पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (50) सूरः: सूरतु यूसुफ
وَقَالَ الْمَلِكُ ائْتُوْنِیْ بِهٖ ۚ— فَلَمَّا جَآءَهُ الرَّسُوْلُ قَالَ ارْجِعْ اِلٰی رَبِّكَ فَسْـَٔلْهُ مَا بَالُ النِّسْوَةِ الّٰتِیْ قَطَّعْنَ اَیْدِیَهُنَّ ؕ— اِنَّ رَبِّیْ بِكَیْدِهِنَّ عَلِیْمٌ ۟
और राजा ने कहा : उसे मेरे पास लाओ। फिर जब दूत यूसुफ़ के पास पहुँचा, तो उन्होंने (उससे) कहा : अपने मालिक के पास वापस जाओ[14] और उससे पूछो कि उन स्त्रियों का क्या मामला है, जिन्होंने अपने हाथ काट लिए थे? निःसंदेह मेरा पालनहार उन स्त्रियों के छल से भली-भाँति अवगत है।
14. यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को बंदी बनाए जाने से अधिक उसका कारण जानने की चिंता थी। वह चाहते थे कि क़ैद से निकलने से पहले यह सिद्ध होना चाहिए कि मैं निर्दोष था।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (50) सूरः: सूरतु यूसुफ
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पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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