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क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - पवित्र क़ुरआन की संक्षिप्त व्याख्या का हिंदी अनुवाद। * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: अन्-निसा   आयत:
وَاِذَا كُنْتَ فِیْهِمْ فَاَقَمْتَ لَهُمُ الصَّلٰوةَ فَلْتَقُمْ طَآىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ مَّعَكَ وَلْیَاْخُذُوْۤا اَسْلِحَتَهُمْ ۫— فَاِذَا سَجَدُوْا فَلْیَكُوْنُوْا مِنْ وَّرَآىِٕكُمْ ۪— وَلْتَاْتِ طَآىِٕفَةٌ اُخْرٰی لَمْ یُصَلُّوْا فَلْیُصَلُّوْا مَعَكَ وَلْیَاْخُذُوْا حِذْرَهُمْ وَاَسْلِحَتَهُمْ ۚ— وَدَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْ تَغْفُلُوْنَ عَنْ اَسْلِحَتِكُمْ وَاَمْتِعَتِكُمْ فَیَمِیْلُوْنَ عَلَیْكُمْ مَّیْلَةً وَّاحِدَةً ؕ— وَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ اِنْ كَانَ بِكُمْ اَذًی مِّنْ مَّطَرٍ اَوْ كُنْتُمْ مَّرْضٰۤی اَنْ تَضَعُوْۤا اَسْلِحَتَكُمْ ۚ— وَخُذُوْا حِذْرَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ اَعَدَّ لِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابًا مُّهِیْنًا ۟
जब - ऐ रसूल! - आप दुश्मन से युद्ध के समय सेना के साथ रहें और लोगों को नमाज़ पढ़ाना चाहें, तो सेना को दो समूहों में विभाजित कर दें : एक समूह आपके साथ नमाज़ पढ़े और नमाज़ के समय हथियार अपने साथ रखे। दूसरा समूह तुम्हारी पहरेदारी करे। जब पहला समूह इमाम के साथ एक रक्अत पढ़ ले, तो अकेले नमाज़ पूरी कर ले। जब वह नमाज़ पढ़ चुके तो तुम्हारे पीछे दुश्मन की ओर खड़ा हो जाए और वह समूह आए जो पहरेदारी में लगे होने के कारण नमाज़ नहीं पढ़ सका था और इमाम के साथ एक रक्अत नमाज़ पढ़े। जब इमाम सलाम फेर दे, तो वह अपनी बाक़ी नमाज़ पूरी करे और दुश्मन से बचाव के लिए अपने हथियार उठाए रखे। क्योंकि काफ़िर चाहते हैं कि नमाज़ के समय तुम अपने हथियारों और सामानों से बेख़बर हो जाओ और वे तुमपर यकायक धावा बोल दें और तुम्हारी असावधानी की हालत में तुम्हें पकड़ लें। यदि वर्षा के कारण तुम्हें कष्ट हो अथवा तुम बीमार आदि हो, तो तुमपर कोई गुनाह नहीं है कि तुम अपने हथियार रख दो और उसे उठाए न रहो, परंतु जहाँ तक हो सके अपने दुश्मन से सावधान रहो। निःसंदेह अल्लाह ने काफ़िरों के लिए अपमानकारी यातना तैयार कर रखी है।
अरबी तफ़सीरें:
فَاِذَا قَضَیْتُمُ الصَّلٰوةَ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ قِیٰمًا وَّقُعُوْدًا وَّعَلٰی جُنُوْبِكُمْ ۚ— فَاِذَا اطْمَاْنَنْتُمْ فَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ ۚ— اِنَّ الصَّلٰوةَ كَانَتْ عَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ كِتٰبًا مَّوْقُوْتًا ۟
जब - ऐ मोमिनो - तुम नमाज़ अदा कर चुको, तो खड़े, बैठे और लेटे अपनी सभी परिस्थितियों में तस्बीह, तहमीद और तहलील के साथ अल्लाह को याद करो। फिर जब तुम्हारा भय दूर हो जाए और तुम निश्चिंत हो जाओ तो नमाज़ को उसके अर्कान, वाजिबात और मुस्तह़ब्बात के साथ पूर्ण रूप से अदा करो, जैसा कि तुम्हें आदेश दिया गया है। निःसंदेह नमाज़ मोमिनों पर एक नियत समय के साथ फ़र्ज की गई है। उसे बिना किसी कारण के उसके निर्धारित समय से विलंब करना जायज़ नहीं है। यह किसी स्थान पर निवास करने की स्थिति में है, लेकिन यात्रा की हालत में तुम्हारे लिए दो नमाजों को एक साथ पढ़ना तथा चार रक्अत वाली नमाज़ को क़स्र करके दो रक्अत पढ़ना जायज़ है।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَا تَهِنُوْا فِی ابْتِغَآءِ الْقَوْمِ ؕ— اِنْ تَكُوْنُوْا تَاْلَمُوْنَ فَاِنَّهُمْ یَاْلَمُوْنَ كَمَا تَاْلَمُوْنَ ۚ— وَتَرْجُوْنَ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا یَرْجُوْنَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلِیْمًا حَكِیْمًا ۟۠
- ऐ मोमिनो - अपने काफ़िर दुश्मनों का पीछा करने में कमज़ोर और आलसी न बनो। यदि तुम्हें अपने आपको पहुँचने वाले क़त्ल और आघात से तकलीफ़ महसूस होती है, तो इसी तरह वे भी तकलीफ़ महसूस करते हैं जिस तरह तुम तकलीफ़ महसूस करते हो, तथा उन्हें भी कष्ट पहुँचता है जिस तरह तुमहें कष्ट पहुँचता है। अतः उनका धैर्य तुम्हारे धैर्य से बढ़कर नहीं होना चाहिए। क्योंकि तुम्हें अल्लाह से जिस सवाब, सहायता और समर्थन की आशा है, उसकी आशा उन्हें नहीं है। और अल्लाह अपने बंदों की स्थितियों से अवगत, तथा अपने प्रबंधन और विधान-रचना में हिकमत वाला है।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّاۤ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ لِتَحْكُمَ بَیْنَ النَّاسِ بِمَاۤ اَرٰىكَ اللّٰهُ ؕ— وَلَا تَكُنْ لِّلْخَآىِٕنِیْنَ خَصِیْمًا ۟ۙ
हमने - ऐ रसूल - आपकी ओर सत्य पर आधारित क़ुरआन उतारा है; ताकि आप लोगों के बीच उनके सभी मामलों में उसके अनुसार फ़ैसला करें, जो अल्लाह ने आपको सिखाया और आपके दिल में डाला है, न कि अपने मन की आकांक्षा और राय के अनुसार। तथा आप स्वयं के साथ विश्वासघात करने वालों और अमानतों में ख़यानत करने वालों के तरफ़दार न बनें कि उनसे अधिकार माँगने वालों से उनका बचाव करें।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• استحباب صلاة الخوف وبيان أحكامها وصفتها.
• ख़ौफ़ की नमाज़ क मुसतह़ब होना और उसके प्रावधानों और विधि का वर्णन।

• الأمر بالأخذ بالأسباب في كل الأحوال، وأن المؤمن لا يعذر في تركها حتى لو كان في عبادة.
• सभी परिस्थितियों में कारणों को अपनाने का आदेश और यह कि मोमिन को किसी भी परिस्थिति में उन्हें छोड़ने की अनुमति नहीं है, यहाँ तक कि इबादत में भी नहीं।

• مشروعية دوام ذكر الله تعالى على كل حال، فهو حياة القلوب وسبب طمأنينتها.
• हर हाल में अल्लाह का ज़िक्र करने की वैधता। क्योंकि यह दिलों का जीवन और उनके संतोष का कारण है।

• النهي عن الضعف والكسل في حال قتال العدو، والأمر بالصبر على قتاله.
• दुश्मन से युद्ध करते समय कमज़ोरी और आलस्य से मनाही करना और उससे लड़ने के लिए धैर्य का आदेश देना।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: अन्-निसा
सूरों की सूची पृष्ठ संख्या
 
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कुरआन अध्ययन एवं व्याख्या केंद्र द्वारा निर्गत।

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