Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tippudi firooji ɗii


Firo maanaaji Aaya: (62) Simoore: Simoore rewɓe
فَكَیْفَ اِذَاۤ اَصَابَتْهُمْ مُّصِیْبَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ ثُمَّ جَآءُوْكَ یَحْلِفُوْنَ ۖۗ— بِاللّٰهِ اِنْ اَرَدْنَاۤ اِلَّاۤ اِحْسَانًا وَّتَوْفِیْقًا ۟
उस समय मुनाफिक़ों का क्य हाल होता है जब उनके किए हुए गुनाहों के कारण उनपर कोई आपदा आ पड़ती है, फिर - ऐ रसूल - वे आपके पास माफ़ी माँगने के उद्देश्य से आते हैं और अल्लाह की क़समें खाकर कहते हैं कि आपको छोड़कर अन्य के पास फैसला के लिए जाने के पीछे हमारा उद्देश्य केवल भलाई और परस्पर विरोधी पक्षों के बीच मेल कराना था। हालाँकि वे अपने इस दावे में झूठे हैं; क्योंकि भलाई तो लोगों के बीच अल्लाह की शरीयत से फैसला कराने में है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• الاحتكام إلى غير شرع الله والرضا به مناقض للإيمان بالله تعالى، ولا يكون الإيمان التام إلا بالاحتكام إلى الشرع، مع رضا القلب والتسليم الظاهر والباطن بما يحكم به الشرع.
• अल्लाह की शरीयत के अलावा की ओर निर्णय के लिए जाना और उससे संतुष्ट होना, अल्लाह पर ईमान के विपरीत है। बंदे का ईमान उसी समय पूर्ण होता है, जब अल्लाह की शरीयत से फैसला कराया जाए और जो कुछ शरीयत फैसला कर दे उससे दिल संतुष्ट हो और परोक्ष एवं प्रत्यक्ष रूप से उसे स्वीकार कर ले।

• من أبرز صفات المنافقين عدم الرضا بشرع الله، وتقديم حكم الطواغيت على حكم الله تعالى.
• मुनाफ़िक़ों की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक अल्लाह की शरीयत के प्रति असंतोष और अल्लाह के निर्णय पर ताग़ूतों (ग़ैरुल्लाह) के निर्णय को प्रधानता देना है।

• النَّدْب إلى الإعراض عن أهل الجهل والضلالات، مع المبالغة في نصحهم وتخويفهم من الله تعالى.
• अज्ञानता और पथभ्रष्टता के लोगों की उपेक्षा करने का आह्वान, साथ ही साथ उन्हें नसीहत करने और सर्वशक्तिमान अल्लाह से डराने में अतिशयोक्ति।

 
Firo maanaaji Aaya: (62) Simoore: Simoore rewɓe
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tippudi firooji ɗii

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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