पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (35) सूरः: सूरतुल् जासिया
ذٰلِكُمْ بِاَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ اٰیٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّغَرَّتْكُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا ۚ— فَالْیَوْمَ لَا یُخْرَجُوْنَ مِنْهَا وَلَا هُمْ یُسْتَعْتَبُوْنَ ۟
यह इस कारण है कि तुमने अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाया तथा दुनिया की ज़िंदगी ने तुम्हें धोखा दिया। तो आज न वे इससे निकाले जाएँगे और न उनसे तौबा करने को कहा जाएगा।[11]
11. अर्थात अल्लाह की निशानियों तथा आदेशों का उपहास तथा दुनिया के धोखे में लिप्त रहना। ये दो अपराध ऐसे हैं जिन्होंने तुम्हें नरक की यातना का पात्र बना दिया। अब उससे निकलने की संभावना नहीं तथा न इस बात की आशा है कि किसी प्रकार तुम्हें तौबा तथा क्षमा याचना का अवसर प्रदान कर दिया जाए और तुम क्षमा माँग कर अल्लाह को मना लो।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (35) सूरः: सूरतुल् जासिया
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पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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