क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद आयत: (3) सूरा: सूरा अल्-मुल्क
الَّذِیْ خَلَقَ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ طِبَاقًا ؕ— مَا تَرٰی فِیْ خَلْقِ الرَّحْمٰنِ مِنْ تَفٰوُتٍ ؕ— فَارْجِعِ الْبَصَرَ ۙ— هَلْ تَرٰی مِنْ فُطُوْرٍ ۟
जिसने सात आकाश बनाए, प्रत्येक आकाश उसके पहले के ऊपर एक परत के रूप में इस तरह है कि एक आसमान और दूसरे आसमान के बीच कोई मिलन नहीं है। (ऐ देखने वाले) तुम अल्लाह की रचना में कोई असमानता या असंगति नहीं देखोगे। तुम फिर से नज़र दौड़ाओ क्या तुम्हें कोई दरार या फटन दिखाई देती है?! तुम्हें इस तरह की कोई चीज़ हरगिज़ नज़र नहीं आएगी, बल्कि तुम एक सुदृढ़ और मज़बूत रचना देखोगे।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• في معرفة الحكمة من خلق الموت والحياة وجوب المبادرة للعمل الصالح قبل الموت.
• मृत्यु और जीवन बनाने की हिकमत को जानने में, मृत्यु से पहले सत्कर्म करने में जल्दी करने की अनिवार्यता का संकेत है।

• حَنَقُ جهنم على الكفار وغيظها غيرةً لله سبحانه.
• अल्लाह के लिए स्वाभिमान के तौर पर, काफ़िरों के खिलाफ जहन्नम का प्रकोप और उसका गुस्सा।

• سبق الجن الإنس في ارتياد الفضاء وكل من تعدى حده منهم، فإنه سيناله الرصد بعقاب.
• जिन्न अंतरिक्ष में मानव जाति से पहले पहुँच चुके हैं, और उनमें से जो भी अपनी सीमा को पार कर गया, उसे निगरानी करने वालों की सज़ा का सामना होगा।

• طاعة الله وخشيته في الخلوات من أسباب المغفرة ودخول الجنة.
• अल्लाह का आज्ञापालन करना और एकांत में उससे डरना, क्षमा और जन्नत में प्रवेश का एक कारण है।

 
अर्थों का अनुवाद आयत: (3) सूरा: सूरा अल्-मुल्क
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