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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद श्लोक: (19) सूरः: इन्फितार
یَوْمَ لَا تَمْلِكُ نَفْسٌ لِّنَفْسٍ شَیْـًٔا ؕ— وَالْاَمْرُ یَوْمَىِٕذٍ لِّلّٰهِ ۟۠
जिस दिन कोई प्राणी किसी प्राणी के लिए किसी चीज़ का अधिकार न रखेगा और उस दिन आदेश केवल अल्लाह का होगा।[5]
5. (17-19) इन आयतों में दो वाक्यों में प्रलय की चर्चा दोहराकर उसकी भयानकता को दर्शाते हुए बताया गया है कि निर्णय बे लाग होगा। कोई किसी की सहायता नहीं कर सकेगा। सत्य आस्था और सत्कर्म ही सहायक होंगे जिसका मार्ग क़ुरआन दिखा रहा है। क़ुरआन की सभी आयतों में प्रतिकार का दिन प्रलय के दिन को ही बताया गया है जिस दिन प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्मानुसार प्रतिकार मिलेगा।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (19) सूरः: इन्फितार
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पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी । - अनुवादहरूको सूची

यसलाई अजिजुल हक उमरीले अनुवाद गरेका छन् ।

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