કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષાતર * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

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શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અઝ્ ઝોહા   આયત:

सूरा अज़्-ज़ुह़ा

وَالضُّحٰی ۟ۙ
कस़म है धूप चढ़ने के समय की!
અરબી તફસીરો:
وَالَّیْلِ اِذَا سَجٰی ۟ۙ
और क़सम है रात की, जब वह छा जाए।
અરબી તફસીરો:
مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلٰی ۟ؕ
(ऐ नबी!) तेरे पालनहार ने तुझे न तो छोड़ा और न नाराज़ हुआ।
અરબી તફસીરો:
وَلَلْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لَّكَ مِنَ الْاُوْلٰی ۟ؕ
और निश्चित रूप से आख़िरत आपके लिए दुनिया से बेहतर है।
અરબી તફસીરો:
وَلَسَوْفَ یُعْطِیْكَ رَبُّكَ فَتَرْضٰی ۟ؕ
और निश्चय तेरा पालनहार तुझे प्रदान करेगा, तो तू प्रसन्न हो जाएगा।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ یَجِدْكَ یَتِیْمًا فَاٰوٰی ۪۟
क्या उसने आपको अनाथ पाकर शरण नहीं दी?
અરબી તફસીરો:
وَوَجَدَكَ ضَآلًّا فَهَدٰی ۪۟
और आपको मार्ग से अनभिज्ञ पाया, तो सीधा मार्ग दिखाया।
અરબી તફસીરો:
وَوَجَدَكَ عَآىِٕلًا فَاَغْنٰی ۟ؕ
और उसने आपको निर्धन पाया, तो संपन्न कर दिया।
અરબી તફસીરો:
فَاَمَّا الْیَتِیْمَ فَلَا تَقْهَرْ ۟ؕ
अतः आप अनाथ पर कठोरता न दिखाएँ।[1]
1. (1-9) इन आयतों में अल्लाह ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से फरमाया है कि तुम्हें यह चिंता कैसे हो गई है कि हम अप्रसन्न हो गए? हमने तो तुम्हारे जन्म के दिन से निरंतर तुमपर उपकार किए हैं। तुम अनाथ थे, तो तुम्हारे पालन और रक्षा की व्यवस्था की। राह से अंजान थे, तो राह दिखाई। निर्धन थे, तो धनी बना दिया। ये बातें बता रही हैं कि तुम आरंभ ही से हमारे प्रियवर हो और तुमपर हमारा उपकार निरंतर रहा है।
અરબી તફસીરો:
وَاَمَّا السَّآىِٕلَ فَلَا تَنْهَرْ ۟ؕ
और माँगने वाले को न झिड़कें।
અરબી તફસીરો:
وَاَمَّا بِنِعْمَةِ رَبِّكَ فَحَدِّثْ ۟۠
और अपने रब के उपकार का वर्णन करते रहें।[2]
2. (10-11) इन अंतिम आयतों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बताया गया है कि हमने तुमपर जो उपकार किए हैं, उनके बदले में तुम अल्लाह की उत्पत्ति के साथ दया और उपकार करो यही हमारे उपकारों की कृतज्ञता होगी।
અરબી તફસીરો:
 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અઝ્ ઝોહા
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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષાતર - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

હિંદી ભાષામાં કુરઆન મજીદનું ભાષાતર, ભાષાતર કરનારનું નામ અઝીઝૂલ્ હક ઉમરી

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