क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-ह़िज्र   आयत:

सूरा अल्-ह़िज्र

सूरा के उद्देश्य:
توعد المستهزئين بالقرآن، والوعد بحفظه تأييدًا للنبي وتثبيتًا له.
क़ुरआन का उपहास करने वालों को धमकी देना, तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समर्थन और आपको सुदृढ़ करने के लिए उसे संरक्षित करने का वादा।

الٓرٰ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ وَقُرْاٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟
{अलिफ़, लाम, रा।} इन जैसे अक्षरों के संबंध में सूरतुल बक़रा के आरंभ में बात हो चुकी है। ये उच्चस्तरीय आयतें जो इस बात को दर्शाती हैं कि वे अल्लाह की ओर से अवतरित हैं, ये उस क़ुरआन की आयतें हैं, जो तौह़ीद (एकेश्वरवाद) और धर्म के विधानों को स्पष्ट करता है।
अरबी तफ़सीरें:
رُبَمَا یَوَدُّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْ كَانُوْا مُسْلِمِیْنَ ۟
क़ियामत के दिन जब काफ़िरों के लिए मामला स्पष्ट हो जाएगा और वे दुनिया में जिस अविश्वास के रास्ते पर चल रहे थे, उसकी अमान्यता उनके सामने उजागर हो जाएगी, तो वे कामना करेंगे कि काश! वे मुसलमान होते।
अरबी तफ़सीरें:
ذَرْهُمْ یَاْكُلُوْا وَیَتَمَتَّعُوْا وَیُلْهِهِمُ الْاَمَلُ فَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) इन झुठलाने वालों को छोड़ दें कि वे पशुओं की तरह खाते रहें और दुनिया के नश्वर सुखों का आनंद लेते रहें तथा लंबी आशा उन्हें ईमान और अच्छे कार्य से गाफ़िल किए रखे। जब वे क़ियामत के दिन अल्लाह के सामने उपस्थित होंगे, तो उन्हें पता चल जाएगा कि वे कितने घाटे में हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَاۤ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْیَةٍ اِلَّا وَلَهَا كِتَابٌ مَّعْلُوْمٌ ۟
और अत्याचारी बस्तियों में से जिस बस्ती पर भी हमने विनाश उतारा, उसका अल्लाह के ज्ञान में एक निर्धारित समय था, जिससे वह न आगे बढ़ सकती और न पीछे हट सकती थी।
अरबी तफ़सीरें:
مَا تَسْبِقُ مِنْ اُمَّةٍ اَجَلَهَا وَمَا یَسْتَاْخِرُوْنَ ۟
किसी भी समुदाय पर उसका विनाश उसके नियत समय से पहले नहीं आता। तथा जब उसका नियत समय आ जाए, तो उसका विनाश उससे पीछे नहीं रहता। इसलिए अत्याचारियों को, अल्लाह के उन्हें ढील देने से, धोखे में नहीं पड़ना चाहिए।
अरबी तफ़सीरें:
وَقَالُوْا یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْ نُزِّلَ عَلَیْهِ الذِّكْرُ اِنَّكَ لَمَجْنُوْنٌ ۟ؕ
मक्का के काफ़िरों ने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा : ऐ वह व्यक्ति जिसपर स्मरण (क़ुरआन) उतारा गया है (जैसा कि वह दावा करता है), निश्चित रूप से तू अपने इस दावे से पागल लगता है, जो पागलों की तरह व्यवहार करता है।
अरबी तफ़सीरें:
لَوْ مَا تَاْتِیْنَا بِالْمَلٰٓىِٕكَةِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
तुम हमारे पास फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते, जो तुम्हारे हक़ में गवाही दें, यदि तुम सच्चे हो कि तुम एक भेजे गए रसूल हो और यह कि हमपर यातना उतरने वाली है।
अरबी तफ़सीरें:
مَا نُنَزِّلُ الْمَلٰٓىِٕكَةَ اِلَّا بِالْحَقِّ وَمَا كَانُوْۤا اِذًا مُّنْظَرِیْنَ ۟
अल्लाह तआला ने उनके फ़रिश्तों के आने के सुझाव के जवाब में कहा : हम फ़रिश्तों को उसी समय उतारते हैं, जब हमारी हिकमत के अनुसार उन्हें अज़ाब के द्वारा विनष्ट करने का समय आ जाए। और - अगर हम फ़रिश्तों को ले आएँ और वे ईमान न लाएँ, तो - उन्हें मोहलत नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें तुरंत दंडित किया जाएगा।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَاِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ ۟
निःसंदेह हमने ही इस क़ुरआन को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दिल पर लोगों के अनुस्मरण (याद-दहानी) के लिए उतारा है, और निःसंदेह हम ही क़ुरआन को वृद्धि और कमी, परिवर्तन और विकृति से सुरक्षित रखने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِیْ شِیَعِ الْاَوَّلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले पिछले काफ़िर समुदायों में (भी) रसूल भेजे थे, तो उन्होंने उन रसूलों को झुठला दिया था। इसलिए, आपके समुदाय के आपको झुठलाने के मामले में, आप अनूठे रसूल नहीं हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
पिछले काफ़िर समुदायों के पास जो भी रसूल आता था, वे उसे झुठला देते और उसका मज़ाक उड़ाया करते थे।
अरबी तफ़सीरें:
كَذٰلِكَ نَسْلُكُهٗ فِیْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ۙ
जिस तरह हमने उन (विगत) समुदायों के दिलों में झुठलाने की प्रवृत्ति डाल दी थी, उसी तरह हम उसे मक्का के मुश्रिकों के दिलों में डाल देंगे, उनकी विमुखता और हठ के कारण।
अरबी तफ़सीरें:
لَا یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
ये लोग मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित इस क़ुरआन पर ईमान नहीं लाएँगे। और अल्लाह की यह परंपरा रही है कि वह अपने रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाने वालों को विनष्ट कर देता है। इसलिए आपको झुठलाने वाले लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَیْهِمْ بَابًا مِّنَ السَّمَآءِ فَظَلُّوْا فِیْهِ یَعْرُجُوْنَ ۟ۙ
ये झुठलाने वाले लोग हठी हैं, भले ही स्पष्ट प्रमाणों के साथ सत्य उनके सामने उजागर हो जाए। चुनाँचे यदि हम उनके लिए आसमान का कोई द्वार खोल दें और वे उसमें चढ़ते चले जाएँ।
अरबी तफ़सीरें:
لَقَالُوْۤا اِنَّمَا سُكِّرَتْ اَبْصَارُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌ مَّسْحُوْرُوْنَ ۟۠
तब भी वे सत्य को नहीं मानते और कहते : हमारी दृष्टि को देखने से अवरुद्ध कर दिया गया है, बल्कि हम जो कुछ देख रहे हैं, वह जादू का प्रभाव है। क्योंकि हम मंत्रमुग्ध हैं।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• القرآن الكريم جامع بين صفة الكمال في كل شيء، والوضوح والبيان.
• पवित्र क़ुरआन हर चीज़ में पूर्णता के गुण और स्पष्टता से सुसज्जित है।

• يهتم الكفار عادة بالماديات، فتراهم مُنْغَمِسين في الشهوات والأهواء، مغترين بالأماني الزائفة، منشغلين بالدنيا عن الآخرة.
• काफ़िर लोग आमतौर पर भौतिक चीज़ों पर ध्यान आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि आप उन्हें इच्छाओं और वासनाओं में डूबे हुए, झूठी आकांक्षाओं के धोखे में पड़े हुए और आख़िरत से उपेक्षा कर दुनिया में व्यस्त देखेंगे।

• هلاك الأمم مُقَدَّر بتاريخ معين، ومقرر في أجل محدد، لا تأخير فيه ولا تقديم، وإن الله لا يَعْجَلُ لعجلة أحد.
• समुदायों के विनाश की एक नियत तिथि निर्धारित होती और एक निश्चित समय तय होता है, जो आगे-पीछे नहीं हो सकता। तथा अल्लाह किसी के जल्दी मचाने के कारण उसमें जल्दी नहीं करता।

• تكفل الله تعالى بحفظ القرآن الكريم من التغيير والتبديل، والزيادة والنقص، إلى يوم القيامة.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान ने क़ियामत के दिन तक पवित्र क़ुरआन को हर तरह की विकृति और परिवर्तन, वृद्धि और कमी से सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी ली है।

وَلَقَدْ جَعَلْنَا فِی السَّمَآءِ بُرُوْجًا وَّزَیَّنّٰهَا لِلنّٰظِرِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह हमने आसमान में महान सितारे बनाए हैं, जिनके माध्यम से लोग जल एवं थल के अंधेरों में अपनी यात्राओं के दौरान रास्ता मालूम करते हैं। और उन्हें देखने वालों के लिए सुशोभित किया है। ताकि वे उनसे सर्वशक्तिमान अल्लाह की शक्ति का प्रमाण प्राप्त करें।
अरबी तफ़सीरें:
وَحَفِظْنٰهَا مِنْ كُلِّ شَیْطٰنٍ رَّجِیْمٍ ۟ۙ
और हमने आसमान को अल्लाह की दया से निष्कासित हर शैतान से सुरक्षित कर दिया है।
अरबी तफ़सीरें:
اِلَّا مَنِ اسْتَرَقَ السَّمْعَ فَاَتْبَعَهٗ شِهَابٌ مُّبِیْنٌ ۟
परंतु जो निकटवर्ती फ़रिश्तों (मलए-आला) की बात चुपके से सुन ले, तो एक चमकदार ज्वाला (उल्का) उसका पीछा करती है और उसे जला देती है।
अरबी तफ़सीरें:
وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَیْنَا فِیْهَا رَوَاسِیَ وَاَنْۢبَتْنَا فِیْهَا مِنْ كُلِّ شَیْءٍ مَّوْزُوْنٍ ۟
और हमने धरती को फैलाया ताकि लोग उसके ऊपर रह सकें, और उसमें मज़बूत (अटल) पहाड़ बनाए ताकि वह (धरती) लोगों को लेकर डगमगाने न लगे, तथा उसमें विभिन्न प्रकार के पौधे उगाए जो हिकमत की अपेक्षानुसार निर्धारित व निर्दिष्ट हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِیْهَا مَعَایِشَ وَمَنْ لَّسْتُمْ لَهٗ بِرٰزِقِیْنَ ۟
और (ऐ लोगो!) हमने धरती में तुम्हारे लिए ऐसी खाने और पीने की चीज़ें बनाईं, जिनसे तुम्हारा जीवन यापन हो सके जब तक तुम दुनिया के जीवन में रहो। और हमने तुम्हारे सिवा उन लोगों और जानवरों के लिए (भी) जीवन यापन के साधन बनाए, जिन्हें तुम रोज़ी नहीं देते।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنْ مِّنْ شَیْءٍ اِلَّا عِنْدَنَا خَزَآىِٕنُهٗ ؗ— وَمَا نُنَزِّلُهٗۤ اِلَّا بِقَدَرٍ مَّعْلُوْمٍ ۟
इनसानों और जानवरों के लाभ की जितनी वस्तुएँ हैं, हम उन्हें पैदा करने और लोगों को उनसे लाभ पहुँचाने का सामर्थ्य रखते हैं। और हम उनमें से जिस चीज़ को पैदा करते हैं, उसे अपनी हिकमत और अपनी इच्छा के अनुसार एक निश्चित मात्रा ही में पैदा करते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَاَرْسَلْنَا الرِّیٰحَ لَوَاقِحَ فَاَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَاَسْقَیْنٰكُمُوْهُ ۚ— وَمَاۤ اَنْتُمْ لَهٗ بِخٰزِنِیْنَ ۟
और हमने हवाएँ भेजीं जो बादलों को पानी से गर्भित करती हैं। फिर उन गर्भित बादलों से बारिश बरसाई और तुम्हें बारिश के पानी से सैराब किया। और (ऐ लोगो!) तुम इस पानी को धरती के अंदर स्रोतों और कुओं के रूप में संग्रह करने वाले नहीं हो। परंतु यह केवल अल्लाह है जो इसे धरती में संग्रह करता है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنَّا لَنَحْنُ نُحْیٖ وَنُمِیْتُ وَنَحْنُ الْوٰرِثُوْنَ ۟
निःसंदेह हम ही मृतकों को, उन्हें अनस्तित्व से अस्तित्व में लाकर तथा मृत्यु के बाद उन्हें पुनर्जीवित कर, जीवन प्रदान करते हैं। और जब जीवित लोग अपनी नियत अवधि पूरी कर लेते हैं, तो हम उन्हें मौत देते हैं। तथा हम ही बाक़ी रहने वाले हैं, जो धरती एवं उसके ऊपर मौजूद सारी चीज़ों के उत्तराधिकारी बनेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ عَلِمْنَا الْمُسْتَقْدِمِیْنَ مِنْكُمْ وَلَقَدْ عَلِمْنَا الْمُسْتَاْخِرِیْنَ ۟
निश्चित रूप से हमें उन लोगों का ज्ञान है, जो तुमसे पहले पैदा हुए और मर चुके, तथा हमें उन लोगों का भी ज्ञान है जिनका बाद में जन्म एवं मृत्यु होगी। इसमें से कुछ भी हमसे छिपा नहीं है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنَّ رَبَّكَ هُوَ یَحْشُرُهُمْ ؕ— اِنَّهٗ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟۠
(ऐ रसूल!) निश्चय आपका पालनहार क़ियामत के दिन उन सबको एकत्र करेगा। ताकि अच्छे कार्य करने वाले को उसके अच्छे कार्य का बदला दे और बुरे कार्य करने वाले को उसके बुरे कार्य का बदला दे। वह अपने प्रबंधन में हिकमत वाला, तथा सब कुछ जानने वाला है, उससे कोई बात छिपी नहीं रहती।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍ ۟ۚ
हमने आदम को सूखी मिट्टी से पैदा किया, जिसे ठोकर मारी जाए तो आवाज़ दे। और यह मिट्टी जिससे उन्हें बनाया गया, काले रंग की थी और ज़्यादा दिनों तक रहने के कारण बदबूदार हो गई थी।
अरबी तफ़सीरें:
وَالْجَآنَّ خَلَقْنٰهُ مِنْ قَبْلُ مِنْ نَّارِ السَّمُوْمِ ۟
और हमने आदम अलैहिस्सलाम को पैदा करने से पहले जिन्नों के पिता को तीव्र गर्मी वाली आग से पैदा किया।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اِنِّیْ خَالِقٌۢ بَشَرًا مِّنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍ ۟
(ऐ रसूल!) उस समय को याद कीजिए, जब आपके पालनहार ने फ़रिश्तों से और इबलीस से (जो कि फ़रिश्तों के साथ था) कहा : मैं काली बदबूदार, खनखनाती हुई सूखी मिट्टी से एक इनसान बनाऊँगा।
अरबी तफ़सीरें:
فَاِذَا سَوَّیْتُهٗ وَنَفَخْتُ فِیْهِ مِنْ رُّوْحِیْ فَقَعُوْا لَهٗ سٰجِدِیْنَ ۟
जब मैं उसकी शक्ल-सूरत ठीक-ठाक कर दूँ और उसकी रचना को पूरा कर लूँ, तो तुम सब मेरी आज्ञा के अनुपालन में और उसे अभिवादन करते हुए उसके आगे सजदे में गिर जाओ।
अरबी तफ़सीरें:
فَسَجَدَ الْمَلٰٓىِٕكَةُ كُلُّهُمْ اَجْمَعُوْنَ ۟ۙ
तो फ़रिश्तों ने आज्ञापालन किया और सब के सब उनके आगे सजदे में गिर गए, जैसा कि उनके पालनहार ने उन्हें आदेश दिया था।
अरबी तफ़सीरें:
اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— اَبٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِیْنَ ۟
परंतु इबलीस (जो फ़रिश्तों के साथ रहता था, लेकिन उनमें से नहीं था) फ़रिश्तों के साथ आदम को सजदा करने से उपेक्षा किया।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• ينبغي للعبد التأمل والنظر في السماء وزينتها والاستدلال بها على باريها.
• बंदे को चाहिए कि आकाश तथा उसके शृंगार पर ग़ौर और मननचिंतन कर उन्हें उनके पैदा करने वाले के अस्तित्व का प्रमाण बनाए।

• جميع الأرزاق وأصناف الأقدار لا يملكها أحد إلا الله، فخزائنها بيده يعطي من يشاء، ويمنع من يشاء، بحسب حكمته ورحمته.
• समस्त जीविकाओं और सभी प्रकार की तक़दीरों का मालिक केवल अल्लाह है। इनके ख़ज़ाने उसके हाथ में हैं। वह, अपनी हिकमत और दया के अनुसार, जिसे चाहता है, देता है और जिसे चाहता है, वंचित कर देता है।

• الأرض مخلوقة ممهدة منبسطة تتناسب مع إمكان الحياة البشرية عليها، وهي مثبّتة بالجبال الرواسي؛ لئلا تتحرك بأهلها، وفيها من النباتات المختلفة ذات المقادير المعلومة على وفق الحكمة والمصلحة.
• धरती समतल और सपाट बनाई गई है जो उसपर मानव जीवन की संभावना के अनुरूप है। वह मज़बूती के साथ गड़े हुए (अटल) पहाड़ों के द्वारा जमा दी गई है ताकि लोगों को लेकर डगमगाने न लगे। तथा उसमें हिकमत और हित के अनुसार ज्ञात मात्रा वाले विभिन्न पौधे हैं।

• الأمر للملائكة بالسجود لآدم فيه تكريم للجنس البشري.
• फ़रिश्तों को आदम के सामने सजदा करने के आदेश में मानव जाति का सम्मान निहित है।

قَالَ یٰۤاِبْلِیْسُ مَا لَكَ اَلَّا تَكُوْنَ مَعَ السّٰجِدِیْنَ ۟
अल्लाह ने इबलीस से उसके आदम को सजदा करने से मना कर देने के बाद कहा : तुझे मेरी आज्ञा का पालन करते हुए सजदा करने वाले फ़रिश्तों के साथ सजदा करने से किस चीज़ ने रोकाॽ
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ لَمْ اَكُنْ لِّاَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهٗ مِنْ صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَاٍ مَّسْنُوْنٍ ۟
इबलीस ने अहंकारपूर्वक कहा : मेरे लिए यह उचित नहीं कि मैं एक मनुष्य को सजदा करूँ, जिसे तूने सूखी मिट्टी से पैदा किया, जो पहले एक काली बदबूदार मिट्टी थी।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَاِنَّكَ رَجِیْمٌ ۟ۙ
अल्लाह ने इबलीस से कहा : तू जन्नत से निकल जा। क्योंकि तू धिक्कार दिया गया है।
अरबी तफ़सीरें:
وَّاِنَّ عَلَیْكَ اللَّعْنَةَ اِلٰی یَوْمِ الدِّیْنِ ۟
और निश्चय ही क़ियामत के दिन तक तुझपर धिक्कार और मेरी दया से दूरी है।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ رَبِّ فَاَنْظِرْنِیْۤ اِلٰی یَوْمِ یُبْعَثُوْنَ ۟
इबलीस ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे उस दिन तक मोहलत दे और जीवित रख, जिस दिन सभी लोग दोबारा जीवित किए जाएँगे।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ فَاِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِیْنَ ۟ۙ
अल्लाह ने उससे कहा : निःसंदेह तू मोहलत दिए गए लोगों में से है जिनकी मृत्यु को मैंने विलंबित कर दी है।
अरबी तफ़सीरें:
اِلٰی یَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُوْمِ ۟
उस समय तक, जब प्रथम बार सूर फूँके जाने पर सभी लोग मर जाएँगे।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ رَبِّ بِمَاۤ اَغْوَیْتَنِیْ لَاُزَیِّنَنَّ لَهُمْ فِی الْاَرْضِ وَلَاُغْوِیَنَّهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
इबलीस ने कहा : ऐ मेरे रब! तूने मुझे गुमराह किया है, इस कारण मैं अवश्य ही उनके लिए धरती में गुनाहों को सुंदर बनाऊँगा और उन सभी को सीधे रास्ते से गुमराह करूँगा।
अरबी तफ़सीरें:
اِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِیْنَ ۟
सिवाय तेरे उन बंदों के, जिन्हें तूने अपनी इबादत के लिए चुन लिया है।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ هٰذَا صِرَاطٌ عَلَیَّ مُسْتَقِیْمٌ ۟
अल्लाह ने फरमाया : यही मेरे पास पहुँचाने वाला सीधा रास्ता है।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ عِبَادِیْ لَیْسَ لَكَ عَلَیْهِمْ سُلْطٰنٌ اِلَّا مَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْغٰوِیْنَ ۟
मेरे चयनित बंदों को गुमराह करने की तेरा कोई शक्ति और अधिकार नहीं, सिवाय इसके गुमराहों में से जो खुद तेरे पीछे चलने लगें।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوْعِدُهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
निश्चय इबलीस और उसके पीछे चलने वाले सभी भटके हुए लोगों के वादा का स्थान जहन्नम है।
अरबी तफ़सीरें:
لَهَا سَبْعَةُ اَبْوَابٍ ؕ— لِكُلِّ بَابٍ مِّنْهُمْ جُزْءٌ مَّقْسُوْمٌ ۟۠
जहन्नम के सात द्वार हैं, जिनसे वे प्रवेश करेंगे। उनमें से हर द्वार से इबलीस के पीछे चलने वालों की एक निश्चित संख्या प्रवेश करेगी।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ الْمُتَّقِیْنَ فِیْ جَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ؕ
निश्चय अपने पालनहार के आदेश का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से बचकर, उससे डरने वाले लोग बाग़ों और स्रोतों में होंगे।
अरबी तफ़सीरें:
اُدْخُلُوْهَا بِسَلٰمٍ اٰمِنِیْنَ ۟
उसमें प्रवेश के समय उनसे कहा जाएगा : इसमें हर प्रकार की आपदा से सुरक्षित होकर और भयमुक्त होकर प्रवेश कर जाओ।
अरबी तफ़सीरें:
وَنَزَعْنَا مَا فِیْ صُدُوْرِهِمْ مِّنْ غِلٍّ اِخْوَانًا عَلٰی سُرُرٍ مُّتَقٰبِلِیْنَ ۟
और हम उनके दिलों को हर तरह के द्वेष और दुश्मनी से पवित्र कर देंगे। वे भाई-भाई बनकर, एक-दूसरे को देखते हुए तख़्तों पर बैठे होंगे।
अरबी तफ़सीरें:
لَا یَمَسُّهُمْ فِیْهَا نَصَبٌ وَّمَا هُمْ مِّنْهَا بِمُخْرَجِیْنَ ۟
उन्हें वहाँ न कोई थकान होगी और न वे वहाँ से निकाले जाएँगे। बल्कि वे वहाँ हमेशा रहेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
نَبِّئْ عِبَادِیْۤ اَنِّیْۤ اَنَا الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمُ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) मेरे बंदों को बता दें कि मैं अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, उनपर दयावान् हूँ।
अरबी तफ़सीरें:
وَاَنَّ عَذَابِیْ هُوَ الْعَذَابُ الْاَلِیْمُ ۟
और उन्हें बता दें कि मेरी यातना ही कष्टदायक यातना है। इसलिए वे मुझ से तौबा करें, ताकि मेरी क्षमा के भागीदार बन सकें और मेरी यातना से बच सकें।
अरबी तफ़सीरें:
وَنَبِّئْهُمْ عَنْ ضَیْفِ اِبْرٰهِیْمَ ۟ۘ
और आप उन्हें इबराहीम अलैहिस्सलाम के पास अतिथि बनकर आने वाले फ़रिश्तों के बारे में बताएँ, जो उनके पास बेटे की शुभ सूचना और लूत अलैहिस्सलाम की जाति के विनाश की सूचना लेकर आए थे।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• في الآيات دليل على تزاور المتقين واجتماعهم وحسن أدبهم فيما بينهم، في كون كل منهم مقابلًا للآخر لا مستدبرًا له.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि सदाचारी लोग (जन्नत में) एक-दूसरे का दर्शन करने जाएँगे, आपस में मिलेंगे और यह शिष्टाचार बरतेंगे कि एक-दूसरे के आमने-सामने होकर बैठेंगे। कोई किसी की ओर पीठ नहीं करेगा।

• ينبغي للعبد أن يكون قلبه دائمًا بين الخوف والرجاء، والرغبة والرهبة.
• बंदे को चाहिए कि उसका दिल हमेशा भय और आशा तथा चाहत और डर के बीच रहे।

• سجد الملائكة لآدم كلهم أجمعون سجود تحية وتكريم إلا إبليس رفض وأبى.
• सभी फ़रिश्तों ने आदम अलैहिस्सलाम को अभिवादन और सम्मान के तौर पर सजदा किया, किंतु इबलीस ने इनकार कर दिया।

• لا سلطان لإبليس على الذين هداهم الله واجتباهم واصطفاهم في أن يلقيهم في ذنب يمنعهم عفو الله.
• इबलीस उन लोगों को, जिन्हें अल्लाह ने सत्य मार्ग दिखाया और चुन लिया, ऐसे पाप में नहीं डाल सकता, जो क्षमा योग्य न हो।

اِذْ دَخَلُوْا عَلَیْهِ فَقَالُوْا سَلٰمًا ؕ— قَالَ اِنَّا مِنْكُمْ وَجِلُوْنَ ۟
जब वे इबराहीम अलैहिस्सलाम के पास आए, तो उन्होंने उसे सलाम किया। उसने उन्हें उनके सलाम से बेहतर जवाब दिया और उनके सामने खाने के लिए एक भूना हुआ बछड़ा रखा। क्योंकि वह उन्हें इनसान समझ रहे थे, परंतु जब उन्होंने खाने को हाथ नहीं लगाया, तो बोले : हमें तुमसे डर महसूस हो रहा है।
अरबी तफ़सीरें:
قَالُوْا لَا تَوْجَلْ اِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلٰمٍ عَلِیْمٍ ۟
तो संदेश लाने वाले फ़रिश्तों ने कहा : डरिए नहीं। हम आपको एक ऐसी चीज़ की सूचना दे रहे हैं जिससे आपको खुशी प्राप्त होगी। आपको एक ज्ञानी बेटा होगा।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ اَبَشَّرْتُمُوْنِیْ عَلٰۤی اَنْ مَّسَّنِیَ الْكِبَرُ فَبِمَ تُبَشِّرُوْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम ने बेटे की शुभ सूचना पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा : क्या तुम मुझे इस बुढ़ापे के बावजूद बेटे की शुभ सूचना देते हो, तो तुम किस आधार पर मुझे शुभ सूचना दे रहे हो?
अरबी तफ़सीरें:
قَالُوْا بَشَّرْنٰكَ بِالْحَقِّ فَلَا تَكُنْ مِّنَ الْقٰنِطِیْنَ ۟
शुभ सूचना लाने वाले फ़रिश्तों ने इबराहीम अलैहिस्सलाम से कहा : हमने आपको उस सत्य की शुभ सूचना दी है जिसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए आप उस चीज़ से निराश न हों, जिसकी हमने आपको शुभ सूचना दी है।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ وَمَنْ یَّقْنَطُ مِنْ رَّحْمَةِ رَبِّهٖۤ اِلَّا الضَّآلُّوْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम ने कहा : क्या अल्लाह के सीधे रास्ते से भटके हुए लोगों के सिवा भी कोई अपने रब की दया से निराश होता है?!
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ اَیُّهَا الْمُرْسَلُوْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ अल्लाह के भेजे हुए फ़रिश्तो! तुम किस अभियान के तहत आए हो?
अरबी तफ़सीरें:
قَالُوْۤا اِنَّاۤ اُرْسِلْنَاۤ اِلٰی قَوْمٍ مُّجْرِمِیْنَ ۟ۙ
संदेश लाने वाले फ़रिश्तों ने कहा : अल्लाह ने हमें एक महा भ्रष्टाचारी, महा बुराई वाले समुदाय को नष्ट करने के लिए भेजा है, और वे लूत की जाति के लोग हैं।
अरबी तफ़सीरें:
اِلَّاۤ اٰلَ لُوْطٍ ؕ— اِنَّا لَمُنَجُّوْهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
लूत के घर वालों और उनके अनुयायी मोमिनों के सिवा। विनाश का आदेश उनके लिए नहीं है। हम उन सबको उससे अवश्य बचा लेने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
اِلَّا امْرَاَتَهٗ قَدَّرْنَاۤ ۙ— اِنَّهَا لَمِنَ الْغٰبِرِیْنَ ۟۠
परंतु उनकी पत्नी का मामला अलग है। हमारा निर्णय है कि वह उन बाक़ी लोगों में से है, जो विनाश से पीड़ित होंगे।
अरबी तफ़सीरें:
فَلَمَّا جَآءَ اٰلَ لُوْطِ ١لْمُرْسَلُوْنَ ۟ۙ
फिर जब अल्लाह के भेजे हुए फ़रिश्ते पुरुषों की शक्ल में लूत के घर वालों के पास आए।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ اِنَّكُمْ قَوْمٌ مُّنْكَرُوْنَ ۟
लूत अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : तुम अनजान लोग हो।
अरबी तफ़सीरें:
قَالُوْا بَلْ جِئْنٰكَ بِمَا كَانُوْا فِیْهِ یَمْتَرُوْنَ ۟
संदेशवाहक फ़रिश्तों ने लूत अलैहिस्सलाम से कहा : डरिए मत। बल्कि - ऐ लूत! - हम आपके पास वह यातना लेकर आए हैं, जिसके बारे में आपकी जाति के लोग संदेह किया करते थे, जो उनका विनाश करने वाली है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاَتَیْنٰكَ بِالْحَقِّ وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ۟
हम आपके पास वह सच्चाई लेकर आए हैं जिसमें कोई मज़ाक़ नहीं है, और हमने आपको जो कुछ बताया है उसमें हम बिल्कुल सच्चे हैं।
अरबी तफ़सीरें:
فَاَسْرِ بِاَهْلِكَ بِقِطْعٍ مِّنَ الَّیْلِ وَاتَّبِعْ اَدْبَارَهُمْ وَلَا یَلْتَفِتْ مِنْكُمْ اَحَدٌ وَّامْضُوْا حَیْثُ تُؤْمَرُوْنَ ۟
इसलिए रात के एक हिस्से के बीत जाने के बाद अपने परिवार के साथ चल पड़ें। तथा आप स्वयं उनके पीछे-पीछे चलें। और आप लोगों में से कोई भी पीछे मुड़कर न देखे कि उनके साथ क्या हुआ। और अल्लाह ने आप लोगों को जहाँ जाने का आदेश दिया है, वहाँ चलते जाओ।
अरबी तफ़सीरें:
وَقَضَیْنَاۤ اِلَیْهِ ذٰلِكَ الْاَمْرَ اَنَّ دَابِرَ هٰۤؤُلَآءِ مَقْطُوْعٌ مُّصْبِحِیْنَ ۟
और हमने लूत अलैहिस्सलाम को वह़्य (प्रकाशना) द्वारा उस मामले से सूचित कर दिया जिसका हमने निर्णय किया था कि सुबह होते ही इनके अंतिम व्यक्ति तक को विनष्ट करके इनका उन्मूलन कर दिया जाएगा।
अरबी तफ़सीरें:
وَجَآءَ اَهْلُ الْمَدِیْنَةِ یَسْتَبْشِرُوْنَ ۟
और सदूम वाले, दुष्कर्म करने की लालच में, लूत अलैहिस्सलाम के अतिथियों पर बहुत खुश होकर आए।
अरबी तफ़सीरें:
قَالَ اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ ضَیْفِیْ فَلَا تَفْضَحُوْنِ ۟ۙ
लूत अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : ये लोग मेरे अतिथि हैं। अतः मुझे उस चीज़ के द्वारा अपमानित न करो जो तुम उनके साथ करना चाहते हो।
अरबी तफ़सीरें:
وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَلَا تُخْزُوْنِ ۟
इस अश्लीलता को छोड़कर अल्लाह से डरो और अपने इस जघन्य कार्य से मुझे अपमानित न करो।
अरबी तफ़सीरें:
قَالُوْۤا اَوَلَمْ نَنْهَكَ عَنِ الْعٰلَمِیْنَ ۟
उनकी जाति ने उनसे कहा : क्या हमने आपको किसी भी व्यक्ति को अतिथि बनाने से मना नहीं किया?
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• تعليم أدب الضيف بالتحية والسلام حين القدوم على الآخرين.
• अतिथि शिष्टाचार की शिक्षा कि दूसरों के पास आने पर सलाम किया जाए।

• من أنعم الله عليه بالهداية والعلم العظيم لا سبيل له إلى القنوط من رحمة الله.
• अल्लाह ने जिसे भी मार्गदर्शन और महान ज्ञान प्रदान किया है, उसके पास अल्लाह की दया से निराश होने का कोई रास्ता नहीं है।

• نهى الله تعالى لوطًا وأتباعه عن الالتفات أثناء نزول العذاب بقوم لوط حتى لا تأخذهم الشفقة عليهم.
• अल्लाह तआला ने लूत अलैहिस्सलाम और उनके अनुयायियों को लूत अलैहिस्सलाम की जाति पर यातना उतरते समय पीछे मुड़कर देखने से मना किया था, ताकि उन्हें उनपर दया न आ जाए।

• تصميم قوم لوط على ارتكاب الفاحشة مع هؤلاء الضيوف دليل على طمس فطرتهم، وشدة فحشهم.
• लूत अलैहिस्सलाम की जाति का इन अतिथियों के साथ दुष्कर्म करने का दृढ़ निश्चय, उनकी प्रकृति के विकृत हो जाने और उनकी अश्लीलता की गंभीरता को दर्शाता है।

قَالَ هٰۤؤُلَآءِ بَنَاتِیْۤ اِنْ كُنْتُمْ فٰعِلِیْنَ ۟ؕ
लूत अलैहिस्सलाम ने अपने अतिथियों के सामने अपने लिए उज़्र प्रस्तुत करते हुए अपनी जाति के लोगों से कहा : ये तुम्हारी कुल स्त्रियों में से मेरी बेटियाँ हैं। अतः यदि तुम अपनी कामवासना की पूर्ति चाहते हो, तो इनसे शादी कर लो।
अरबी तफ़सीरें:
لَعَمْرُكَ اِنَّهُمْ لَفِیْ سَكْرَتِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आपके जीवन की क़सम, निःसंदेह लूत अलैहिस्सलाम की जाति के लोग अपनी कामवासना की प्रबलता में भटक रहे थे।
अरबी तफ़सीरें:
فَاَخَذَتْهُمُ الصَّیْحَةُ مُشْرِقِیْنَ ۟ۙ
अंततः उनके सूरज निकलने के समय में प्रवेश करते ही उन्हें एक तेज़ विनाशकारी आवाज़ ने पकड़ लिया।
अरबी तफ़सीरें:
فَجَعَلْنَا عَالِیَهَا سَافِلَهَا وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ حِجَارَةً مِّنْ سِجِّیْلٍ ۟ؕ
तो हमने उनकी बस्तियों को ऊपर-नीचे पलट दिया और उनपर कंकड़ के पत्थर बरसाए।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّلْمُتَوَسِّمِیْنَ ۟
लूत अलैहिस्सलाम की जाति पर उतरने वाले विनाश की घटना में, सोच-विचार करने वालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنَّهَا لَبِسَبِیْلٍ مُّقِیْمٍ ۟
लूत अलैहिस्सलाम की जाति की बस्तियाँ एक स्थायी रास्ते (सार्वजनिक मार्ग) पर स्थित हैं, वहाँ से गुज़रने वाले यात्री उन्हें देख सकते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّلْمُؤْمِنِیْنَ ۟ؕ
यह जो कुछ घटित हुआ, इसमें ईमान वालों के लिए एक निशानी है, जिससे वे सीख ले सकते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنْ كَانَ اَصْحٰبُ الْاَیْكَةِ لَظٰلِمِیْنَ ۟ۙ
घने पेड़ों वाली बस्ती वाले, शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति के लोग भी अत्याचारी थे। क्योंकि उन्होंने अल्लाह का इनकार किया था और उसके रसूल शुऐब अलैहिस्सलाम को झुठलाया था।
अरबी तफ़सीरें:
فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ ۘ— وَاِنَّهُمَا لَبِاِمَامٍ مُّبِیْنٍ ۟ؕ۠
तो हमने उनसे प्रतिशोध (बदला) लिया। चुनाँचे उन्हें यातना ने पकड़ लिया। और लूत अलैहिस्सलाम की जाति की बस्तियाँ और शुऐब अलैहिस्सलाम के मानने वालों के घर ऐसे मार्ग पर स्थित हैं जो वहाँ से गुज़रने वाले के लिए बिल्कुल स्पष्ट है।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ كَذَّبَ اَصْحٰبُ الْحِجْرِ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
और समूद की जाति अर्थात् ह़िज्र (हिजाज़ और शाम के बीच एक स्थान) के रहने वालों ने अपने नबी सालेह अलैहिस्सलाम को झुठलाकर सभी रसूलों को झुठलाया।
अरबी तफ़सीरें:
وَاٰتَیْنٰهُمْ اٰیٰتِنَا فَكَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟ۙ
और हमने उन्हें उनके सच्चे नबी होने के प्रमाण और निशानियाँ दी थीं, जिनमें से एक निशानी ऊँटनी थी। परंतु उन्होंने उन प्रमाणों से सीख नहीं लिया और उनकी कोई परवाह नहीं की।
अरबी तफ़सीरें:
وَكَانُوْا یَنْحِتُوْنَ مِنَ الْجِبَالِ بُیُوْتًا اٰمِنِیْنَ ۟
वे पहाड़ों को काटते थे ताकि अपने लिए घर बनाकर उनमें भयमुक्त होकर निवास करें।
अरबी तफ़सीरें:
فَاَخَذَتْهُمُ الصَّیْحَةُ مُصْبِحِیْنَ ۟ۙ
अंततः उनके सुबह के समय में प्रवेश करते ही, उन्हें यातना के चीत्कार ने पकड़ लिया।
अरबी तफ़सीरें:
فَمَاۤ اَغْنٰی عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟ؕ
परंतु उनके कमाए हुए धन और उनके घर उनसे अल्लाह की यातना को टाल न सके।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَاۤ اِلَّا بِالْحَقِّ ؕ— وَاِنَّ السَّاعَةَ لَاٰتِیَةٌ فَاصْفَحِ الصَّفْحَ الْجَمِیْلَ ۟
हमने आसमानों और ज़मीन और उनके बीच की समस्त चीज़ों को बिना हिकमत के व्यर्थ (निरुद्देश्य) पैदा नहीं किया है। हमने यह सब सत्य के साथ पैदा किया है और निःसंदेह क़ियामत अवश्य आने वाली है। अतः (ऐ रसूल!) आप झुठलाने वालों को नज़रअंदाज़ कर दें और उन्हें भले तौर पर क्षमा कर दें।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِیْمُ ۟
निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार ही हर चीज़ को पैदा करने वाला और उसका ज्ञान रखने वाला है।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ اٰتَیْنٰكَ سَبْعًا مِّنَ الْمَثَانِیْ وَالْقُرْاٰنَ الْعَظِیْمَ ۟
और हमने आपको सूरतुल-फ़ातिहा प्रदान की, जो सात आयतें हैं और वही महान क़ुरआन है।
अरबी तफ़सीरें:
لَا تَمُدَّنَّ عَیْنَیْكَ اِلٰی مَا مَتَّعْنَا بِهٖۤ اَزْوَاجًا مِّنْهُمْ وَلَا تَحْزَنْ عَلَیْهِمْ وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
हमने काफ़िरों के विभिन्न प्रकार के लोगों को, नष्ट हो जाने वाली जीवन की जो सामग्रियाँ दे रखी हैं, आप उनकी ओर न देखें और उनके झुठलाने पर दुखी न हों और मोमिनों के प्रति विनम्रता अपनाएँ।
अरबी तफ़सीरें:
وَقُلْ اِنِّیْۤ اَنَا النَّذِیْرُ الْمُبِیْنُ ۟ۚ
(ऐ रसूल!) आप कह दें कि मैं यातना से खुले तौर पर सावधान करने वाला हूँ।
अरबी तफ़सीरें:
كَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلَی الْمُقْتَسِمِیْنَ ۟ۙ
मैं तुम्हें इस बात से डराता हूँ कि तुमपर उसी तरह की यातना आए, जिस तरह की यातना अल्लाह ने उन लोगो पर अवतिरत की थी, जिन्होंने अल्लाह की किताबों को विभिन्न भागों में बाँट दिया था। चुनाँचे वे कुछ भागों पर ईमान रखते थे और कुछ भागों का इनकार करते थे।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• أن الله تعالى إذا أراد أن يهلك قرية ازداد شرهم وطغيانهم، فإذا انتهى أوقع بهم من العقوبات ما يستحقونه.
• अल्लाह जब किसी बस्ती को नष्ट करना चाहता है, तो उसके वासियों की बुराई और सरकशी बढ़ जाती है। जब वह चरम सीमा को पहुँच जाती है, तो उन्हें वह सज़ा देता है जिसके वे पात्र होते हैं।

• كراهة دخول مواطن العذاب، ومثلها دخول مقابر الكفار، فإن دخل الإنسان إلى تلك المواضع والمقابر فعليه الإسراع.
• जिन स्थानों पर यातना उतरी है, वहाँ जाना नापसंदीदा है। यही हुक्म काफ़िरों की कब्रिस्तानों का है। अगर किसी को उन स्थानों और कब्रिस्तानों में जाना पड़े, तो उसे वहाँ से निकलने में जल्दी करनी चाहिए।

• ينبغي للمؤمن ألا ينظر إلى زخارف الدنيا وزهرتها، وأن ينظر إلى ما عند الله من العطاء.
• मोमिन को दुनिया की शोभा और उसकी चमक-दमक की ओर नहीं देखना चाहिए, उसे यह देखना चाहिए कि अल्लाह के पास क्या कुछ अनुदान और बख़्शिश है।

• على المؤمن أن يكون بعيدًا من المشركين، ولا يحزن إن لم يؤمنوا، قريبًا من المؤمنين، متواضعًا لهم، محبًّا لهم ولو كانوا فقراء.
• मोमिन को बहुदेववादियों से दूर रहना चाहिए, और यदि वे ईमान न लाएँ तो दुखी न हो। तथा वह मोमिनों के क़रीब रहे, उनके साथ विनम्रता अपनाए और उनसे प्यार करे, भले ही वे ग़रीब हों।

الَّذِیْنَ جَعَلُوا الْقُرْاٰنَ عِضِیْنَ ۟
जिन्होंने क़ुरआन को खंड-खंड कर डाला। चुनाँचे उन्होंने कहा : यह जादू है, या कहानत (ज्योतिष) है, या शे'र (काव्य) है।
अरबी तफ़सीरें:
فَوَرَبِّكَ لَنَسْـَٔلَنَّهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
अतः (ऐ रसूल!) आपके पालनहार की क़सम! हम क़ियामत के दिन उन सभी लोगों से अवश्य पूछेंगे, जिन्होंने क़ुरआन को खंड-खंड बना लिया।
अरबी तफ़सीरें:
عَمَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
हम उनसे कुफ़्र और गुनाहों के बारे में अवश्य पूछेंगे, जो वे दुनिया में किया करते थे।
अरबी तफ़सीरें:
فَاصْدَعْ بِمَا تُؤْمَرُ وَاَعْرِضْ عَنِ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
अतः (ऐ रसूल!) अल्लाह ने आपको जिसकी ओर लोगों को बुलाने का आदेश दिया है, उसकी घोषणा कर दें और मुश्रिक लोग जो कुछ कहते और करते हैं, उस पर ध्यान न दें।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّا كَفَیْنٰكَ الْمُسْتَهْزِءِیْنَ ۟ۙ
आप उनसे न डरें। क्योंकि हम क़ुरैश के मज़ाक़ उड़ाने वाले कुफ़्र के प्रमुखों की चालों को नाकाम बनाने के लिए आपकी ओर से काफ़ी हैं।
अरबी तफ़सीरें:
الَّذِیْنَ یَجْعَلُوْنَ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ ۚ— فَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ ۟
जो अल्लाह के साथ अन्य पूज्य बनाते हैं। अतः वे अपने शिर्क का बुरा परिणाम जान लेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَقَدْ نَعْلَمُ اَنَّكَ یَضِیْقُ صَدْرُكَ بِمَا یَقُوْلُوْنَ ۟ۙ
और निश्चय हम जानते हैं कि (ऐ रसूल!) उनके आपको झुठलाने और आपका मज़ाक़ उड़ाने के कारण आपका सीना तंग होता है।
अरबी तफ़सीरें:
فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَكُنْ مِّنَ السّٰجِدِیْنَ ۟ۙ
अतः आप अल्लाह को उन चीज़ों से पाक करके जो उसके योग्य नहीं हैं, तथा उसके पूर्णता के गुणों के साथ उसकी प्रशंसा करते हुए अल्लाह का आश्रय लें, तथा अल्लाह की उपासना करने वालों, उसके लिए नमाज़ पढ़ने वालों में से हो जाएँ। क्योंकि इसमें आपके दिल की तंगी का इलाज है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاعْبُدْ رَبَّكَ حَتّٰی یَاْتِیَكَ الْیَقِیْنُ ۟۠
तथा जब तक आप जीवित हैं, अपने रब की इबादत करना जारी रखें और उसपर क़ायम रहें, यहाँ तक कि इसी अवस्था में आपके पास मौत आ जाए।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• عناية الله ورعايته بصَوْن النبي صلى الله عليه وسلم وحمايته من أذى المشركين.
• अल्लाह तआला का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बहुदेववादियों (मुश्रिकों) के कष्ट से रक्षा करके आपकी देखभाल।

• التسبيح والتحميد والصلاة علاج الهموم والأحزان، وطريق الخروج من الأزمات والمآزق والكروب.
• अल्लाह की पवित्रता (तस्बीह) बयान करना, उसकी प्रशंसा करना और नमाज़ पढ़ना, दुखों और चिंताओं का इलाज तथा संकटों, दुविधाओं और कठिनाइयों से निकलने का रास्ता है।

• المسلم مطالب على سبيل الفرضية بالعبادة التي هي الصلاة على الدوام حتى يأتيه الموت، ما لم يغلب الغشيان أو فقد الذاكرة على عقله.
• एक मुसलमान के लिए अनिवार्य रूप से उपासना करना आवश्यक है, जो कि हमेशा नमाज़ पढ़ना है यहाँ तक कि उसकी मृत्यु आ जाए, जब तक कि उसका दिमाग़ बेहोशी या स्मृति की हानि से अभिभूत न हो जाए।

• سمى الله الوحي روحًا؛ لأنه تحيا به النفوس.
• अल्लाह ने 'वह़्य' को 'रूह़' कहा है, क्योंकि इससे दिलों को जीवन मिलता है।

• مَلَّكَنا الله تعالى الأنعام والدواب وذَلَّلها لنا، وأباح لنا تسخيرها والانتفاع بها؛ رحمة منه تعالى بنا.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान ने हम पर दया व कृपा करते हुए, हमें चौपायों और जानवरों का मालिक बनाया और उन्हें हमारे लिए वशीभूत कर दिया, तथा हमारे लिए उनका वशीकरण करना और उनसे फ़ायदा उठाना जायज़ ठहराया।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-ह़िज्र
सूरों की सूची पृष्ठ संख्या
 
क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - अनुवादों की सूची

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

बंद करें