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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: At-Tawbah   Ayah:
كَیْفَ یَكُوْنُ لِلْمُشْرِكِیْنَ عَهْدٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ رَسُوْلِهٖۤ اِلَّا الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۚ— فَمَا اسْتَقَامُوْا لَكُمْ فَاسْتَقِیْمُوْا لَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟
यह उचित नहीं है कि अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों की अल्लाह और उसके रसूल के पास कोई संधि तथा सुरक्षा का वचन हो, सिवाय उन बहुदेववादियों के वचन के, जिनके साथ (ऐ ईमान वालो!) तुमने मस्जिदे-हराम के पास हुदैबिय्यह की संधि में समझौता किया था। तो जब तक वे तुम्हारे लिए उस वचन पर क़ायम रहें जो तुम्हारे और उनके बीच है और उसे न तोड़ें, तो तुम भी उनके लिए उसपर क़ायम रहो और उसे न तोड़ो। निःसंदेह अल्लाह अपने मुत्तक़ी बंदों से प्रेम करता है, जो उसके आदेशों का पालन करते और उसके निषेधों से दूर रहते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
كَیْفَ وَاِنْ یَّظْهَرُوْا عَلَیْكُمْ لَا یَرْقُبُوْا فِیْكُمْ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ؕ— یُرْضُوْنَكُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ وَتَاْبٰی قُلُوْبُهُمْ ۚ— وَاَكْثَرُهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟ۚ
उनके लिए प्रतिज्ञा और सुरक्षा का वचन कैसे हो सकता है, जबकि वे तुम्हारे शत्रु हैं। और यदि वे तुमपर आधिपत्य प्राप्त कर लें, तो वे तुम्हारे बारे में अल्लाह, या किसी रिश्तेदारी, या किसी प्रतिज्ञा का सम्मान नहीं करेंगे, बल्कि वे तुम्हें बुरी यातना से दंडित करेंगे?! वे तुम्हें उन अच्छे शब्दों से प्रसन्न करते हैं जो उनकी ज़बानें बोलती हैं, लेकिन उनके दिल उनकी ज़बानों का साथ नहीं देते। इसलिए वे जो कहते हैं, उसे पूरा नहीं करते हैं। तथा उनमें से अधिकांश लोग वचन तोड़ने के कारण अल्लाह की आज्ञाकारिता से बाहर हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِشْتَرَوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِیْلًا فَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ سَآءَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उन्होंने अल्लाह की आयतों का अनुसरण करने के बदले में, जिसमें प्रतिज्ञाओं की पूर्ति भी शामिल है, दुनिया का तुच्छ मूल्य ले लिया, जिससे वे अपनी वासनाओं और इच्छाओं तक पहुँचते हैं। इस तरह उन्होंने अपने आपको सत्य का पालन करने से रोका और उससे मुँह फेर लिया, तथा उन्होंने दूसरों को भी सत्य से रोका। निश्चय उनका वह अमल बहुत बुरा है, जो वे करते रहे हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَا یَرْقُبُوْنَ فِیْ مُؤْمِنٍ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُعْتَدُوْنَ ۟
वे अपनी शत्रुता के कारण किसी मोमिन के बारे में अल्लाह का, या किसी रिश्तेदारी, या किसी प्रतिज्ञा का सम्मान नहीं करते हैं। वे अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं; क्योंकि वे अन्याय और आक्रामकता की विशेषता रखते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَاِخْوَانُكُمْ فِی الدِّیْنِ ؕ— وَنُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
यदि वे अपने कुफ़्र से अल्लाह के समक्ष तौबा कर लें, और इस बात की गवाही दें कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ क़ायम करें और अपने धन की ज़कात दें - तो वे मुसलमान हो गए और वे धर्म में तुम्हारे भाई हैं। उनके लिए वे सभी अधिकार हैं, जो तुम्हारे लिए हैं और उनपर वे सभी दायित्व हैं, जो तुमपर हैं। तुम्हारे लिए उनसे लड़ना जायज़ नहीं है, क्योंकि उनका इस्लाम उनके खून, धन और सम्मान की रक्षा करता है। हम उन लोगों के लिए आयतों को स्पष्ट करते और उन्हें खोल-खोलकर बयान करते हैं, जो ज्ञान रखते हैं। क्योंकि वही वे लोग हैं, जो उनसे लाभान्वित होते हैं, और दूसरों को भी उनसे लाभान्वित करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِنْ نَّكَثُوْۤا اَیْمَانَهُمْ مِّنْ بَعْدِ عَهْدِهِمْ وَطَعَنُوْا فِیْ دِیْنِكُمْ فَقَاتِلُوْۤا اَىِٕمَّةَ الْكُفْرِ ۙ— اِنَّهُمْ لَاۤ اَیْمَانَ لَهُمْ لَعَلَّهُمْ یَنْتَهُوْنَ ۟
और यदि ये मुश्रिक लोग, जिनसे तुमने एक ज्ञात अवधि के लिए लड़ाई बंद रखने का समझौता कर रखा है, अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ दें, और तुम्हारे धर्म में बुराई निकालें और उसमें दोष ढूँढ़ें, तो उनसे युद्ध करो। क्योंकि वे कुफ़्र के अगुवा और सरग़ना हैं और उनकी कोई प्रतिज्ञाएँ और वाचाएँ नहीं हैं, जो उनके रक्त की रक्षा करें। उनसे इस आशा में युद्ध करो कि वे अपने कुफ़्र, अनुबंधों को तोड़ने और धर्म में दोष निकालने से बाज़ आ जाएँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَا تُقَاتِلُوْنَ قَوْمًا نَّكَثُوْۤا اَیْمَانَهُمْ وَهَمُّوْا بِاِخْرَاجِ الرَّسُوْلِ وَهُمْ بَدَءُوْكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ ؕ— اَتَخْشَوْنَهُمْ ۚ— فَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشَوْهُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ ईमान वालो!) तुम उन लोगों से युद्ध क्यों नहीं करते, जिन्होंने अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ दिया, और दारुन-नदवा में अपनी बैठक में रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मक्का से निकालने के लिए प्रयास किया, और उन्होंने ही अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहयोगी खुज़ाआ कबीले के विरुद्ध कुरैश के सहयोगी बक्र क़बीले की मदद करके, तुमसे युद्ध करने में पहल की है। क्या तुम युद्ध में उनके साथ मुठभेड़ से डरते हो?! तो (जान लो कि) यदि तुम वास्तव में ईमान वाले हो, तो अल्लाह इस बात का अधिक हक़दार है कि तुम उससे डरो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• دلَّت الآيات على أن قتال المشركين الناكثين العهد كان لأسباب كثيرة، أهمها: نقضهم العهد.
• ये आयतें बताती हैं कि वचन तोड़ने वाले बहुदेववादियों से लड़ना कई कारणों से था, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण : उनका वचन तोड़ना है।

• في الآيات دليل على أن من امتنع من أداء الصلاة أو الزكاة فإنه يُقاتَل حتى يؤديهما، كما فعل أبو بكر رضي الله عنه.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि जो कोई नमाज़ अदा करने या ज़कात देने से इनकार करेगा, उससे उस समय तक युद्ध किया जाएगा, जब तक वह उन दोनों का पाबंद न हो जाए, जैसा कि अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने किया था।

• استدل بعض العلماء بقوله تعالى:﴿وَطَعَنُوا فِي دِينِكُمْ﴾ على وجوب قتل كل من طعن في الدّين عامدًا مستهزئًا به.
• कुछ विद्वानों ने अल्लाह के फरमान : (وَطَعَنُوا فِي دِينِكُمْ) ''और तुम्हारे धर्म में बुराई निकालें।'' से दलील पकड़ी है कि हर वह व्यक्ति जो जानबूझकर धर्म का मज़ाक़ उड़ाते हुए उसमें बुराई निकालता है, उसको क़त्ल करना अनिवार्य है।

• في الآيات دلالة على أن المؤمن الذي يخشى الله وحده يجب أن يكون أشجع الناس وأجرأهم على القتال.
• इन आयतों में यह संकेत मिलता है कि वह मोमिन जो केवल अल्लाह से डरता है, उसे लड़ने में सबसे बहादुर और सबसे साहसी होना चाहिए।

 
Translation of the meanings Surah: At-Tawbah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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