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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद सूरः: न्निसा   श्लोक:
وَّاسْتَغْفِرِ اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟ۚ
तथा अल्लाह से क्षमा याचना करें। निःसंदेह अल्लाह अति क्षमाशील, बड़ा दयावान् है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَلَا تُجَادِلْ عَنِ الَّذِیْنَ یَخْتَانُوْنَ اَنْفُسَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ مَنْ كَانَ خَوَّانًا اَثِیْمًا ۟ۚۙ
और आप ऐसे लोगों का पक्ष न लें, जो अपने आपसे विश्वासघात करते हैं। निःसंदेह अल्लाह विश्वासघात करने वाले, पापी से प्रेम नहीं करता।[71]
71. आयत का भावार्थ यह है कि न्यायधीश को ऐसी बात नहीं करनी चाहिए, जिसमें किसी का पक्षपात हो।
अरबी व्याख्याहरू:
یَّسْتَخْفُوْنَ مِنَ النَّاسِ وَلَا یَسْتَخْفُوْنَ مِنَ اللّٰهِ وَهُوَ مَعَهُمْ اِذْ یُبَیِّتُوْنَ مَا لَا یَرْضٰی مِنَ الْقَوْلِ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ بِمَا یَعْمَلُوْنَ مُحِیْطًا ۟
वे लोगों से छिपते हैं, परंतु अल्लाह से नहीं छिपते। हालाँकि वह उनके साथ होता है, जब वे रात में उस बात की गुप्त योजना बनाते हैं, जिससे वह प्रसन्न नहीं[72] होता। तथा वे जो कुछ करते हैं, अल्लाह उसे घेरे हुए है।
72. आयत का भावार्थ यह है कि मुसलमानों को अपना सहधर्मी अथवा अपनी जाति या परिवार का होने के कारण किसी अपराधी का पक्षपात नहीं करना चाहिए। क्योंकि संसार न जाने, परंतु अल्लाह तो जानता है कि कौन अपराधी है, कौन नहीं।
अरबी व्याख्याहरू:
هٰۤاَنْتُمْ هٰۤؤُلَآءِ جَدَلْتُمْ عَنْهُمْ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۫— فَمَنْ یُّجَادِلُ اللّٰهَ عَنْهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ اَمْ مَّنْ یَّكُوْنُ عَلَیْهِمْ وَكِیْلًا ۟
सुनो, तुम लोगों ने सांसारिक जीवन में तो उनकी ओर से झगड़ लिया। परंतु क़यामत के दिन उनकी ओर से अल्लाह से कौन झगड़ेगा या कौन उनका वकील होगा?
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَنْ یَّعْمَلْ سُوْٓءًا اَوْ یَظْلِمْ نَفْسَهٗ ثُمَّ یَسْتَغْفِرِ اللّٰهَ یَجِدِ اللّٰهَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
जो व्यक्ति कोई बुरा काम करे अथवा अपने ऊपर अत्याचार करे, फिर अल्लाह से क्षमा माँगे, तो वह अल्लाह को बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् पाएगा।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَنْ یَّكْسِبْ اِثْمًا فَاِنَّمَا یَكْسِبُهٗ عَلٰی نَفْسِهٖ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلِیْمًا حَكِیْمًا ۟
और जो व्यक्ति कोई पाप करता है, तो निःसंदेह वह उसका भार अपने ऊपर ही लादता[73] है, तथा अल्लाह सब कुछ जानने वाला, हिकमत वाला है।
73. भावार्थ यह है कि जो अपराध करता है, उसके अपराध का दुष्परिणाम उसी के ऊपर है। अतः तुम यह न सोचो कि अपराधी के अपने सहधर्मी अथवा संबंधी होने के कारण, उसका अपराध सिद्ध हो गया, तो हमपर भी धब्बा लग जाएगा।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَنْ یَّكْسِبْ خَطِیْٓئَةً اَوْ اِثْمًا ثُمَّ یَرْمِ بِهٖ بَرِیْٓـًٔا فَقَدِ احْتَمَلَ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِیْنًا ۟۠
और जो व्यक्ति कोई ग़लती अथवा पाप करे, फिर उसका आरोप किसी निर्दोष पर लगा दे, तो उसने मिथ्या दोषारोपण तथा खुले पाप[74] का बोझ उठा लिया।
74. अर्थात स्वयं पाप करके दूसरे पर आरोप लगाना दोहरा पाप है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَیْكَ وَرَحْمَتُهٗ لَهَمَّتْ طَّآىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ اَنْ یُّضِلُّوْكَ ؕ— وَمَا یُضِلُّوْنَ اِلَّاۤ اَنْفُسَهُمْ وَمَا یَضُرُّوْنَكَ مِنْ شَیْءٍ ؕ— وَاَنْزَلَ اللّٰهُ عَلَیْكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُ ؕ— وَكَانَ فَضْلُ اللّٰهِ عَلَیْكَ عَظِیْمًا ۟
और (ऐ नबी!) यदि आपपर अल्लाह का अनुग्रह और उसकी दया न होती, तो उनके एक समूह ने निश्चय आपको बहकाने का इरादा[75] कर लिया था। हालाँकि वे केवल अपने आप को ही पथभ्रष्ट कर रहे हैं और वे आपको कुछ भी हानि नहीं पहुँचा सकते। और अल्लाह ने आपपर पुस्तक तथा हिकमत अवतरित की है और आपको वह कुछ सिखाया है, जो आप नहीं जानते थे। और आपपर अल्लाह का अनुग्रह बहुत बड़ा है।
75. कि आप निर्दोष को अपराधी समझ लें।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद सूरः: न्निसा
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । - अनुवादहरूको सूची

यसलाई अजिजुल हक उमरीले अनुवाद गरेका छन् ।

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