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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: At-Tawbah   Ayah:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَاتِلُوا الَّذِیْنَ یَلُوْنَكُمْ مِّنَ الْكُفَّارِ وَلْیَجِدُوْا فِیْكُمْ غِلْظَةً ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
अल्लाह ने ईमान वालों को उन काफ़िरों से लड़ने का आदेश दिया है, जो उनके आस-पास रहते हैं; क्योंकि वे अपनी निकटता के कारण मोमिनों के लिए खतरे का कारण बनते हैं। इसी तरह उन्हें भयभीत करने और उनकी बुराई को दूर करने के लिए मुसलमानों को शक्ति और कठोरता दिखाने का भी आदेश दिया है। तथा सर्वशक्तिमान अल्लाह अपनी सहायता और समर्थन के साथ परहेज़गार मोमिनों के संग है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ فَمِنْهُمْ مَّنْ یَّقُوْلُ اَیُّكُمْ زَادَتْهُ هٰذِهٖۤ اِیْمَانًا ۚ— فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فَزَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّهُمْ یَسْتَبْشِرُوْنَ ۟
जब अल्लाह अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत अवतरित करता है, तो मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग उपहास करते हुऐ पूछते हैं : इस अवतिरत होने वाली सूरत ने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दुवारा लाई गई शरीयत पर किसके विश्वास को बढ़ायाॽ चुनाँचे जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसके रसूल को सच्चा माना, तो इस सूरत के अवतरण ने उनके पूर्व विश्वास में और वृद्धि कर दी, तथा वे उस अवतरित वह़्य (प्रकाशना) से प्रसन्न हैं; क्योंकि उसमें उनके दुनिया और आख़िरत के लाभ निहित हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَمَّا الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ فَزَادَتْهُمْ رِجْسًا اِلٰی رِجْسِهِمْ وَمَاتُوْا وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
जहाँ तक मुनाफ़िक़ों का संबंध है, तो अहकाम और कहानियों पर आधारित इस क़ुरआन का अवतरण उनके रोग और गंदगी को और बढ़ा देता है, क्योंकि वे उस उतरने वाली वह़्य को झुठलाते हैं। अतः क़ुरआन के अवतरण में वृद्धि के साथ उनके दिल की बीमारी बढ़ जाती है; क्योंकि जब भी कोई वह़्य उतरती थी, वे उसके बारे में संदेह करते थे और वे कुफ़्र ही की अवस्था में मर गए।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَوَلَا یَرَوْنَ اَنَّهُمْ یُفْتَنُوْنَ فِیْ كُلِّ عَامٍ مَّرَّةً اَوْ مَرَّتَیْنِ ثُمَّ لَا یَتُوْبُوْنَ وَلَا هُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
क्या ये मुनाफ़िक़ लोग सीख ग्रहण करते हुए नहीं देखते कि अल्लाह हर साल एक या दो बार उनकी हालत को प्रकट करके और उनके निफ़ाक़ का पर्दाफ़ाश करके उनकी परीक्षा लेता है?! फिर यह जानने के बावजूद कि अल्लाह ही उनके साथ ऐसा करता है, वे उसके समक्ष अपने कुफ़्र (अविश्वास) से तौबा नहीं करते हैं और अपने निफ़ाक़ को नहीं छोड़ते हैं और न ही उससे उपदेश ग्रहण करते हैं, जो उनके साथ घटित हुआ है और यह कि वह अल्लाह की ओर से है!
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ ؕ— هَلْ یَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْا ؕ— صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
और जब अल्लाह अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत उतारता है, जिसमें मुनाफ़िक़ों की स्थितियों का ज़िक्र होता है, तो कुछ मुनाफ़िक़ यह कहते हुए एक-दूसरे को देखते हैं : क्या तुम्हें कोई देख रहा है? यदि कोई उन्हें न देख रहा हो, तो मजलिस से चले जाते हैं। सुन लो! अल्लाह ने उनके दिलों को मार्गदर्शन और भलाई से फेर दिया है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो नहीं समझते।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَقَدْ جَآءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِیْزٌ عَلَیْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِیْصٌ عَلَیْكُمْ بِالْمُؤْمِنِیْنَ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
निःसंदेह तुम्हारे पास (ऐ अरब के लोगो!) तुम्हारे ही वर्ग से एक रसूल आया है, वह तुम्हारी ही तरह एक अरबी है। उसके लिए वह बहुत कष्टदायक है, जिससे तुम्हें कष्ट पहुँचे। वह तुम्हारे मार्गदर्शन का बहुत इच्छुक और तुम्हारा बहुत ध्यान रखने वाला है तथा वह विशेष रूप से ईमान वालों के प्रति बहुत करुणा और दया वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ حَسْبِیَ اللّٰهُ ۖؗ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ ۟۠
फिर अगर वे आपसे मुँह मोड़ें और उसपर ईमान न लाएँ, जो आप लेकर आए हैं, तो (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मेरे लिए अल्लाह ही काफ़ी है, जिसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं। मैंने उसी अकेले (अल्लाह) पर भरोसा किया और वही महिमावान महान सिंहासन (अर्श) का मालिक है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• وجوب ابتداء القتال بالأقرب من الكفار إذا اتسعت رقعة الإسلام، ودعت إليه حاجة.
• जब इस्लाम के क्षेत्र का विस्तार हो जाए और आवश्यकता पड़े, तो युद्ध की शुरूआत काफ़िरों में से सबसे निकट लोगों के साथ करना अनिवार्य है।

• بيان حال المنافقين حين نزول القرآن عليهم وهي الترقُّب والاضطراب.
• क़ुरआन के अवतरण के समय मुनाफ़िक़ों की प्रत्याशा और बेचैनी का वर्णन।

• بيان رحمة النبي صلى الله عليه وسلم بالمؤمنين وحرصه عليهم.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ईमान वालों के प्रति दयालुता और उनके कल्याण के लिए आपकी चिंता का वर्णन।

• في الآيات دليل على أن الإيمان يزيد وينقص، وأنه ينبغي للمؤمن أن يتفقد إيمانه ويتعاهده فيجدده وينميه؛ ليكون دائمًا في صعود.
• उक्त आयतों में इस बात का प्रमाण है कि ईमान बढ़ता और घटता है, और यह कि मोमिन को चाहिए कि वह अपने ईमान की जाँच और उसकी देखभाल करता रहे। तथा वह उसका नवीनीकरण करता रहे और उसे बढ़ाता रहे; ताकि वह हमेशा बढ़ता ही रहे।

 
Translation of the meanings Surah: At-Tawbah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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