हें छोड़ दो। क्योंकि अल्लाह उनके कर्मों को जानता है, उससे कोई बात छिपी नहीं है।
阿拉伯语经注:
وَاِنْ تَوَلَّوْا فَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَوْلٰىكُمْ ؕ— نِعْمَ الْمَوْلٰی وَنِعْمَ النَّصِیْرُ ۟
और अगर वे, कुफ़्र और अल्लाह के मार्ग से रोकने से बाज़ आने का जो उन्हें आदेश दिया गया है, उससे मुँह फेरें, तो (ऐ मोमिनो!) निश्चित हो जाओ कि अल्लाह उनके विरुद्ध तुम्हारा मददगार है। वह उसके लिए बहुत अच्छा संरक्षक है, जिसका वह संरक्षक हो, तथा वह उसके लिए बहुत अच्छा सहायक है, जिसका वह सहायक हो। अतः वह जिसका संरक्षक हो गया, वह सफल हुआ और वह जिसका मददगार हो गया, वह विजयी हुआ।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• الصد عن المسجد الحرام جريمة عظيمة يستحق فاعلوه عذاب الدنيا قبل عذاب الآخرة.
• मस्जिदे हराम से रोकना बहुत बड़ा अपराध है, जिसके करने वाले आख़िरत की यातना से पहले दुनिया की यातना के पात्र हैं।

• عمارة المسجد الحرام وولايته شرف لا يستحقه إلّا أولياء الله المتقون.
• मस्जिदे हराम को आबाद करना और उसका संरक्षण करना एक ऐसा सम्मान है जिसके पात्र केवल अल्लाह के डरने वाले बंदे ही हैं।

• في الآيات إنذار للكافرين بأنهم لا يحصلون من إنفاقهم أموالهم في الباطل على طائل، وسوف تصيبهم الحسرة وشدة الندامة.
• इन आयतों में काफ़िरों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें अपने धन को असत्य में खर्च करने से कोई लाभ नहीं मिलेगा, और शीघ्र ही वे अफसोस और गंभीर पछतावे से पीड़ित होंगे।

• دعوة الله تعالى للكافرين للتوبة والإيمان دعوة مفتوحة لهم على الرغم من استمرار عنادهم.
• काफ़िरों को उनके निरंतर हठ के बावजूद तौबा करने और ईमान लाने के लिए सर्वशक्तिमान अल्लाह का आह्वान उनके लिए एक खुला निमंत्रण है।

• من كان الله مولاه وناصره فلا خوف عليه، ومن كان الله عدوًّا له فلا عِزَّ له.
• जिसका संरक्षक और मददगार अल्लाह हो, उसे कोई भय नहीं है और जिसका दुश्मन अल्लाह हो, उसके लिए कोई इज़्ज़त नहीं है।

وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَا غَنِمْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَاَنَّ لِلّٰهِ خُمُسَهٗ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ۙ— اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلٰی عَبْدِنَا یَوْمَ الْفُرْقَانِ یَوْمَ الْتَقَی الْجَمْعٰنِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
और (ऐ ईमान वालो!) जान लो कि तुमने अल्लाह के मार्ग में काफ़िरों से जिहाद करते हुए जो ग़नीमत का धन हासिल किया है, उसे पाँच भागों में विभाजित किया जाएगा। उनमें से चार भाग मुजाहिदों में बाँट दिए जाएँगे, जबकि शेष पाँचवें भाग को फिर पाँच हिस्सों में विभाजित किया जाएगा : उसका एक हिस्सा अल्लाह और उसके रसूल का होगा, जिसे मुसलमानों के सार्वजनिक हितों में खर्च किया जाएगा, तथा एक हिस्सा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के निकट-संबंधियों अर्थात् बनू हाशिम एवं बनू मुत्तलिब के लिए, एक हिस्सा अनाथों के लिए, एक हिस्सा गरीबों एवं मिसकीनों के लिए, तथा एक हिस्सा ऐसे यात्रियों के लिए है, जो रास्ते में फँसे हुए हों। यदि तुम अल्लाह पर तथा उस चीज़ पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने बंदे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर बद्र के दिन उतारी, जिसके द्वारा अल्लाह ने सत्य और झूठ के बीच अंतर कर दिया जब उसने तुम्हें तुम्हारे दुश्मनों पर जीत दिलाई। और अल्लाह, जिसने तुम्हारी मदद की, हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है।
阿拉伯语经注:
اِذْ اَنْتُمْ بِالْعُدْوَةِ الدُّنْیَا وَهُمْ بِالْعُدْوَةِ الْقُصْوٰی وَالرَّكْبُ اَسْفَلَ مِنْكُمْ ؕ— وَلَوْ تَوَاعَدْتُّمْ لَاخْتَلَفْتُمْ فِی الْمِیْعٰدِ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ۙ۬— لِّیَهْلِكَ مَنْ هَلَكَ عَنْ بَیِّنَةٍ وَّیَحْیٰی مَنْ حَیَّ عَنْ بَیِّنَةٍ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَسَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
तथा उस समय को याद करो, जब तुम घाटी के उस किनारे पर थे जो मदीना से सबसे निकट है, तथा बहुदेववादी उसी घाटी के दूर वाले किनारे पर थे, जो मक्का से करीब है, और क़ाफ़िला तुमसे नीचे क्षेत्र में लाल सागर के तट के निकट था। यदि तुमने और बहुदेववादियों ने बद्र में मिलने का वादा किया होता, तो तुम निर्धारित समय (पर पहुँचने) के बारे में एक-दूसरे से असहमत होते। परंतु अल्लाह ने तुम्हें बिना पूर्वनिर्धारित अवधि के बद्र में एकत्र कर दिया। ताकि अल्लाह वह काम पूरा कर दे, जो किया जाने वाला था, अर्थात् ईमान वालों की जीत और काफ़िरों की विफलता, अपने धर्म (इस्लाम) का सम्मान और बहुदेववाद का अपमान; ताकि उनमें से जो मरे, वह ईमान वालों की संख्याबल और उपकरणों की कमी के बावजूद काफ़िरों पर जीत के द्वारा उसपर तर्क स्थापित होने के बाद मरे, तथा जो जीवित रहे, वह उस सबूत और तर्क को देखकर जीवित रहे, जो अल्लाह ने उसके लिए प्रकट किया है। ताकि किसी के लिए अल्लाह के विरुद्ध कोई तर्क बाक़ी न रहे, जिसे वह प्रस्तुत कर सके। निःसंदेह अल्लाह सभी की बातों को सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
阿拉伯语经注:
اِذْ یُرِیْكَهُمُ اللّٰهُ فِیْ مَنَامِكَ قَلِیْلًا ؕ— وَلَوْ اَرٰىكَهُمْ كَثِیْرًا لَّفَشِلْتُمْ وَلَتَنَازَعْتُمْ فِی الْاَمْرِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ سَلَّمَ ؕ— اِنَّهٗ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
तथा (ऐ रसूल!) आप, अपने और मोमिनों के ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करें, जब अल्लाह ने आपको सपने में मुश्रिकों की संख्या कम करके दिखाई, और आपने ईमान वालों को इसके बारे में बताया, तो वे इस शुभ समाचार से आनंदित हुए और अपने दुश्मन से मिलने और उससे लड़ने का उनका संकल्प और भी मज़बूत हो गया। यदि अल्लाह आपको मुश्रिकों की संख्या अधिक दिखाता, तो अवश्य ही आपके साथियों के संकल्प कमज़ोर पड़ जाते और वे लड़ने से भय खाने लगते। परंतु अल्लाह ने इससे सुरक्षित रखा और उन्हें असफलता से बचाया। इसलिए उन्हें अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नज़र में कम कर दिया। निःसंदेह वह सीनों की बातों से भली-भाँति अवगत, तथा दिलों के भेदों को जानने वाला है।
阿拉伯语经注:
وَاِذْ یُرِیْكُمُوْهُمْ اِذِ الْتَقَیْتُمْ فِیْۤ اَعْیُنِكُمْ قَلِیْلًا وَّیُقَلِّلُكُمْ فِیْۤ اَعْیُنِهِمْ لِیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟۠
तथा (ऐ ईमान वालो!) उस समय को याद करो, जब अल्लाह बहुदेववादियों को लड़ाई के समय तुम्हारी आँखों में थोड़ा करके दिखा रहा था। इस तरह उसने तुम्हें उनसे लड़ने का साहस दिया। तथा उनकी आँखों में तुम्हें थोड़ा करके दिखा रहा था, इसलिए वे भी तुमसे लड़ाई के लिए आगे बढ़े और वापस जाने के बारे में नहीं सोचा। ताकि अल्लाह उस काम को पूरा कर दे, जो होकर रहना था, यानी बहुदेववादियों से (उन्हें) मारकर और बंदी बनाकर बदला लेना और ईमान वालों को दुश्मनों पर जीत एवं सफलता द्वारा पुरस्कृत करना। तथा सभी मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं, फिर वह कुकर्म करने वाले को उसके कुकर्म का, और सुकर्म करने वाले को उसके सुकर्म का बदला देता है।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمْ فِئَةً فَاثْبُتُوْا وَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَثِیْرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟ۚ
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने वालो एवं उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब तुम काफ़िरों के किसी समूह का सामना करो, तो उनसे मिलते समय दृढ़ रहो और कायरता न दिखाओ। तथा अल्लाह को बहुत याद करो और उससे प्रार्थना करो। क्योंकि वही तुम्हें उनपर विजय दिलाने में समर्थ है; आशा है कि वह तुम्हें वह चीज़ प्रदान करे जो तुम माँगते हो और तुम्हें उस चीज़ से बचाए, जिसका तुम्हें डर है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• الغنائم لله يجعلها حيث شاء بالكيفية التي يريد، فليس لأحد شأن في ذلك.
• ग़नीमत का धन अल्लाह का है। वह जहाँ चाहे, जिस तरह चाहे उसका आवंटन करे। किसी का उसमें कोई दख़ल नहीं है।

• من أسباب النصر تدبير الله للمؤمنين بما يعينهم على النصر، والصبر والثبات والإكثار من ذكر الله.
• जीत के कुछ कारण इस प्रकार हैं : अल्लाह का ईमान वालों के लिए उस चीज़ का प्रबंधन जो जीत हासिल करने में उनकी सहायक हो, सब्र करना, युद्ध के मैदान में मज़बूती से जमे रहना और अधिक से अधिक अल्लाह को याद करना।

• قضاء الله نافذ وحكمته بالغة وهي الخير لعباد الله وللأمة كلها.
• अल्लाह का फ़ैसला लागू होकर रहता है और उसकी हिकमत व्यापक है। और यह अल्लाह के बंदों तथा पूरी उम्मत के लिए बेहतर होती है।

وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَنَازَعُوْا فَتَفْشَلُوْا وَتَذْهَبَ رِیْحُكُمْ وَاصْبِرُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟ۚ
तुम अपने कथनों एवं कार्यों और अपनी सभी स्थितियों में अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो और आपस में मतभेद न करो। क्योंकि मतभेद तुम्हारी कमज़ोरी और कायरता, तथा तुम्हारी शक्ति के मिट जाने का कारण है। तथा अपने शत्रु से मुठभेड़ के समय धैर्य रखो। निःसंदेह अल्लाह विजय, समर्थन और सहायता के साथ धैर्य रखने वालों के संग है। और अल्लाह जिसके साथ हो, वही अनिवार्य रूप से विजयी और ग़ालिब रहता है।
阿拉伯语经注:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ بَطَرًا وَّرِئَآءَ النَّاسِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا یَعْمَلُوْنَ مُحِیْطٌ ۟
और उन मुश्रिकों के समान न हो जाओ, जो मक्का से घमंड करते हुए तथा लोगों को दिखावा करते हुए निकले। तथा वे लोगों को अल्लाह के धर्म (इस्लाम) से दूर करते और उन्हें उसमें प्रवेश करने से रोकते हैं। हालाँकि जो कुछ वे करते हैं, अल्लाह उसे (अपने ज्ञान के) घेरे में लिए हुए है। उनके कामों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह उन्हें उनका बदला देगा।
阿拉伯语经注:
وَاِذْ زَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ وَقَالَ لَا غَالِبَ لَكُمُ الْیَوْمَ مِنَ النَّاسِ وَاِنِّیْ جَارٌ لَّكُمْ ۚ— فَلَمَّا تَرَآءَتِ الْفِئَتٰنِ نَكَصَ عَلٰی عَقِبَیْهِ وَقَالَ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّنْكُمْ اِنِّیْۤ اَرٰی مَا لَا تَرَوْنَ اِنِّیْۤ اَخَافُ اللّٰهَ ؕ— وَاللّٰهُ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟۠
(ऐ ईमान वालो!) अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो कि शैतान ने बहुदेववादियों के लिए उनके कर्म सुंदर बना दिए। इस तरह उसने उन्हें मुसलमानों का सामना करने और उनसे लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उनसे कहा : आज तुमपर कोई विजय पाने वाला नहीं, निश्चय मैं तुम्हारी सहायता करूँगा और तुम्हारे शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा करूँगा। फिर जब दोनों गिरोह आमने-सामने हुए : एक तरफ़ ईमान वालों का गिरोह, जिनके साथ उनकी मदद के लिए फ़रिश्ते थे, और दूसरी तरफ़ बहुदेववादियों का गिरोह, जिनके साथ शैतान था, जो शीघ्र ही उनका साथ छोड़ने वाला था; ऐसी परिस्थिति में शैतान पीठ फेरकर भाग खड़ा हुआ और बहुदेववादियों से कहा : मैं तुमसे बरी हूँ। मैं उन फ़रिश्तों को देख रहा हूँ, जो मोमिनों की सहायता के लिए आए हैं। मुझे डर है कि कहीं अल्लाह मुझे नष्ट न कर दे, और अल्लाह बहुत कठोर सज़ा देने वाला है। इसलिए कोई भी उसकी सज़ा सहन करने में सक्षम नहीं है।
阿拉伯语经注:
اِذْ یَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ غَرَّ هٰۤؤُلَآءِ دِیْنُهُمْ ؕ— وَمَنْ یَّتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
तथा (वह समय याद करो) जब मुनाफ़िक़ तथा कमज़ोर ईमान वाले लोग कह रहे थे : इन मुसलमानों को इनके धर्म ने धोखा दिया है, जो इनसे इनकी कम संख्या और कमज़ोर उपकरण के बावजूद, इनसे अधिक संख्या और मज़बूत उपकरण वाले इनके दुश्मनों पर जीत का वादा कर रहा है। लेकिन इन लोगों को इस बात का एहसास नहीं था कि जो व्यक्ति एक अल्लाह पर भरोसा करता और उसके मदद के वादे पर विश्वास रखता है, तो निश्चय अल्लाह उसकी सहायता करने वाला है और वह उसे कभी असहाय नहीं छोड़ेगा, चाहे वह कितना भी कमज़ोर क्यों न हो। अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, कोई भी उसे परास्त नहीं कर सकता, वह अपनी नियति और विधान में पूर्ण हिकमत वाला है।
阿拉伯语经注:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ یَتَوَفَّی الَّذِیْنَ كَفَرُوا الْمَلٰٓىِٕكَةُ یَضْرِبُوْنَ وُجُوْهَهُمْ وَاَدْبَارَهُمْ ۚ— وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟
और यदि (ऐ रसूल!) आप अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करने वालों को उस समय देखते, जब फ़रिश्ते उनके प्राण निकाल रहे थे; जब वे आगे बढ़ते थे, तो उनके चेहरों पर मारते और जब वे पीठ फेरकर भागते, तो उनकी पीठ पर मारते थे और उनसे कहते थे : (ऐ काफ़िरो!) जलाने वाली यातना का मज़ा चखो। यदि आप इसे देखते, तो आप एक भयानक दृश्य देखते।
阿拉伯语经注:
ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ لَیْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِیْدِ ۟ۙ
(ऐ काफ़िरो!) तुम्हारे प्राण निकालते समय यह दर्दनाक पीड़ा, तथा तुम्हारी क़ब्रों में और आख़िरत में जलाने वाली यातना, यह (सब) उसके कारण है, जो दुनिया में तुम्हारे हाथों ने कमाया है। इसलिए कि अल्लाह लोगों पर अत्याचार नहीं करता, बल्कि उनके बीच न्याय के साथ फ़ैसला करता है। क्योंकि वह न्याय के साथ निर्णय करने वाला है।
阿拉伯语经注:
كَدَاْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَ ۙ— وَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ قَوِیٌّ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
इन काफ़िरों पर उतरने वाली यह यातना उन्हीं के लिए विशिष्ट नहीं है, बल्कि यह अल्लाह का नियम है जो वह हर समय और जगह में काफ़िरों पर लागू करता रहा है। चुनाँचे फ़िरऔन के लोग तथा उनसे पहले के समुदाय इससे पीड़ित हो चुके हैं, जब उन्होंने अल्लाह की निशानियों का इनकार किया। इसलिए अल्लाह ने उन्हें, उनके गुनाहों के कारण एक प्रभुत्वशाली और शक्तिमान की तरह पकड़ लिया और उनपर अपना दंड उतार दिया। निःसंदेह अल्लाह बहुत शक्तिशाली, अजेय और अपराजेय है, अपनी अवज्ञा करने वालों को कठोर दंड देने वाला है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• البَطَر مرض خطير ينْخَرُ في تكوين شخصية الإنسان، ويُعَجِّل في تدمير كيان صاحبه.
• अहंकार एक खतरनाक रोग है, जो मानव व्यक्तित्व के निर्माण को नष्ट कर देता है, तथा उसके अस्तित्व के विनाश को गति देता है।

• الصبر يعين على تحمل الشدائد والمصاعب، وللصبر منفعة إلهية، وهي إعانة الله لمن صبر امتثالًا لأمره، وهذا مشاهد في تصرفات الحياة.
• धैर्य, विपत्तियों और कठिनाइयों को सहन करने में मदद करता है। तथा धैर्य का एक ईश्वरीय लाभ है। जो व्यक्ति अल्लाह की आज्ञा के अनुपालन में धैर्य रखता है, उसे अल्लाह की मदद प्राप्त होती है। जीवन के कार्यों में इस तथ्य को देखा जा सकता है।

• التنازع والاختلاف من أسباب انقسام الأمة، وإنذار بالهزيمة والتراجع، وذهاب القوة والنصر والدولة.
• आपस में विवाद और मतभेद उम्मत के विभाजन, हार और पराजय की चेतावनी, तथा शक्ति, जीत और राज्य के चले जाने के कारणों में से हैं।

• الإيمان يوجب لصاحبه الإقدام على الأمور الهائلة التي لا يُقْدِم عليها الجيوش العظام.
• ईमान, एक मोमिन के हाथों ऐसे-ऐसे चमत्कार दिखाता है, जो बड़ी-बड़ी सेनाओं से भी संभव नहीं है।

ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ لَمْ یَكُ مُغَیِّرًا نِّعْمَةً اَنْعَمَهَا عَلٰی قَوْمٍ حَتّٰی یُغَیِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
यह दर्दनाक यातना इस कारण है कि अल्लाह जब किसी जाति को कोई अनुग्रह प्रदान करता है, तो उसे उनसे उस समय तक नहीं छीनता, जब तक कि वे ईमान, धार्मिकता और नेमतों के प्रति आभार की अपनी अच्छी स्थिति को बदलकर अल्लाह के इनकार, उसकी अवज्ञा और उसकी नेमतों की नाशुक्री की बुरी स्थिति को न अपना लें। और यह कि अल्लाह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है। उनकी कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है।
阿拉伯语经注:
كَدَاْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَ ۙ— وَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَغْرَقْنَاۤ اٰلَ فِرْعَوْنَ ۚ— وَكُلٌّ كَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟
इन काफ़िरों की स्थिति उन अन्य लोगों की तरह है, जिन्होंने फ़िरऔनियों तथा उनसे पहले के झुठलाने वाले समुदायों की तरह अल्लाह का इनकार किया। उन्होंने अपने रब की निशानियों को झुठलाया, इसलिए अल्लाह ने उनके द्वारा किए गए पापों के कारण उन्हें विनष्ट कर दिया, तथा अल्लाह ने फ़िरऔनियों को समुद्र में डुबोकर विनष्ट किया। दरअसल, फ़िरऔन के लोग और उनसे पहले के झुठलाने वाले सभी समुदाय, अपने कुफ़्र एवं शिर्क के कारण ज़ालिम थे। इसलिए वे अल्लाह की सज़ा के हक़दार बन गए थे, तो अल्लाह ने उनपर सज़ा उतार दी।
阿拉伯语经注:
اِنَّ شَرَّ الدَّوَآبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۖۚ
धरती पर चलने वाले सबसे बुरे लोग वे हैं, जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार किया। भले ही उनके पास हर तरह की निशानी आ जाए, वे ईमान नहीं लाएँगे; क्योंकि वे कुफ़्र पर अड़े हुए हैं। उनके अंदर मार्गदर्शन के साधन जैसे बुद्धि, कान और आँख निष्कर्म हो चुके हैं।
阿拉伯语经注:
اَلَّذِیْنَ عٰهَدْتَّ مِنْهُمْ ثُمَّ یَنْقُضُوْنَ عَهْدَهُمْ فِیْ كُلِّ مَرَّةٍ وَّهُمْ لَا یَتَّقُوْنَ ۟
जिन लोगों के साथ आपने संधियाँ और समझौते किए हैं (जैसे बनू क़ुरैज़ा), फिर वे हर बार अपना समझौता भंग कर देते हैं और वे अल्लाह से नहीं डरते। इसलिए वे अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी नहीं करते और उनसे ली गई वाचाओं का पालन नहीं करते।
阿拉伯语经注:
فَاِمَّا تَثْقَفَنَّهُمْ فِی الْحَرْبِ فَشَرِّدْ بِهِمْ مَّنْ خَلْفَهُمْ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
तो यदि कभी (ऐ रसूल!) आप इन वचन तोड़ने वाले लोगों को युद्धभूमि में पा लें, तो उन्हें और अधिक कठोर दंड दें यहाँ तक कि दूसरे लोग भी इसके बारे में सुन लें, ताकि वे इनकी स्थिति से सीख ग्रहण करें। फिर वे आपसे लड़ने और आपके विरुद्ध आपके शत्रुओं की मदद करने से डर महसूस करें।
阿拉伯语经注:
وَاِمَّا تَخَافَنَّ مِنْ قَوْمٍ خِیَانَةً فَانْۢبِذْ اِلَیْهِمْ عَلٰی سَوَآءٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْخَآىِٕنِیْنَ ۟۠
और यदि (ऐ रसूल!) आपको किसी ऐसी जाति की ओर से जिनसे आपने संधि कर रखी है, धोखा देने और वचन तोड़ने का भय हो, जिसके आपको संकेत दिखाई पड़ रहे हों, तो आप उन्हें उनके वचन को तोड़ने के बारे में सूचित कर दें, ताकि वे इसकी जानकारी में आपके बराबर हो जाएँ। उन्हें सूचित करने से पहले उनपर अचानक हमला न करें। क्योंकि सूचना देने से पहले अचानक उनपर हमला करना विश्वासघात है। और अल्लाह विश्वासघात करने वालों से प्रेम नहीं करता, बल्कि उनसे घृणा करता है। इसलिए आप विश्वासघात से सावधान रहें।
阿拉伯语经注:
وَلَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا سَبَقُوْا ؕ— اِنَّهُمْ لَا یُعْجِزُوْنَ ۟
जो लोग काफ़िर हैं, वे हरगिज़ यह न समझें कि वे अल्लाह के दंड से छूट गए हैं और उससे बच निकले हैं। वे अल्लाह से नहीं छूट सकते और उसके दंड से नहीं बच सकते। बल्कि वह हर हाल में उन्हें पाकर रहेगा।
阿拉伯语经注:
وَاَعِدُّوْا لَهُمْ مَّا اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ قُوَّةٍ وَّمِنْ رِّبَاطِ الْخَیْلِ تُرْهِبُوْنَ بِهٖ عَدُوَّ اللّٰهِ وَعَدُوَّكُمْ وَاٰخَرِیْنَ مِنْ دُوْنِهِمْ ۚ— لَا تَعْلَمُوْنَهُمْ ۚ— اَللّٰهُ یَعْلَمُهُمْ ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ شَیْءٍ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ یُوَفَّ اِلَیْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ۟
तथा (ऐ ईमान वालो!) तुमसे जितना हो सके संख्याबल और (सैन्य) उपकरण तैयार रखो, और उनके लिए उन घोड़ों को तैयार रखो, जिन्हें अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए पाले हुए हो, जिससे तुम उन काफ़िरों में से अल्लाह के शत्रुओं तथा अपने शत्रुओं को डरा सको, जो हमेशा तुम्हें नुकसान पहुँचाने की फिराक में रहते हैं, तथा जिससे कुछ अन्य लोगों को भी डरा सको, जिन्हें तुम नहीं जानते तथा तुम यह भी नहीं जानते कि उन्होंने अपने दिलों में तुम्हारे खिलाफ कितनी (बड़ी) दुश्मनी छिपा रखी है। बल्कि उन्हें और उनके दिलों में छिपी बातों को केवल अल्लाह ही जानता है। तथा अल्लाह की राह में तुम जो भी खर्च करोगे, कम हो या ज़्यादा, अल्लाह उसका इस दुनिया में तुम्हें बदला देगा और आख़िरत में तुम्हें उसका पूरा-पूरा सवाब देगा। इसलिए अल्लाह की राह में ख़र्च करने में जल्दी करो।
阿拉伯语经注:
وَاِنْ جَنَحُوْا لِلسَّلْمِ فَاجْنَحْ لَهَا وَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
और यदि वे संधि की ओर झुकें और आपसे लड़ाई करना त्याग दें, तो (ऐ रसूल!) आप भी उसकी ओर झुक जाएँ और उनसे समझौता कर लें, तथा अल्लाह पर भरोसा करें और उसपर विश्वास रखें। क्योंकि वह हरगिज़ आपको असहाय नहीं छोड़ेगा। निःसंदेह वह उनकी बातों को सुनने वाला, उनके इरादों और कार्यों को जानने वाला है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• من فوائد العقوبات والحدود المرتبة على المعاصي أنها سبب لازدجار من لم يعمل المعاصي، كما أنها زجر لمن عملها ألا يعاودها.
• गुनाहों के नतीजे में मिलने वाली सज़ाओं और दंडों का एक फ़ायदा यह है कि एक तरफ़ ये गुनाह न करने वालों को उससे दूर रखते हैं, तो दूसरी तरफ़ एक बार गुनाह कर गुज़रने वाले को दोबारा उसके पास जाने से रोकते हैं।

• من أخلاق المؤمنين الوفاء بالعهد مع المعاهدين، إلا إن وُجِدت منهم الخيانة المحققة.
• ईमान वालों की नैतिकता में प्रतिज्ञा करने वालों के साथ प्रतिज्ञा को पूरा करना भी दाखिल है, सिवाय इसके कि उनकी ओर से निश्चित विश्वासघात हुआ हो।

• يجب على المسلمين الاستعداد بكل ما يحقق الإرهاب للعدو من أصناف الأسلحة والرأي والسياسة.
• मुसलमानों को हर तरह के हथियारों, विचार-विमर्श और राजनीति सहित हर उस चीज़ के साथ तैयारी रखनी चाहिए, जो दुश्मन को भयभीत करने का कारण हो।

• جواز السلم مع العدو إذا كان فيه مصلحة للمسلمين.
• दुश्मन के साथ सुलह करना जायज़ है अगर उसमें मुसलमानों का कोई हित है।

وَاِنْ یُّرِیْدُوْۤا اَنْ یَّخْدَعُوْكَ فَاِنَّ حَسْبَكَ اللّٰهُ ؕ— هُوَ الَّذِیْۤ اَیَّدَكَ بِنَصْرِهٖ وَبِالْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
और यदि संधि करने और युद्ध करना छोड़ने से उनका उद्देश्य (ऐ रसूल!) आपको धोखा देना है, ताकि वे आपसे लड़ने के लिए तैयारी कर सकें, तो अल्लाह उनकी साज़िश और धोखे से आपको बचाने के लिए काफ़ी है। वही है जिसने अपनी सहायता से आपको मज़बूती प्रदान की, तथा ईमान लाने वाले मुहाजिरों और अनसारियों की मदद से आपको सशक्त किया।
阿拉伯语经注:
وَاَلَّفَ بَیْنَ قُلُوْبِهِمْ ؕ— لَوْ اَنْفَقْتَ مَا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا مَّاۤ اَلَّفْتَ بَیْنَ قُلُوْبِهِمْ ۙ— وَلٰكِنَّ اللّٰهَ اَلَّفَ بَیْنَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
तथा उसने उन ईमान वालों के दिलों को, जिनके द्वारा उसने आपकी मदद की, आपस में जोड़ दिया, जबकि वे बिखरे हुए थे। यदि आप उनके बिखरे हुए दिलों को जोड़ने के लिए, धरती के अंदर जितना धन है, सब खर्च कर देते, तो भी आप उन्हें जोड़ न पाते। लेकिन अकेले अल्लाह ने उन्हें जोड़ दिया। वह अपने राज्य में शक्तिशाली है, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता। वह अपनी नियति, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ حَسْبُكَ اللّٰهُ وَمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
ऐ नबी! आपको तथा आपके ईमान वाले साथियों को, आपके दुश्मनों की बुराई से बचाने के लिए अल्लाह काफ़ी है। इसलिए अल्लाह पर विश्वास और भरोसा रखें।
阿拉伯语经注:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِیْنَ عَلَی الْقِتَالِ ؕ— اِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صٰبِرُوْنَ یَغْلِبُوْا مِائَتَیْنِ ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ یَّغْلِبُوْۤا اَلْفًا مِّنَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
ऐ नबी! ईमान वालों को लड़ने के लिए प्रोत्साहित करें, तथा उन्हें इसके लिए इस तरह से प्रोत्साहन दें कि उनके संकल्प को मज़बूत करें और उनका हौसला बढ़ाएँ। (ऐ ईमान वालो!) अगर तुममें से बीस आदमी काफ़िरों से लड़ने में धैर्य रखने वाले हों, तो दो सौ काफ़िरों पर प्रभावी रहेंगे। और अगर तुममें से एक सौ धैर्य रखने वाले हों, तो एक हज़ार काफ़िरों को हरा देंगे। इसका कारण यह है कि काफ़िर लोग अल्लाह का यह नियम नहीं समझते कि वह अपने दोस्तों को विजय प्रदान करता है और अपने शत्रुओं को परास्त कर देता है। तथा वे नहीं जानते कि लड़ने का क्या उद्देश्य है। यही कारण है कि वे दुनिया में वर्चस्व प्राप्त करने के लिए लड़ते हैं।
阿拉伯语经注:
اَلْـٰٔنَ خَفَّفَ اللّٰهُ عَنْكُمْ وَعَلِمَ اَنَّ فِیْكُمْ ضَعْفًا ؕ— فَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ صَابِرَةٌ یَّغْلِبُوْا مِائَتَیْنِ ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ اَلْفٌ یَّغْلِبُوْۤا اَلْفَیْنِ بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟
अब अल्लाह ने (ऐ ईमान वालो!) तुम्हारी कमज़ोरी को देखते हुए अपनी कृपा से तुम्हारे बोझ को हल्का कर दिया है। अब उसने अनिवार्य किया है कि तुममें से एक व्यक्ति को दस के बजाय दो काफिरों के सामने खड़ा होना है। अतः यदि तुममें से सौ लोग काफ़िरों से लड़ने में धैर्य रखने वाले हों, तो दो सौ पर विजय प्राप्त करेंगे। और अगर तुममें से एक हज़ार धैर्य रखने वाले व्यक्ति हों, तो अल्लाह की अनुमति से दो हज़ार काफ़िरों पर विजयी रहेंगे। तथा अल्लाह समर्थन और विजय के साथ धैर्यवान मोमिनों के संग है।
阿拉伯语经注:
مَا كَانَ لِنَبِیٍّ اَنْ یَّكُوْنَ لَهٗۤ اَسْرٰی حَتّٰی یُثْخِنَ فِی الْاَرْضِ ؕ— تُرِیْدُوْنَ عَرَضَ الدُّنْیَا ۖۗ— وَاللّٰهُ یُرِیْدُ الْاٰخِرَةَ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
किसी नबी के लिए उचित नहीं है कि उसके पास उन काफ़िरों में से बंदी हों, जो उससे लड़ रहे हैं, यहाँ तक कि उनका अच्छी तरह खून बहा ले; ताकि उनके दिलों में भय दाखिल हो जाए, फिर वे दोबारा युद्ध करने की हिम्मत न करें। (ऐ ईमान वालो!) तुम बद्र में दुश्मनों को बंदी बनाकर फिरौती लेना चाहते हो और अल्लाह आख़िरत चाहता है, जिसे धर्म की जीत और उसके प्रभुत्व से प्राप्त किया जा सकता है। अल्लाह अपने अस्तित्व, अपने गुणों और शक्ति में प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह अपनी नियति और शरीयत में हिकमत वाला है।
阿拉伯语经注:
لَوْلَا كِتٰبٌ مِّنَ اللّٰهِ سَبَقَ لَمَسَّكُمْ فِیْمَاۤ اَخَذْتُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
यदि अल्लाह की ओर से यह लिखी हुई बात न होती, जिसमें उसने पूर्वनियत और फ़ैसला कर दिया था कि उसने तुम्हारे लिए ग़नीमत का धन हलाल कर दिया तथा बंदियों को फिरौती के बदले छोड़ना अनुमेय कर दिया, तो अल्लाह की ओर से उसकी अनुमति के बारे में वह़्य उतरने से पहले, तुम्हारे ग़नीमत का धन और क़ैदियों से फिरौती लेने के कारण, तुम्हें अल्लाह की ओर से सख़्त यातना पहुँचती।
阿拉伯语经注:
فَكُلُوْا مِمَّا غَنِمْتُمْ حَلٰلًا طَیِّبًا ۖؗ— وَّاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
अतः (ऐ ईमान वालो!) तुमने काफ़िरों से जो ग़नीमत का धन प्राप्त किया है, उसे खाओ। वह तुम्हारे लिए हलाल है। तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर, डरो। निःसंदेह अल्लाह अपने ईमान वाले बंदों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर अत्यंत दया करने वाला है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• في الآيات وَعْدٌ من الله لعباده المؤمنين بالكفاية والنصرة على الأعداء.
• इन आयतों में अल्लाह की ओर से अपने मोमिन बंदों के लिए पर्याप्तता और दुश्मनों पर विजय प्रदान करने का वादा किया गया है।

• الثبات أمام العدو فرض على المسلمين لا اختيار لهم فيه، ما لم يحدث ما يُرَخِّص لهم بخلافه.
• दुश्मन के सामने डटे रहना मुसलमानों पर फ़र्ज़ है और उनके पास इसमें कोई विकल्प नहीं है, जब तक कि कोई ऐसी परिस्थिति उत्पन्न न हो जाए, जो उन्हें अन्यथा करने की अनुमति प्रदान कर दे।

• الله يحب لعباده معالي الأمور، ويكره منهم سَفْسَافَها، ولذلك حثهم على طلب ثواب الآخرة الباقي والدائم.
• अल्लाह अपने बंदों के लिए उदात्त मामलों को पसंद करता है और उनकी तुच्छताओं को नापसंद करता है। यही कारण है कि उनसे आख़िरत के स्थायी और हमेशा बाकी रहने वाले प्रतिफल की तलाश करने का आग्रह किया।

• مفاداة الأسرى أو المنّ عليهم بإطلاق سراحهم لا يكون إلا بعد توافر الغلبة والسلطان على الأعداء، وإظهار هيبة الدولة في وجه الآخرين.
• छुड़ौती के बदले बंदियों को रिहा करना या उनपर उपकार करते हुए (बिना छुड़ौती के) रिहा कर देना, दुश्मनों पर जीत और सत्ता हासिल करने और दूसरों के सामने राज्य की प्रतिष्ठा (गौरव) का प्रदर्शन करने के बाद ही होगा।

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ قُلْ لِّمَنْ فِیْۤ اَیْدِیْكُمْ مِّنَ الْاَسْرٰۤی ۙ— اِنْ یَّعْلَمِ اللّٰهُ فِیْ قُلُوْبِكُمْ خَیْرًا یُّؤْتِكُمْ خَیْرًا مِّمَّاۤ اُخِذَ مِنْكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ नबी! उन लोगों से कहो जो बहुदेववादियों के बंदियों में से तुम्हारे हाथों में आए हैं, जिन्हें तुमने बद्र के दिन क़ैद कर लिया था : अगर अल्लाह तुम्हारे दिलों में नेकी की मंशा और अच्छा इरादा जान लेगा, तो तुम्हें उससे बेहतर देगा जो तुमसे छुड़ौती में लिया गया है। इसलिए जो कुछ तुमसे लिया गया है, उसपर शोक मत करो। तथा वह तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर देगा। अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर अत्यंत दया करने वाला है। वास्तव में, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के चाचा अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु और उनके अलावा अन्य मुसलमान होने वालों के संबंध में अल्लाह का यह वादा पूरा हो गया।
阿拉伯语经注:
وَاِنْ یُّرِیْدُوْا خِیَانَتَكَ فَقَدْ خَانُوا اللّٰهَ مِنْ قَبْلُ فَاَمْكَنَ مِنْهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
और अगर वे (ऐ मुहम्मद!) आपसे जो कुछ कहते हैं, उसके द्वारा आपके साथ विश्वासघात करना चाहें, तो निश्चय वे इससे पहले अल्लाह के साथ विश्वासघात कर चुके हैं, और अल्लाह ने उनके विरुद्ध आपकी सहायता की। चुनाँचे उनमें से कुछ लोग मारे गए और कुछ लोग क़ैद हुए। अब अगर वे दोबारा ऐसी हरकत करें, तो उन्हें इसी तरह की सज़ा की प्रतीक्षा करनी चाहिए। अल्लाह अपनी सृष्टि और उसके हितों से अवगत है, अपने प्रबंधन में हिकमत वाला है।
阿拉伯语经注:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالَّذِیْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْۤا اُولٰٓىِٕكَ بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ یُهَاجِرُوْا مَا لَكُمْ مِّنْ وَّلَایَتِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ حَتّٰی یُهَاجِرُوْا ۚ— وَاِنِ اسْتَنْصَرُوْكُمْ فِی الدِّیْنِ فَعَلَیْكُمُ النَّصْرُ اِلَّا عَلٰی قَوْمٍ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهُمْ مِّیْثَاقٌ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए, उसके रसूल की पुष्टि की, उसकी शरीयत पर अमल किया तथा कुफ़्र के देश से इस्लाम के देश की ओर या ऐसी जगह की ओर हिजरत की जहाँ निर्भय होकर अल्लाह की इबादत कर सकें, तथा अल्लाह की बात को सर्वोच्च करने के लिए अपनी जान और माल के साथ जिहाद किया, तथा वे लोग जिन्होंने उनको अपने घरों में ठहराया और उनकी सहायता की - वे मुहाजिर लोग और उनकी मदद करने वाले मदीना के वासी मदद और सहयोग में एक-दूसरे के दोस्त हैं। और जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए, परंतु उन्होंने कुफ़्र के देश से इस्लाम के देश की ओर हिजरत नहीं की, तो (ऐ मोमिनो!) तुमपर उनकी मदद करना और उनकी रक्षा करना ज़रूरी नहीं है यहाँ तक कि वे अल्लाह के मार्ग में हिजरत करें। अगर काफ़िर लोग उनपर अत्याचार करें और वे तुमसे मदद की गुहार लगाएँ, तो उनके दुश्मन के विरुद्ध उनकी सहायता करो, सिवाय इसके कि तुम्हारे और उनके दुश्मनों (काफ़िरों) के बीच कोई संधि हो जिसे उन्होंने भंग न किया हो। तथा तुम जो कुछ कर रहे हो, अल्लाह उसे देख रहा है। उससे तुम्हारा कोई कार्य छिपा नहीं है, और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
阿拉伯语经注:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ؕ— اِلَّا تَفْعَلُوْهُ تَكُنْ فِتْنَةٌ فِی الْاَرْضِ وَفَسَادٌ كَبِیْرٌ ۟ؕ
जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया, उन्हें यही इनकार एक-दूसरे से जोड़े रखता है। इसलिए वे एक दूसरे की मदद करते हैं। अतः किसी मोमिन को उनसे दोस्ती नहीं रखनी चाहिए। अगर तुम मोमिनों से दोस्ती और काफ़िरों से दुश्मनी नहीं रखोगे, तो ईमान वालों के लिए बड़ा फ़ितना (परीक्षण) होगा। क्योंकि उन्हें उनका कोई इस्लामी भाई मदद करने के लिए नहीं मिलेगा। तथा अल्लाह की राह से रोकने की वजह से धरती पर बहुत बड़ा बिगाड़ पैदा होगा।
阿拉伯语经注:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالَّذِیْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْۤا اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّا ؕ— لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟
तथ जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसके मार्ग में हिजरत की, तथा जिन्होंने अल्लाह के मार्ग में हिजरत करने वालों को शरण दी और उनकी मदद की, वही लोग सच्चे ईमान वाले हैं। अल्लाह की ओर से उनका प्रतिफल उनके पापों की क्षमा, और उसकी ओर से एक उदार जीविका है, और वह जन्नत है।
阿拉伯语经注:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْ بَعْدُ وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا مَعَكُمْ فَاُولٰٓىِٕكَ مِنْكُمْ ؕ— وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰی بِبَعْضٍ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟۠
जो लोग, सबसे पहले ईमान लाने वाले मुहाजिरों और अनसारियों के बाद ईमान लाए, तथा उन्होंने कुफ़्र के देश से इस्लाम के देश की ओर हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया, ताकि अल्लाह की बात सर्वोच्च हो और काफ़िरों की बात नीची, तो वे लोग (ऐ मोमिनो!) तुम ही में से हैं। उनके लिए वही अधिकार हैं, जो तुम्हारे लिए हैं तथा उनके वही कर्तव्य (और दायित्व) हैं, जो तुम्हारे हैं। तथा अल्लाह के निर्णय में रिश्तेदारी के लोग, आपस में एक-दूसरे के वारिस होने के, पहले से मौजूद ईमान और हिजरत के आधार पर वारिस होने से अधिक हक़दार हैं। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ को जानने वाला है। उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है। अतः वह जानता है कि उसके बंदों के हित में क्या है, इसलिए वह उसे उनके लिए धर्मसंगत कर देता है।
阿拉伯语经注:
这业中每段经文的优越:
• يجب على المؤمنين ترغيب الأسرى في الإيمان.
• ईमान वालों को क़ैदियों को ईमान लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

• تضمنت الآيات بشارة للمؤمنين باستمرار النصر على المشركين ما داموا آخذين بأسباب النصر المادية والمعنوية.
• इन आयतों में मोमिनों को बहुदेववादियों पर निरंतर जीत की खुशख़बरी दी गई है जब तक कि वे जीत के भौतिक और नैतिक साधनों को अपनाए रहेंगे।

• إن المسلمين إذا لم يكونوا يدًا واحدة على أهل الكفر لم تظهر شوكتهم، وحدث بذلك فساد كبير.
• जब तक मुसलमान काफ़िरों के विरुद्ध एकजुट नहीं होंगे, उनकी शक्ति प्रकट नहीं होगी तथा इससे बहुत बड़ा बिगाड़ पैदा होगा।

• فضيلة الوفاء بالعهود والمواثيق في شرعة الإسلام، وإن عارض ذلك مصلحة بعض المسلمين.
• इस्लाम में प्रतिज्ञाओं और वाचाओं को पूरा करने की महत्ता, भले ही यह कुछ मुसलमानों के हितों के विपरीत हो।

 
含义的翻译 章: 安法里
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《古兰经》译解 - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - 译解目录

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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