पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (5) सूरः: सूरतुर्रअद
وَاِنْ تَعْجَبْ فَعَجَبٌ قَوْلُهُمْ ءَاِذَا كُنَّا تُرٰبًا ءَاِنَّا لَفِیْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ؕ۬— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ الْاَغْلٰلُ فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
तथा यदि आप आश्चर्य करते हैं, तो उनका यह कहना[1] बुत आश्चर्यपूर्ण है कि क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे, तो क्या वास्तव में हम निश्चय एक नया जीवन पाएँगे। यही लोग हैं जिन्होंने अपने पालनहार के साथ कुफ़्र किया, तथा यही हैं जिनकी गर्दनों में तौक़ होंगे और यही नरक वाले हैं, वे उसमें सदैव रहने वाले हैं।
1. क्योंकि कि वे जानते हैं कि बीज धरती में सड़ कर मिल जाता है, फिर उससे पौधा उगता है।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (5) सूरः: सूरतुर्रअद
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पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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