पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (15) सूरः: सूरतु लुकमान
وَاِنْ جٰهَدٰكَ عَلٰۤی اَنْ تُشْرِكَ بِیْ مَا لَیْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا وَصَاحِبْهُمَا فِی الدُّنْیَا مَعْرُوْفًا ؗ— وَّاتَّبِعْ سَبِیْلَ مَنْ اَنَابَ اِلَیَّ ۚ— ثُمَّ اِلَیَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
और यदि वे दोनों तुझपर दबाव डालें कि तू मेरे साथ उस चीज़ को साझी ठहराए, जिसका तुझे कोई ज्ञान नहीं, तो उन दोनों की बात मत मान[3] और दुनिया में उनके साथ सुचारु रूप से रह[4], तथा उसके मार्ग पर चल, जो मेरी ओर पलटता है। फिर मेरी ही ओर तुम्हें लौटकर आना है। तो मैं तुम्हें बताऊँगा, जो कुछ तुम किया करते थे।
3. ह़दीस में है कि पाप में किसी की बात नहीं माननी है, पुण्य में माननी है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 7257) 4. अर्थात माता-पिता यदि मिश्रणवादी और काफ़िर हों, तब भी उनकी संसार में सहायता करो।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (15) सूरः: सूरतु लुकमान
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद - अनुवादहरूको सूची

पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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