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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद सूरः: हूद   श्लोक:
قَالَتْ یٰوَیْلَتٰۤی ءَاَلِدُ وَاَنَا عَجُوْزٌ وَّهٰذَا بَعْلِیْ شَیْخًا ؕ— اِنَّ هٰذَا لَشَیْءٌ عَجِیْبٌ ۟
वह बोली : हाय मेरा दुर्भाग्य! क्या मेरी संतान होगी, जबकि मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ और मेरा यह पति भी बूढ़ा है? वास्तव में, यह बड़े आश्चर्य की बात है।
अरबी व्याख्याहरू:
قَالُوْۤا اَتَعْجَبِیْنَ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ رَحْمَتُ اللّٰهِ وَبَرَكٰتُهٗ عَلَیْكُمْ اَهْلَ الْبَیْتِ ؕ— اِنَّهٗ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ ۟
फ़रिश्तों ने कहा : क्या तू अल्लाह के आदेश पर आश्चर्य करती है? ऐ घर वालो! तुम सब पर अल्लाह की दया तथा बरकतों की वर्षा हो। निःसंदेह वह अति प्रशंसित, गौरवशाली है।
अरबी व्याख्याहरू:
فَلَمَّا ذَهَبَ عَنْ اِبْرٰهِیْمَ الرَّوْعُ وَجَآءَتْهُ الْبُشْرٰی یُجَادِلُنَا فِیْ قَوْمِ لُوْطٍ ۟ؕ
फिर जब इबराहीम का भय दूर हो गया और उसे शुभ सूचना मिल गई, तो वह हमसे लूत की जाति के बारे में झगड़ने लगा।[27]
27. अर्थात प्रार्थना करने लगा कि लूत की जाति को और संभलने का अवसर दिया जाए। हो सकता है कि वे ईमान ले आएँ।
अरबी व्याख्याहरू:
اِنَّ اِبْرٰهِیْمَ لَحَلِیْمٌ اَوَّاهٌ مُّنِیْبٌ ۟
निःसंदेह इबराहीम बड़ा सहनशील, बहुत विलाप करने वाला और हर मामले में अल्लाह की ओर पलटने वाला था।
अरबी व्याख्याहरू:
یٰۤاِبْرٰهِیْمُ اَعْرِضْ عَنْ هٰذَا ۚ— اِنَّهٗ قَدْ جَآءَ اَمْرُ رَبِّكَ ۚ— وَاِنَّهُمْ اٰتِیْهِمْ عَذَابٌ غَیْرُ مَرْدُوْدٍ ۟
(फ़रिश्तों ने कहा :) ऐ इबराहीम! इस बात को रहने दो। निःसंदेह तुम्हारे पालनहार का आदेश[28] आ चुका तथा उनपर ऐसी यातना आने वाली है, जो हटाई जाने वाली नहीं।
28. आर्थात यातना का आदेश।
अरबी व्याख्याहरू:
وَلَمَّا جَآءَتْ رُسُلُنَا لُوْطًا سِیْٓءَ بِهِمْ وَضَاقَ بِهِمْ ذَرْعًا وَّقَالَ هٰذَا یَوْمٌ عَصِیْبٌ ۟
और जब हमारे फ़रिश्ते लूत के पास आए, तो उनका आना उसे बुरा लगा और उनके कारण व्याकुल[29] हो गया और कहा : यह तो बड़ा कठोर दिन है।
29. फ़रिश्ते सुंदर किशोरों के रूप में आए थे। और लूत अलैहिस्सलाम की जाति का आचरण यह था कि वे बालमैथुन में रूचि रखती थे। इसलिए उन्होंने उनको पकड़ने की कोशिश की। इसीलिए इन अतिथियों के आने पर लूत अलैहिस्सलाम व्याकुल हो गए थे।
अरबी व्याख्याहरू:
وَجَآءَهٗ قَوْمُهٗ یُهْرَعُوْنَ اِلَیْهِ ؕ— وَمِنْ قَبْلُ كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ السَّیِّاٰتِ ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ هٰۤؤُلَآءِ بَنَاتِیْ هُنَّ اَطْهَرُ لَكُمْ فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَلَا تُخْزُوْنِ فِیْ ضَیْفِیْ ؕ— اَلَیْسَ مِنْكُمْ رَجُلٌ رَّشِیْدٌ ۟
और उसकी जाति के लोग दौड़ते हुए उसके पास आ गए और वे पहले से कुकर्म[30] किया करते थे। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! ये मेरी[31] बेटियाँ हैं, ये तुम्हारे लिए अधिक पवित्र हैं। अतः अल्लाह से डरो और मुझे मेरे अतिथियों में अपमानित न करो। क्या तुममें कोई भला आदमी नहीं?
30. अर्थात बालमैथुन। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी) 31. अर्थात बस्ती की स्त्रियाँ। क्योंकि जाति का नबी उनके पिता के समान होता है। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी)
अरबी व्याख्याहरू:
قَالُوْا لَقَدْ عَلِمْتَ مَا لَنَا فِیْ بَنَاتِكَ مِنْ حَقٍّ ۚ— وَاِنَّكَ لَتَعْلَمُ مَا نُرِیْدُ ۟
उन लोगों ने कहा : निश्चय तुम तो जानते हो कि हमें तुम्हारी बेटियों से कोई मतलब नहीं।[32] तथा निःसंदेह तुम भली-भाँति जानते हो कि हम क्या चाहते हैं।
32. अर्थात हमें स्त्रियों में कोई रूचि नहीं है।
अरबी व्याख्याहरू:
قَالَ لَوْ اَنَّ لِیْ بِكُمْ قُوَّةً اَوْ اٰوِیْۤ اِلٰی رُكْنٍ شَدِیْدٍ ۟
लूत ने कहा : काश, मेरे पास तुमसे मुक़ाबले की शक्ति होती या मैं किसी मज़बूत सहारे की शरण लेता!
अरबी व्याख्याहरू:
قَالُوْا یٰلُوْطُ اِنَّا رُسُلُ رَبِّكَ لَنْ یَّصِلُوْۤا اِلَیْكَ فَاَسْرِ بِاَهْلِكَ بِقِطْعٍ مِّنَ الَّیْلِ وَلَا یَلْتَفِتْ مِنْكُمْ اَحَدٌ اِلَّا امْرَاَتَكَ ؕ— اِنَّهٗ مُصِیْبُهَا مَاۤ اَصَابَهُمْ ؕ— اِنَّ مَوْعِدَهُمُ الصُّبْحُ ؕ— اَلَیْسَ الصُّبْحُ بِقَرِیْبٍ ۟
फ़रिश्तों ने कहा : ऐ लूत! हम तेरे पालनहार के भेजे हुए (फ़रिश्ते) हैं। वे कदापि तेरे पास नहीं पहुँच सकेंगे। अतः तू रात के किसी हिस्से में अपने घरवालों को लेकर निकल जा और तुममें से कोई पीछे मुड़कर न देखे, सिवाय तेरी पत्नी के। उसपर भी वही बीतने वाला है, जो उनपर बीतेगा। उनकी यातना का निर्धारित समय प्रातः काल है। क्या प्रातः काल निकट नहीं है?
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद सूरः: हूद
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । - अनुवादहरूको सूची

यसलाई अजिजुल हक उमरीले अनुवाद गरेका छन् ।

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