क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-मुनाफ़िक़ून   आयत:

सूरा अल्-मुनाफ़िक़ून

सूरा के उद्देश्य:
بيان حقيقة المنافقين والتحذير منهم.
मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) की वास्तविकता का वर्णन तथा उनसे सावधान करना।

اِذَا جَآءَكَ الْمُنٰفِقُوْنَ قَالُوْا نَشْهَدُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُ اللّٰهِ ۘ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُهٗ ؕ— وَاللّٰهُ یَشْهَدُ اِنَّ الْمُنٰفِقِیْنَ لَكٰذِبُوْنَ ۟ۚ
जब मुनाफ़िक़ लोग, जो इस्लाम का प्रदर्शन करते हैं और दिल में कुफ़्र छिपाए होते हैं, (ऐ रसूल!) आपकी सभा में आते हैं, तो कहते हैं : हम गवाही देते हैं कि निःसंदेह आप सचमुच अल्लाह के रसूल हैं। और अल्लाह जानता है कि निःसंदेह आप सचमुच उसके रसूल हैं। तथा अल्लाह गवाही देता है कि मुनाफ़िक़ लोग अपने इस दावे में निश्चित रूप से झूठे हैं कि वे अपने दिलों की गहराइयों से गवाही देते हैं कि आप उसके रसूल हैं।
अरबी तफ़सीरें:
اِتَّخَذُوْۤا اَیْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّهُمْ سَآءَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उन्होंने अपनी क़समों को, जो वे अपने ईमान के दावे पर खाते हैं, क़त्ल तथा क़ैद से बचने के लिए ढाल बना लिया है तथा संदेहवाद और झूठी अफवाह फैलाकर लोगों को ईमान से रोका है। निःसंदेह बहुत बुरा है, जो वे पाखंड और झूठी क़समें खाना आदि बुरे काम कर रहे थे।
अरबी तफ़सीरें:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ اٰمَنُوْا ثُمَّ كَفَرُوْا فَطُبِعَ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا یَفْقَهُوْنَ ۟
ऐसा इसलिए है क्योंकि वे दिखाने के लिए ईमान लाए थे और ईमान उनके दिलों तक नहीं पहुँचा था, फिर उन्होंने गुप्त रूप से अल्लाह के साथ कुफ़्र किया। इसलिए उनके कुफ़्र के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः अब उनके अंदर ईमान प्रवेश नहीं कर सकता। तो उस मुहर के कारण उन्हें समझ नहीं आता कि उनकी भलाई और मार्गदर्शन किस में है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِذَا رَاَیْتَهُمْ تُعْجِبُكَ اَجْسَامُهُمْ ؕ— وَاِنْ یَّقُوْلُوْا تَسْمَعْ لِقَوْلِهِمْ ؕ— كَاَنَّهُمْ خُشُبٌ مُّسَنَّدَةٌ ؕ— یَحْسَبُوْنَ كُلَّ صَیْحَةٍ عَلَیْهِمْ ؕ— هُمُ الْعَدُوُّ فَاحْذَرْهُمْ ؕ— قَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ؗ— اَنّٰی یُؤْفَكُوْنَ ۟
और जब तुम (ऐ देखने वाले) उन्हें देखो, तो उनके परम सुख व आनंद और ताजगी के कारण उनकी आकृति और आकार तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा, और अगर वे बात करें, तो तुम उनकी बात को उसकी वाक्पटुता के कारण कान लगाकर सुनोगे। वे आपकी सभा में (ऐ रसूल) ऐसे बैठे होते हैं, मानो कि वे दीवार के सहारे लगाई हुई लकड़ियाँ हैं। न कुछ समझते हैं और न याद रखते हैं, बल्कि उनकी कायरता का हाल यह है कि वे हर आवाज़ को अपने ही विरुद्ध समझते हैं। वही वास्तविक दुश्मन हैं। अतः, (ऐ रसूल) उनसे सावधान रहें कि कहीं वे आपके किसी रहस्य को उजागर न कर दें या आपके विरुद्ध कोई चाल न चलें। उन पर अल्लाह की लानत है। वे ईमान से कैसे फेरे जा रहे हैं, जबकि उसके प्रमाण स्पष्ट और उसके तर्क साफ़ नज़र आते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• وجوب السعي إلى الجمعة بعد النداء وحرمة ما سواه من الدنيا إلا لعذر.
• अज़ान के बाद जुमे की नमाज़ के लिए निकलना ज़रूरी है और बिना किसी शरई कारण के उसके सिवा कोई और कार्य करना हराम है।

• تخصيص سورة للمنافقين فيه تنبيه على خطورتهم وخفاء أمرهم.
• मुनाफ़िक़ो के बारे में एक पूरी सूरत उतारने में, उनके खतरे एवं गंभीरता तथा उनके मामले के गुप्त होने पर एक चेतावनी है।

• العبرة بصلاح الباطن لا بجمال الظاهر ولا حسن المنطق.
• इस्लाम में अंतरात्मा (हृदय) की शुद्धता का एतिबार है, ज़ाहिरी सुंदरता और अच्छी बात का नहीं।

وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا یَسْتَغْفِرْ لَكُمْ رَسُوْلُ اللّٰهِ لَوَّوْا رُءُوْسَهُمْ وَرَاَیْتَهُمْ یَصُدُّوْنَ وَهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ۟
और जब इन मुनाफ़िकों से कहा जाए : जो कुछ तुमसे हुआ उसके लिए माफ़ी मांगते हुए अल्लाह के रसूल के पास आओ, वह अल्लाह से तुम्हारे पापों के लिए क्षमा याचना करेंगे, तो वे मज़ाक उड़ाते हुए अपने सिर घुमा लेते हैं, और आप उन्हें देखेंगे कि सत्य को स्वीकार करने और उसका पालन करने से घमंड करते हुए, उससे मुँह मोड़ लेते हैं, जिसका उन्हें आदेश दिया गया था।
अरबी तफ़सीरें:
سَوَآءٌ عَلَیْهِمْ اَسْتَغْفَرْتَ لَهُمْ اَمْ لَمْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ ؕ— لَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟
(ऐ रसूल) आपका उनके गुनाहों के लिए क्षमा याचना करना और उनके लिए क्षमा याचना न करना दोनों बराबर है। अल्लाह उनके गुनाहों को हरगिज़ माफ़ नहीं करेगा। अल्लाह उन लोगों को सामर्थ्य प्रदान नहीं करता, जो उसकी आज्ञाकारिता से निकल जाने वाले और उसकी अवज्ञा पर अड़े रहने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
هُمُ الَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ لَا تُنْفِقُوْا عَلٰی مَنْ عِنْدَ رَسُوْلِ اللّٰهِ حَتّٰی یَنْفَضُّوْا ؕ— وَلِلّٰهِ خَزَآىِٕنُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِیْنَ لَا یَفْقَهُوْنَ ۟
वही लोग हैं, जो कहते हैं : अपना धन उन गरीबों और मदीने के आस-पास के देहातियों पर खर्च न करो, जो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास हैं, यहाँ तक कि वे उनसे अलग हो जाएँ। हालाँकि आकाशों के खज़ाने और पृथ्वी के खज़ाने केवल अल्लाह ही के हैं। वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, उसे प्रदान करता है। लेकिन मुनाफ़िक़ों को पता नहीं है कि रोज़ी के खज़ाने अल्लाह महिमावान ही के हाथ में हैं।
अरबी तफ़सीरें:
یَقُوْلُوْنَ لَىِٕنْ رَّجَعْنَاۤ اِلَی الْمَدِیْنَةِ لَیُخْرِجَنَّ الْاَعَزُّ مِنْهَا الْاَذَلَّ ؕ— وَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُوْلِهٖ وَلِلْمُؤْمِنِیْنَ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
उनका सरदार अब्दुल्लाह बिन उबैय कहता है : अगर हम मदीना लौटकर गए तो सबसे सम्माननीय लोग (अर्थात मैं और मेरे लोग) वहाँ से सबसे तुच्छ लोगों; यानी मुहम्मद और उनके साथियों को निकाल बाहर करेंगे। हालाँकि सम्मान केवल अल्लाह के लिए, उसके रसूल के लिए और मोमिनों के लिए है, अब्दुल्लाह बिन उबैय और उसके साथियों के लिए नहीं है। लेकिन मुनाफ़िक़ लोग यह नहीं जानते कि सम्मान अल्लाह, उसके रसूल और मोमिनों के लिए है।
अरबी तफ़सीरें:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تُلْهِكُمْ اَمْوَالُكُمْ وَلَاۤ اَوْلَادُكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ۚ— وَمَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! तुम्हारे धन और तुम्हारी संतानें तुम्हें नमाज़ या इस्लाम के अन्य कर्तव्यों से गाफ़िल न करें। और जिसे उसके धन और उसकी संतान ने नमाज़ और उसके अलावा अल्लाह के अनिवार्य किए हुए अन्य कर्तव्यों से गाफ़िल कर दिया, तो वही लोग वास्तव में घाटा उठाने वाले हैं, जिन्होंने क़ियामत के दिन अपने आपको और अपने परिजनों को घाटे में डाल दिया।
अरबी तफ़सीरें:
وَاَنْفِقُوْا مِنْ مَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ فَیَقُوْلَ رَبِّ لَوْلَاۤ اَخَّرْتَنِیْۤ اِلٰۤی اَجَلٍ قَرِیْبٍ ۙ— فَاَصَّدَّقَ وَاَكُنْ مِّنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
और अल्लाह की राह में उन धनों में से खर्च करो, जो अल्लाह ने तुम्हें दिए हैं, इससे पहले कि तुममें से किसी की मौत आ जाए, फिर वह अपने पालनहार से कहे : ऐ मेरे पालनहार! तूने मुझे थोड़ी-सी मोहलत क्यों न दी कि मैं अल्लाह की राह में अपना धन दान करता और अल्लाह के उन नेक बंदों में से हो जाता, जिनके कर्म नेक होते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَنْ یُّؤَخِّرَ اللّٰهُ نَفْسًا اِذَا جَآءَ اَجَلُهَا ؕ— وَاللّٰهُ خَبِیْرٌ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟۠
और अल्लाह किसी प्राणी को उस समय हरगिज़ मोहलत नहीं देगा, जब उसकी मृत्यु का समय आ गया और उसका जीवन बीत चुका। और अल्लाह उससे अवगत है, जो कुछ तुम करते हो। उससे तुम्हारा कोई भी काम ओझल नहीं रहता और वह तुम्हें तुम्हारे हर काम का बदला देगा। अगर भला काम है, तो भला बदला और अगर बुरा है, तो बुरा।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• الإعراض عن النصح والتكبر من صفات المنافقين.
• नसीहत से मुँह फेरना और घमंड करना मुनाफ़िकों की विशेषता है।

• من وسائل أعداء الدين الحصار الاقتصادي للمسلمين.
• इस्लाम के दुश्मनों का एक हथियार मुसलमानों की आर्थिक नाकाबंदी है।

• خطر الأموال والأولاد إذا شغلت عن ذكر الله.
• धन और संतान की जोखिम, यदि वे अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल कर दें।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-मुनाफ़िक़ून
सूरों की सूची पृष्ठ संख्या
 
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