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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद सूरः: माइदः   श्लोक:
سَمّٰعُوْنَ لِلْكَذِبِ اَكّٰلُوْنَ لِلسُّحْتِ ؕ— فَاِنْ جَآءُوْكَ فَاحْكُمْ بَیْنَهُمْ اَوْ اَعْرِضْ عَنْهُمْ ۚ— وَاِنْ تُعْرِضْ عَنْهُمْ فَلَنْ یَّضُرُّوْكَ شَیْـًٔا ؕ— وَاِنْ حَكَمْتَ فَاحْكُمْ بَیْنَهُمْ بِالْقِسْطِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُقْسِطِیْنَ ۟
बहुत सुनने वाले हैं झूठ को, बहुत खाने वाले हैं हराम को। फिर यदि वे आपके पास आएँ, तो आप उनके बीच निर्णय करें या उनसे मुँह फेर लें, और यदि आप उनसे मुँह फेर लें, तो वे आपको हरगिज़ कोई हानि नहीं पहुँचा सकेंगे और यदि आप निर्णय करें, तो उनके बीच न्याय के साथ निर्णय करें। निःसंदेह अल्लाह न्याय करने वालों से प्रेम करता है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَكَیْفَ یُحَكِّمُوْنَكَ وَعِنْدَهُمُ التَّوْرٰىةُ فِیْهَا حُكْمُ اللّٰهِ ثُمَّ یَتَوَلَّوْنَ مِنْ بَعْدِ ذٰلِكَ ؕ— وَمَاۤ اُولٰٓىِٕكَ بِالْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
और वे आपको कैसे न्यायकर्ता बनाते हैं, जबकि उनके पास तौरात है, जिसमें अल्लाह का हुक्म (मौजूद) है! फिर वे उसके पश्चात मुँह फेर लेते हैं। और ये लोग कदापि ईमान वाले नहीं।[31]
31. क्योंकि वे न तो आपको नबी मानते, और न आपका निर्णय मानते, तथा न तौरात का आदेश मानते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
اِنَّاۤ اَنْزَلْنَا التَّوْرٰىةَ فِیْهَا هُدًی وَّنُوْرٌ ۚ— یَحْكُمُ بِهَا النَّبِیُّوْنَ الَّذِیْنَ اَسْلَمُوْا لِلَّذِیْنَ هَادُوْا وَالرَّبّٰنِیُّوْنَ وَالْاَحْبَارُ بِمَا اسْتُحْفِظُوْا مِنْ كِتٰبِ اللّٰهِ وَكَانُوْا عَلَیْهِ شُهَدَآءَ ۚ— فَلَا تَخْشَوُا النَّاسَ وَاخْشَوْنِ وَلَا تَشْتَرُوْا بِاٰیٰتِیْ ثَمَنًا قَلِیْلًا ؕ— وَمَنْ لَّمْ یَحْكُمْ بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْكٰفِرُوْنَ ۟
निःसंदेह हमने तौरात उतारी, जिसमें मार्गदर्शन और प्रकाश था। उसके अनुसार वे नबी जो आज्ञाकारी थे उन लोगों के लिए फ़ैसला करते थे, जो यहूदी बने, तथा अल्लाह वाले और विद्वान लोग भी (उसी के अनुसार फ़ैसला करते थे)। क्योंकि वे अल्लाह की पुस्तक के रक्षक बनाए गए थे और वे उसके (सत्य होने के) गवाह थे। अतः तुम लोगों से न डरो, केवल मुझसे डरो और मेरी आयतों के बदले तनिक मूल्य न खरीदो। और जो उसके अनुसार फ़ैसला न करे जो अल्लाह ने उतारा है, तो वही लोग काफ़िर हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
وَكَتَبْنَا عَلَیْهِمْ فِیْهَاۤ اَنَّ النَّفْسَ بِالنَّفْسِ ۙ— وَالْعَیْنَ بِالْعَیْنِ وَالْاَنْفَ بِالْاَنْفِ وَالْاُذُنَ بِالْاُذُنِ وَالسِّنَّ بِالسِّنِّ ۙ— وَالْجُرُوْحَ قِصَاصٌ ؕ— فَمَنْ تَصَدَّقَ بِهٖ فَهُوَ كَفَّارَةٌ لَّهٗ ؕ— وَمَنْ لَّمْ یَحْكُمْ بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
और हमने उस (तौरात) में उन (यहूदियों) पर लिख दिया कि प्राण के बदले प्राण है और आँख के बदले आँख, नाक के बदले नाक, कान के बदले कान, दाँत के बदले दाँत[32] तथा सभी घावों में बराबर बदला है। फिर जो इस (बदला) को दान (माफ़) कर दे, तो वह उसके (पापों के) लिए प्रायश्चित है। तथा जो उसके अनुसार फ़ैसला न करे जो अल्लाह ने उतारा है, तो वही लोग अत्याचारी हैं।
32. इस्लाम में भी यही नियम है और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दाँत तोड़ने पर यही निर्णय दिया था। (सह़ीह़ बुखारी : 4611)
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद सूरः: माइदः
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । - अनुवादहरूको सूची

यसलाई अजिजुल हक उमरीले अनुवाद गरेका छन् ।

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