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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: At-Tawbah   Ayah:
یُرِیْدُوْنَ اَنْ یُّطْفِـُٔوْا نُوْرَ اللّٰهِ بِاَفْوَاهِهِمْ وَیَاْبَی اللّٰهُ اِلَّاۤ اَنْ یُّتِمَّ نُوْرَهٗ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ۟
ये लोग और इनके अलावा अन्य काफ़िर समुदायों का उद्देश्य यह है कि अपने इन झूठे आरोपों और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए संदेश को झुठलाकर इस्लाम का सफाया कर दें और उसे गलत ठहरा दें, तथा अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसके रसूल की लाई हुई शरीयत के सत्य होने के स्पष्ट तर्कों और खुले प्रमाणों को अमान्य कर दें। परंतु अल्लाह अपने धर्म को पूरा करके और अन्य धर्मों पर उसे ग़ालिब और सर्वोच्च करके ही रहेगा, भले ही काफ़िरों को उसका अपने धर्म को पूरा करना, उसे ग़ालिब और सर्वोच्च करना बुरा लगे। और जब अल्लाह किसी चीज़ का इरादा करता है, तो अन्य लोगों का इरादा अमान्य हो जाता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ الَّذِیْۤ اَرْسَلَ رَسُوْلَهٗ بِالْهُدٰی وَدِیْنِ الْحَقِّ لِیُظْهِرَهٗ عَلَی الدِّیْنِ كُلِّهٖ ۙ— وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُوْنَ ۟
अल्लाह ही ने अपने रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को क़ुरआन के साथ, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है, तथा सत्य धर्म इस्लाम के साथ भेजा, ताकि उसमें मौजूद तर्कों, प्रमाणों और आदेशों के साथ उसे अन्य धर्मों पर सर्वोच्च कर दे, भले ही बहुदेववादियों को यह बुरा लगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّ كَثِیْرًا مِّنَ الْاَحْبَارِ وَالرُّهْبَانِ لَیَاْكُلُوْنَ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَكْنِزُوْنَ الذَّهَبَ وَالْفِضَّةَ وَلَا یُنْفِقُوْنَهَا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۙ— فَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत का अनुसरण करने वालो! बहुत-से यहूदी विद्वान और बहुत-से ईसाई उपासक, लोगों के धनों को बिना किसी वैध अधिकार के लेते हैं। चुनाँचे वे उन्हें रिश्वत और अन्य अवैध ढंग से लेते हैं, और वे लोगों को अल्लाह के धर्म में प्रवेश करने से रोकते हैं। तथा जो लोग सोना-चाँदी जमा करके रखते हैं और अपने ऊपर अनिवार्य उसकी ज़कात नहीं देते, तो (ऐ रसूल!) आप उन्हें क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना की सूचना दे दें, जिससे उन्हें बहुत तकलीफ़ होगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
یَّوْمَ یُحْمٰی عَلَیْهَا فِیْ نَارِ جَهَنَّمَ فَتُكْوٰی بِهَا جِبَاهُهُمْ وَجُنُوْبُهُمْ وَظُهُوْرُهُمْ ؕ— هٰذَا مَا كَنَزْتُمْ لِاَنْفُسِكُمْ فَذُوْقُوْا مَا كُنْتُمْ تَكْنِزُوْنَ ۟
जो कुछ उन्होंने इकट्ठा किया और उसका हक़ रोक लिया, उसे क़ियामत के दिन जहन्नम की आग में तपाया जाएगा। जब वह बहुत गर्म हो जाएगा, तो उसे उनके माथों, पहलुओं और पीठों पर रखा जाएगा, और उन्हें फटकार के रूप में कहा जाएगा : ये हैं तुम्हारे धन, जो तुमने एकत्र किए थे लेकिन उनमें अनिवार्य अधिकारों का भुगतान नहीं किए थे। तो अब, जो कुछ तुम इकट्ठा कर रहे थे और उसके अधिकारों का भुगतान नहीं कर रहे थे, उसका कष्ट और उसके परिणाम का स्वाद चखो।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ عِدَّةَ الشُّهُوْرِ عِنْدَ اللّٰهِ اثْنَا عَشَرَ شَهْرًا فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ یَوْمَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ مِنْهَاۤ اَرْبَعَةٌ حُرُمٌ ؕ— ذٰلِكَ الدِّیْنُ الْقَیِّمُ ۙ۬— فَلَا تَظْلِمُوْا فِیْهِنَّ اَنْفُسَكُمْ ۫— وَقَاتِلُوا الْمُشْرِكِیْنَ كَآفَّةً كَمَا یُقَاتِلُوْنَكُمْ كَآفَّةً ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
निःसंदेह अल्लाह के निर्णय और फैसले के अनुसार वर्ष के महीनों की संख्या बारह है, जिसे उसने आकाशों और धरती की रचना के समय ही लौह़-ए-मह़फूज़ में लिख दिया था। इन बारह महीनों में से चार महीनों में अल्लाह ने लड़ने से मना किया है। इनमें से तीन महीने तगातार हैं : 'ज़ुलक़ादा, ज़ुलहिज्जा और मुहर्रम' और एक अकेला, जो कि 'रजब' है। यह जो वर्ष के महीनों की संख्या और उनमें से चार के हुरमत वाले होने का उल्लेख किया गया है, वही सीधा धर्म है। अतः इन हुरमत वाले महीनों के अंदर युद्ध करके और उनकी पवित्रता को भंग करके अपने प्राणों पर अत्याचार न करो। तथा बहुदेववादियों से सब मिलकर युद्ध करो, जैसे वे मिलकर तुमसे युद्ध करते हैं। और यह जान लो कि अल्लाह अपनी मदद और सुदृढ़ीकरण के द्वारा उन लोगों के साथ है, जो उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरते हैं। और जिसके साथ अल्लाह हो, उसे कोई पराजित नही कर सकता।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• دين الله ظاهر ومنصور مهما سعى أعداؤه للنيل منه حسدًا من عند أنفسهم.
• अल्लाह का धर्म प्रभावी रहेगा और उसकी सहायता की जाएगी, चाहे उसके दुश्मन अपनी ईर्ष्या के कारण उसे क्षति पहुँचाने की कितनी भी कोशिश कर लें।

• تحريم أكل أموال الناس بالباطل، والصد عن سبيل الله تعالى.
• अवैध ढंग से लोगों का धन खाने और अल्लाह के मार्ग से रोकने का निषेध।

• تحريم اكتناز المال دون إنفاقه في سبيل الله.
• अल्लाह के मार्ग में खर्च किए बिना धन जमा करना हराम है।

• الحرص على تقوى الله في السر والعلن، خصوصًا عند قتال الكفار؛ لأن المؤمن يتقي الله في كل أحواله.
• गुप्त और सार्वजनिक रूप से अल्लाह से डरने के लिए उत्सुक होना, विशेष रूप से काफ़िरों से लड़ते समय; क्योंकि मोमिन अपनी सभी परिस्थितियों में अल्लाह का भय रखता है।

 
Translation of the meanings Surah: At-Tawbah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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