पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (41) सूरः: सूरतु फातिर
اِنَّ اللّٰهَ یُمْسِكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ اَنْ تَزُوْلَا ۚ۬— وَلَىِٕنْ زَالَتَاۤ اِنْ اَمْسَكَهُمَا مِنْ اَحَدٍ مِّنْ بَعْدِهٖ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ حَلِیْمًا غَفُوْرًا ۟
निःसंदेह अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे (रोके)[14] हुए है कि (कहीं) वे दोनों (अपनी जगह से) हट (टल) न जाएँ। और वास्तव में यदि वे दोनों हट (टल) जाएँ, तो उसके बाद कोई भी उन्हें थाम (रोक) नहीं सकेगा। निःसंदेह वह अत्यंत सहनशील, बहुत क्षमा करने वाला है।
15. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रात में नमाज़ के लिए जागते, तो आकाश की ओर देखते और यह पूरी आयत पढ़ते थे। (सह़ीह़ बुख़ारी : 7452)
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (41) सूरः: सूरतु फातिर
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद - अनुवादहरूको सूची

पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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