Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tippudi firooji ɗii


Firo maanaaji Aaya: (67) Simoore: Simoore rewɓe
وَّاِذًا لَّاٰتَیْنٰهُمْ مِّنْ لَّدُنَّاۤ اَجْرًا عَظِیْمًا ۟ۙ
66-68 - यदि हमने उनपर एक-दूसरे को क़त्ल करना या अपने घरों से निकल जाना अनिवार्य किया होता, तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा कोई हमारे आदेश को नहीं मानता। अतः उन्हें अल्लाह का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने उन्हें ऐसे कार्य के लिए बाध्य नहीं किया, जो उनके लिए कठिन हो। और यदि उन्होंने अल्लाह की आज्ञाकारिता की होती जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है, तो यह अवहेलना करने से बेहतर होता और उनके ईमान के लिए अधिक दृढ़ता का कारण होता। तथा हम उन्हें अपनी ओर से बड़ा बदला देते और उन्हें अल्लाह एवं उसकी जन्नत तक ले जाने वाले रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करते।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• فعل الطاعات من أهم أسباب الثبات على الدين.
• अच्छे कर्म करना धर्म पर दृढ़ता के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

• أخذ الحيطة والحذر باتخاذ جميع الأسباب المعينة على قتال العدو، لا بالقعود والتخاذل.
• चौकसी और सावधानी बरतना दुश्मन से लड़ने के लिए सहायक सभी कारणों को अपनाकर होता है, न कि बैठकर और पीछे हटकर।

• الحذر من التباطؤ عن الجهاد وتثبيط الناس عنه؛ لأن الجهاد أعظم أسباب عزة المسلمين ومنع تسلط العدو عليهم.
• जिहाद से पीछे रहने और इससे लोगों को हतोत्साहित करने से सावधान रहना चाहिए; क्योंकि जिहाद मुसलमानों के गौरव व प्रतिष्ठा और उन पर दुश्मन के वर्चस्व और प्राबल्य को रोकने का सबसे महान कारण है।

 
Firo maanaaji Aaya: (67) Simoore: Simoore rewɓe
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tippudi firooji ɗii

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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