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सूरा अश्-शु-अ़-रा

طٰسٓمّٓ ۟
ता, सीन, मीम।
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تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ الْمُبِیْنِ ۟
ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।
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لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ اَلَّا یَكُوْنُوْا مُؤْمِنِیْنَ ۟
शायद (ऐ रसूल!) आप अपने आपको हलाक करने वाले हैं, इसलिए कि वे ईमान नहीं लाते।[1]
1. अर्थात उनके ईमान न लाने के शोक में।
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اِنْ نَّشَاْ نُنَزِّلْ عَلَیْهِمْ مِّنَ السَّمَآءِ اٰیَةً فَظَلَّتْ اَعْنَاقُهُمْ لَهَا خٰضِعِیْنَ ۟
यदि हम चाहें, तो उनपर आकाश से कोई निशानी उतार दें, फिर उसके सामने उनकी गर्दनें झुकी रह जाएँ।[2]
2. परंतु ऐसा नहीं किया, क्योंकि दबाव का ईमान स्वीकार्य तथा मान्य नहीं होता।
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وَمَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ ذِكْرٍ مِّنَ الرَّحْمٰنِ مُحْدَثٍ اِلَّا كَانُوْا عَنْهُ مُعْرِضِیْنَ ۟
और जब भी 'रह़मान' (अति दयावान्) की ओर से उनके पास कोई नई नसीहत आती है, तो वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।
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فَقَدْ كَذَّبُوْا فَسَیَاْتِیْهِمْ اَنْۢبٰٓؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
अतः निःसंदेह उन्होंने झुठला दिया, तो शीघ्र ही उनके पास उस चीज़ की खबरें आ जाएँगी, जिसका वे उपहास उड़ाया करते थे।
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اَوَلَمْ یَرَوْا اِلَی الْاَرْضِ كَمْ اَنْۢبَتْنَا فِیْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِیْمٍ ۟
और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें हर उत्तम प्रकार के कितने पौधे उगाए हैं?
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اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदे इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी[3] है। (परंतु) उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे।
3. अर्थात अल्लाह के सामर्थ्य की।
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وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
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وَاِذْ نَادٰی رَبُّكَ مُوْسٰۤی اَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
और जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि उन ज़ालिम लोगों[4] के पास जाओ।
4. यह उस समय की बात है जब मूसा (अलैहिस्सलाम) दस वर्ष मदयन में रहकर मिस्र वापस आ रहे थे।
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قَوْمَ فِرْعَوْنَ ؕ— اَلَا یَتَّقُوْنَ ۟
फ़िरऔन की जाति के पास। क्या वे डरते नहीं?
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قَالَ رَبِّ اِنِّیْۤ اَخَافُ اَنْ یُّكَذِّبُوْنِ ۟ؕ
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे।
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وَیَضِیْقُ صَدْرِیْ وَلَا یَنْطَلِقُ لِسَانِیْ فَاَرْسِلْ اِلٰی هٰرُوْنَ ۟
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती, अतः हारून की ओर संदेश भेज।
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وَلَهُمْ عَلَیَّ ذَنْۢبٌ فَاَخَافُ اَنْ یَّقْتُلُوْنِ ۟ۚۖ
और उनका मुझपर एक अपराध का आरोप है। अतः मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।
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قَالَ كَلَّا ۚ— فَاذْهَبَا بِاٰیٰتِنَاۤ اِنَّا مَعَكُمْ مُّسْتَمِعُوْنَ ۟
(अल्लाह ने) फरमाया : ऐसा कभी नहीं होगा, अतः तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ। निःसंदेह हम तुम्हारे साथ ख़ूब सुनने[5] वाले हैं।
5. अर्थात तुम दोनों की सहायता करते रहेंगे।
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فَاْتِیَا فِرْعَوْنَ فَقُوْلَاۤ اِنَّا رَسُوْلُ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
तो तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ और कहो कि निःसंदेह हम सारे संसारों के पालनहार के संदेशवाहक हैं।
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اَنْ اَرْسِلْ مَعَنَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
कि तू बनी इसराईल को हमारे साथ भेज दे।
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قَالَ اَلَمْ نُرَبِّكَ فِیْنَا وَلِیْدًا وَّلَبِثْتَ فِیْنَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِیْنَ ۟ۙ
(फ़िरऔन ने) कहा : क्या हमने तुझे अपने यहाँ इस हाल में नहीं पाला कि तू बच्चा था और तू हमारे बीच अपनी आयु के कई वर्ष रहा?
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وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِیْ فَعَلْتَ وَاَنْتَ مِنَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
और तूने अपना वह काम[6] किया, जो तूने किया। और तू अकृतज्ञों में से है।
6. यह क़िबती को क़त्ल करने की ओर संकेत है जो मूसा (अलैहिस्सलाम) से नबी बनाए जाने से पहले हो गया था। (देखिए : सूरतुल-क़स़स़)
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قَالَ فَعَلْتُهَاۤ اِذًا وَّاَنَا مِنَ الضَّآلِّیْنَ ۟ؕ
(मूसा ने) कहा : मैंने उस समय वह काम इस हाल में किया कि मैं अनजानों में से था।
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فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِیْ رَبِّیْ حُكْمًا وَّجَعَلَنِیْ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
फिर मैं तुम्हारे पास से भाग गया, जब मैं तुमसे डरा, तो मेरे पालनहार ने मुझे हुक्म (नुबुव्वत एवं ज्ञान) प्रदान किया और मुझे रसूलों में से बना दिया।
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وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَیَّ اَنْ عَبَّدْتَّ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
और यह कोई उपकार है, जो तू मुझपर जता रहा है कि तूने बनी इसराईल काे ग़ुलाम बना रखा है।
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قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
फ़िरऔन ने कहा : और 'रब्बुल-आलमीन' (सारे संसारों का पालनहार) क्या है?
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قَالَ رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَیْنَهُمَا ؕ— اِنْ كُنْتُمْ مُّوْقِنِیْنَ ۟
(मूसा ने) कहा : जो आकाशों और धरती का रब है और जो उनके बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।
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قَالَ لِمَنْ حَوْلَهٗۤ اَلَا تَسْتَمِعُوْنَ ۟
उसने अपने आस-पास के लोगों से कहा : क्या तुम सुनते नहीं?
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قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ اٰبَآىِٕكُمُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
(मूसा ने) कहा : जो तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।
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قَالَ اِنَّ رَسُوْلَكُمُ الَّذِیْۤ اُرْسِلَ اِلَیْكُمْ لَمَجْنُوْنٌ ۟
(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, अवश्य पागल है।
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قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَیْنَهُمَا ؕ— اِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟
(मूसा ने) कहा : जो पूर्व तथा पश्चिम रब है और उसका भी जो उन दोनों के बीच है, अगर तुम समझते हो।
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قَالَ لَىِٕنِ اتَّخَذْتَ اِلٰهًا غَیْرِیْ لَاَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُوْنِیْنَ ۟
(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय यदि तूने मेरे अलावा किसी और को पूज्य बनाया, तो मैं तुझे अवश्य ही बंदी बनाए हुए लोगों में शामिल कर दूँगा।‌
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قَالَ اَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَیْءٍ مُّبِیْنٍ ۟ۚ
(मूसा ने) कहा : क्या भले ही मैं तेरे पास कोई स्पष्ट चीज़ ले आऊँ?
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قَالَ فَاْتِ بِهٖۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
उसने कहा : तू उसे ले आ, यदि तू सच्चे लोगों में से है।
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فَاَلْقٰی عَصَاهُ فَاِذَا هِیَ ثُعْبَانٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚۖ
फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।
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وَّنَزَعَ یَدَهٗ فَاِذَا هِیَ بَیْضَآءُ لِلنّٰظِرِیْنَ ۟۠
तथा उसने अपना हाथ निकाला, तो एकाएक वह देखने वालों के लिए सफेद (चमकदार) था।
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قَالَ لِلْمَلَاِ حَوْلَهٗۤ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
उसने अपने आस-पास के प्रमुखों से कहा : निश्चय यह तो एक बड़ा कुशल जादूगर है।
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یُّرِیْدُ اَنْ یُّخْرِجَكُمْ مِّنْ اَرْضِكُمْ بِسِحْرِهٖ ۖۗ— فَمَاذَا تَاْمُرُوْنَ ۟
जो चाहता है कि अपने जादू के साथ तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल[7] दे। तो तुम क्या आदेश देते हो?
7. अर्थात यह उग्रवाद करके हमारे देश पर अधिकार कर ले।
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قَالُوْۤا اَرْجِهْ وَاَخَاهُ وَابْعَثْ فِی الْمَدَآىِٕنِ حٰشِرِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : इसके तथा इसके भाई को मोहलत दें और नगरों में (लोगों को) जमा करने वालों को भेज दें।
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یَاْتُوْكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِیْمٍ ۟
कि वे तेरे पास हर बड़ा जादूगर ले आएँ, जो जादू में बहुत कुशल हो।
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فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِیْقَاتِ یَوْمٍ مَّعْلُوْمٍ ۟ۙ
तो जादूगर एक निश्चित दिन के नियत समय पर इकट्ठा कर लिए गए।
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وَّقِیْلَ لِلنَّاسِ هَلْ اَنْتُمْ مُّجْتَمِعُوْنَ ۟ۙ
तथा लोगों से कहा गया : क्या तुम एकत्र होने वाले[8] हो?
8. अर्थात लोगों को प्रेरणा दी जा रही है कि इस प्रतियोगिता में अवश्य उपस्थित हों।
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لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ اِنْ كَانُوْا هُمُ الْغٰلِبِیْنَ ۟
शायद हम इन जादूगरों के अनुयायी बन जाएँ, यदि वही विजयी हों।
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فَلَمَّا جَآءَ السَّحَرَةُ قَالُوْا لِفِرْعَوْنَ اَىِٕنَّ لَنَا لَاَجْرًا اِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغٰلِبِیْنَ ۟
फिर जब जादूगर आ गए, तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा : क्या सचमुच हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभावी रहे?
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قَالَ نَعَمْ وَاِنَّكُمْ اِذًا لَّمِنَ الْمُقَرَّبِیْنَ ۟
उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम उस समय निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।
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قَالَ لَهُمْ مُّوْسٰۤی اَلْقُوْا مَاۤ اَنْتُمْ مُّلْقُوْنَ ۟
मूसा ने उनसे कहा : फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।
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فَاَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِیَّهُمْ وَقَالُوْا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ اِنَّا لَنَحْنُ الْغٰلِبُوْنَ ۟
तो उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं और कहा : फ़िरऔन के प्रभुत्व की सौगंध! निःसंदेह हम, निश्चय हम ही विजयी रहेंगे।
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فَاَلْقٰی مُوْسٰی عَصَاهُ فَاِذَا هِیَ تَلْقَفُ مَا یَاْفِكُوْنَ ۟ۚۖ
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी, तो एकाएक वह उन चीज़ों को निगल रही थी, जो वे झूठ बना रहे थे।
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فَاُلْقِیَ السَّحَرَةُ سٰجِدِیْنَ ۟ۙ
इसपर जादूगर सजदा करते हुए गिर गए।[9]
9. क्योंकि उन्हें विश्वास हो गया कि मूसा (अलैहिस्सलाम) जादूगर नहीं, बल्कि वह सत्य के उपदेशक हैं।
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قَالُوْۤا اٰمَنَّا بِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : हम सारे संसारों के पालनहार पर ईमान ले आए।
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رَبِّ مُوْسٰی وَهٰرُوْنَ ۟
मूसा तथा हारून के पालनहार पर।
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قَالَ اٰمَنْتُمْ لَهٗ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْ ۚ— اِنَّهٗ لَكَبِیْرُكُمُ الَّذِیْ عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ ۚ— فَلَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ؕ۬— لَاُقَطِّعَنَّ اَیْدِیَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ وَّلَاُوصَلِّبَنَّكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟ۚ
(फ़िरऔन ने) कहा : तुम उसपर ईमान ले आए, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निःसंदेह यह अवश्य तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। अतः निश्चय तुम जल्दी जान लोगे। मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशा[10] से काट दूँगा तथा निश्चय तुम सभी को अवश्य बुरी तरह सूली पर चढ़ा दूँगा।
10. अर्थात दाँया हाथ और बायाँ पैर या बायाँ हाथ और दायाँ पैर।
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قَالُوْا لَا ضَیْرَ ؗ— اِنَّاۤ اِلٰی رَبِّنَا مُنْقَلِبُوْنَ ۟ۚ
उन्होंने कहा : कोई नुक़सान नहीं, निश्चित रूप से हम अपने पालनहार की ओर पलटने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّا نَطْمَعُ اَنْ یَّغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطٰیٰنَاۤ اَنْ كُنَّاۤ اَوَّلَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ؕ۠
हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे लिए, हमारे पापों को क्षमा कर देगा, इस कारण कि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اَنْ اَسْرِ بِعِبَادِیْۤ اِنَّكُمْ مُّتَّبَعُوْنَ ۟
और हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِی الْمَدَآىِٕنِ حٰشِرِیْنَ ۟ۚ
तो फ़िरऔन ने नगरों में (सेना) एकत्र करने वालों को भेज दिया।[11]
11. जब मूसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के आदेशानुसार अपने साथियों को लेकर निकल गए तो फ़िरऔन ने उनका पीछा करने के लिए नगरों में हरकारे भेजे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِیْلُوْنَ ۟ۙ
कि निःसंदेह ये लोग एक छोटा-सा समूह हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّهُمْ لَنَا لَغَآىِٕظُوْنَ ۟ۙ
और निःसंदेह ये हमें निश्चित रूप से गुस्सा दिलाने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّا لَجَمِیْعٌ حٰذِرُوْنَ ۟ؕ
और निश्चय ही हम सब चौकन्ना रहने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَخْرَجْنٰهُمْ مِّنْ جَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۙ
इस तरह हमने उन्हें बाग़ों और सोतों से निकाल दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَّكُنُوْزٍ وَّمَقَامٍ كَرِیْمٍ ۟ۙ
तथा ख़ज़ानों और उत्तम आवासों से।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذٰلِكَ ؕ— وَاَوْرَثْنٰهَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
ऐसा ही हुआ और हमने उनका वारिस बनी इसराईल को बना दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَتْبَعُوْهُمْ مُّشْرِقِیْنَ ۟
तो उन्होंने सूर्योदय के समय उनका पीछा किया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَمَّا تَرَآءَ الْجَمْعٰنِ قَالَ اَصْحٰبُ مُوْسٰۤی اِنَّا لَمُدْرَكُوْنَ ۟ۚ
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।
12. क्योंकि अब सामने सागर और पीछे फ़िरऔन की सेना थी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ كَلَّا ۚ— اِنَّ مَعِیَ رَبِّیْ سَیَهْدِیْنِ ۟
(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اَنِ اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْبَحْرَ ؕ— فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِیْمِ ۟ۚ
तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की[13] तरह हो गया।
13. अर्थात बीच से मार्ग बन गया और दोनों ओर पानी पर्वत के समान खड़ा हो गया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَزْلَفْنَا ثَمَّ الْاٰخَرِیْنَ ۟ۚ
तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَنْجَیْنَا مُوْسٰی وَمَنْ مَّعَهٗۤ اَجْمَعِیْنَ ۟ۚ
और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ اَغْرَقْنَا الْاٰخَرِیْنَ ۟ؕ
फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاتْلُ عَلَیْهِمْ نَبَاَ اِبْرٰهِیْمَ ۟ۘ
तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لِاَبِیْهِ وَقَوْمِهٖ مَا تَعْبُدُوْنَ ۟
जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا نَعْبُدُ اَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عٰكِفِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हम कुछ मूर्तियों की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ هَلْ یَسْمَعُوْنَكُمْ اِذْ تَدْعُوْنَ ۟ۙ
उसने कहा : क्या वे तुम्हें सुनते हैं, जब तुम (उन्हें) पुकारते हो?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَوْ یَنْفَعُوْنَكُمْ اَوْ یَضُرُّوْنَ ۟
या तुम्हें लाभ देते हैं, या हानि पहुँचाते हैं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا بَلْ وَجَدْنَاۤ اٰبَآءَنَا كَذٰلِكَ یَفْعَلُوْنَ ۟
उन्होंने कहा : बल्कि हमने अपने बाप-दादा को पाया कि वे ऐसा ही करते थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ اَفَرَءَیْتُمْ مَّا كُنْتُمْ تَعْبُدُوْنَ ۟ۙ
उसने कहा : तो क्या तुमने देखा कि जिनको तुम पूजते रहे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَنْتُمْ وَاٰبَآؤُكُمُ الْاَقْدَمُوْنَ ۟ؗ
तुम तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّیْۤ اِلَّا رَبَّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
सो निःसंदेह वे मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसारों के पालनहार के।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
الَّذِیْ خَلَقَنِیْ فَهُوَ یَهْدِیْنِ ۟ۙ
वह जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَالَّذِیْ هُوَ یُطْعِمُنِیْ وَیَسْقِیْنِ ۟ۙ
और वही जो मुझे खिलाता है और मुझे पिलाता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ یَشْفِیْنِ ۟
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَالَّذِیْ یُمِیْتُنِیْ ثُمَّ یُحْیِیْنِ ۟ۙ
तथा वह जो मुझे मारेगा, फिर[14] मुझे जीवित करेगा।
14. अर्थात प्रलय के दिन अपने कर्मों का फल भोगने के लिए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَالَّذِیْۤ اَطْمَعُ اَنْ یَّغْفِرَ لِیْ خَطِیْٓـَٔتِیْ یَوْمَ الدِّیْنِ ۟ؕ
तथा वह, जिससे मैं आशा रखता हूँ कि वह बदले के दिन मेरे पाप क्षमा कर देगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
رَبِّ هَبْ لِیْ حُكْمًا وَّاَلْحِقْنِیْ بِالصّٰلِحِیْنَ ۟ۙ
ऐ मेरे पालनहार! मुझे हुक्म (धर्म का ज्ञान) प्रदान कर और मुझे नेक लोगों के साथ मिला।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاجْعَلْ لِّیْ لِسَانَ صِدْقٍ فِی الْاٰخِرِیْنَ ۟ۙ
और बाद में आने वालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاجْعَلْنِیْ مِنْ وَّرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِیْمِ ۟ۙ
और मुझे नेमतों वाली जन्नत के वारिसों में से बना दे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاغْفِرْ لِاَبِیْۤ اِنَّهٗ كَانَ مِنَ الضَّآلِّیْنَ ۟ۙ
तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे।[15] निश्चय वह गुमराहों में से था।
15. (देखिए : सूरतुत-तौबा, आयत : 114)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَا تُخْزِنِیْ یَوْمَ یُبْعَثُوْنَ ۟ۙ
तथा मुझे रुसवा न कर, जिस दिन लोग उठाए जाएँगे।[16]
16. ह़दीस में वर्णित है कि प्रलय के दिन इबराहीम अलैहिस्सलाम अपने बाप से मिलेंगे। और कहेंगे : ऐ मेरे पालनहार! तूने मुझे वचन दिया था कि मुझे पुनः जीवित होने के दिन अपमानित नहीं करेगा। तो अल्लाह कहेगा : मैंने स्वर्ग को काफ़िरों के लिए अवैध कर दिया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4769)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
یَوْمَ لَا یَنْفَعُ مَالٌ وَّلَا بَنُوْنَ ۟ۙ
जिस दिन न कोई धन लाभ देगा और न बेटे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِلَّا مَنْ اَتَی اللّٰهَ بِقَلْبٍ سَلِیْمٍ ۟ؕ
परंतु जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ
और (अपने रब से) डरने वालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَبُرِّزَتِ الْجَحِیْمُ لِلْغٰوِیْنَ ۟ۙ
तथा पथभ्रष्ट लोगों के लिए भड़कती आग प्रकट कर दी जाएगी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَقِیْلَ لَهُمْ اَیْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُوْنَ ۟ۙ
तथा उनसे कहा जाएगा : कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूजते थे?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— هَلْ یَنْصُرُوْنَكُمْ اَوْ یَنْتَصِرُوْنَ ۟ؕ
अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करते हैं, या अपनी रक्षा करते हैं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَكُبْكِبُوْا فِیْهَا هُمْ وَالْغَاوٗنَ ۟ۙ
फिर वे और सब पथभ्रष्ट लोग उसमें औंधे मुँह फेंक दिए जाएँगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَجُنُوْدُ اِبْلِیْسَ اَجْمَعُوْنَ ۟ؕ
और इबलीस की समस्त सेनाएँ भी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا وَهُمْ فِیْهَا یَخْتَصِمُوْنَ ۟ۙ
वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहेंगे :
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
تَاللّٰهِ اِنْ كُنَّا لَفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ
अल्लाह की क़सम! निःसंदेह हम निश्चय खुली गुमराही में थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ نُسَوِّیْكُمْ بِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
जब हम तुम्हें सारे संसारों के पालनहार के बराबर ठहराते थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَضَلَّنَاۤ اِلَّا الْمُجْرِمُوْنَ ۟
और हमें तो सिर्फ़ इन अपराधियों ने गुमराह किया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِیْنَ ۟ۙ
अब न हमारे लिए कोई सिफारिश करने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَا صَدِیْقٍ حَمِیْمٍ ۟
और न कोई घनिष्ट मित्र।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَوْ اَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
तो यदि वास्तव में हमारे लिए वापस जाने का अवसर होता, तो हम ईमानवालों में से हो जाते।[17]
17. इस आयत में संकेत है कि संसार में एक ही जीवन कर्म के लिए मिलता है। और दूसरा जीवन परलोक में कर्मों के फल के लिए मिलेगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली,[18] अत्यंत दयावान् हैl
18. परंतु लोग स्वयं अत्याचार करके नरक के भागी बन रहे हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوْحِ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
नूह़ की जाति ने रसूलों को झुठलाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ نُوْحٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।[19]
19. अल्लाह का संदेश बिना कमी और अधिकता के तुम्हें पहुँचा रहा हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۚ
मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ؕ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْۤا اَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْاَرْذَلُوْنَ ۟ؕ
उन्होंने कहा : क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ, जबकि तेरे पीछे चलने वाले अत्यंत नीच[20] लोग हैं?
20. अर्थात धनी नहीं, निर्धन लोग कर रहे हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ وَمَا عِلْمِیْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
(नूह़ ने) कहा : मूझे क्या मालूम कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنْ حِسَابُهُمْ اِلَّا عَلٰی رَبِّیْ لَوْ تَشْعُرُوْنَ ۟ۚ
उनका ह़िसाब तो मेरे पालनहार ही के ज़िम्मे है, यदि तुम समझो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۚ
और मैं ईमान वालों को धुतकारने वाला[21] नहीं हूँ।
21. अर्थात मैं हीन वर्ग के लोगों को जो ईमान लाए हैं, अपने से दूर नहीं कर सकता जैसा कि तुम चाहते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ؕ
मैं तो बस एक खुला डराने वाला हूँ
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ یٰنُوْحُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمَرْجُوْمِیْنَ ۟ؕ
उन्होंने कहा : ऐ नूह़! यदि तू बाज़ नहीं आया, तो अवश्य संगसार किए गए लोगों में से हो जाएगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ رَبِّ اِنَّ قَوْمِیْ كَذَّبُوْنِ ۟ۚۖ
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया!
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَافْتَحْ بَیْنِیْ وَبَیْنَهُمْ فَتْحًا وَّنَجِّنِیْ وَمَنْ مَّعِیَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
अतः तू मेरे और उनके बीच दो-टूक निर्णय कर दे, तथा मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَمَنْ مَّعَهٗ فِی الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ۟ۚ
तो हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ भरी हुई नाव में थे, बचा लिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ اَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبٰقِیْنَ ۟ؕ
फिर उसके बाद शेष लोगों को डुबो दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذَّبَتْ عَادُ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
आद ने रसूलों को झुठलाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ هُوْدٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
जब उनसे उनके भाई हूद[22] ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?
22. आद जाति के नबी हूद (अलैहिस्सलाम) को उनका भाई कहा गया है; क्योंकि वह भी उन्हीं के समुदाय में से थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَتَبْنُوْنَ بِكُلِّ رِیْعٍ اٰیَةً تَعْبَثُوْنَ ۟ۙ
क्या तुम हर ऊँचे स्थान पर एक स्मारक बनाते हो? इस स्थिति में कि व्यर्थ कार्य करते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَتَّخِذُوْنَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُوْنَ ۟ۚ
तथा बड़े-बड़े भवन बनाते हो, शायद कि तुम सदा जीवित रहोगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِیْنَ ۟ۚ
और जब तुम पकड़ते हो, तो बड़ी निर्दयता से पकड़ते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसे मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاتَّقُوا الَّذِیْۤ اَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُوْنَ ۟ۚ
तथा उससे डरो जिसने उन चीज़ों से तुम्हारी मदद की, जिन्हें तुम जानते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَمَدَّكُمْ بِاَنْعَامٍ وَّبَنِیْنَ ۟ۚۙ
उसने चौपायों और बेटों से तुम्हारी मदद की।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَجَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۚ
तथा बाग़ों और जल स्रोताें से।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟ؕ
निश्चय ही मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا سَوَآءٌ عَلَیْنَاۤ اَوَعَظْتَ اَمْ لَمْ تَكُنْ مِّنَ الْوٰعِظِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : हमारे लिए बराबर है कि तू नसीहत करे, या नसीहत करने वालों में से हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا خُلُقُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ۙ
यह तो केवल पहले लोगों की आदत है।[23]
23. अर्थात प्राचीन युग से होती चली आ रही है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِیْنَ ۟ۚ
और हम निश्चित रूप से दंडित नहीं होंगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَكَذَّبُوْهُ فَاَهْلَكْنٰهُمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
तो उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
समूद ने रसूलों[24] को झुठलाया।
24. यहाँ यह बात याद रखने की है कि एक रसूल का इनकार सभी रसूलों का इनकार है; क्योंकि सबका उपदेश एक ही था।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ صٰلِحٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
जब उनसे उनके भाई सालेह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसका पालन करो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَتُتْرَكُوْنَ فِیْ مَا هٰهُنَاۤ اٰمِنِیْنَ ۟ۙ
क्या तुम उन चीज़ों में जो यहाँ हैं, निश्चिंत छोड़ दिए जाओगे?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فِیْ جَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۙ
बाग़ों तथा स्रोतों में।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَّزُرُوْعٍ وَّنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِیْمٌ ۟ۚ
तथा खेतों और खजूर के पेड़ों में, जिनके फल मुलायम और पके हुए हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَنْحِتُوْنَ مِنَ الْجِبَالِ بُیُوْتًا فٰرِهِیْنَ ۟ۚ
तथा तुम पर्वतों को काटकर बड़ी निपुणता के साथ घर बनाते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः अल्लाह से डरो और मेरा आज्ञापालन करो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَا تُطِیْعُوْۤا اَمْرَ الْمُسْرِفِیْنَ ۟ۙ
और हद से आगे बढ़ने वालों का हुक्म न मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
الَّذِیْنَ یُفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ وَلَا یُصْلِحُوْنَ ۟
जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं और सुधार नहीं करते।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْۤا اِنَّمَاۤ اَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِیْنَ ۟ۚ
उन्होंने कहा : निःसंदेह तू उन लोगों में से है जिनपर प्रबल जादू किया गया है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
مَاۤ اَنْتَ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ۖۚ— فَاْتِ بِاٰیَةٍ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य है। अतः कोई निशानी ले आ, यदि तू सच्चों में से है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ هٰذِهٖ نَاقَةٌ لَّهَا شِرْبٌ وَّلَكُمْ شِرْبُ یَوْمٍ مَّعْلُوْمٍ ۟ۚ
उसने कहा : यह एक ऊँटनी[25] है। इसके लिए पानी पीने की एक बारी है और तुम्हारे लिए एक निश्चित दिन पानी पीने की बारी है।
25. अर्थता यह ऊँटनी चमत्कार है जो उनकी माँग पर पत्थर से निकली थी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْٓءٍ فَیَاْخُذَكُمْ عَذَابُ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
तथा उसे किसी बुराई से हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक बड़े दिन की यातना पकड़ लेगी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَعَقَرُوْهَا فَاَصْبَحُوْا نٰدِمِیْنَ ۟ۙ
तो उन्होंने उसकी कूँचें काट दीं, फिर पछताने वाले हो गए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
तो उन्हें यातना ने पकड़ लिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوْطِ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
लूत की जाति ने रसूलों को झुठलाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ لُوْطٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَتَاْتُوْنَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
क्या सभी संसारों में से तुम पुरुषों के पास आते[26] हो।
26. इस कुकर्म का आरंभ संसार में लूत (अलैहिस्सलाम) की जाति से हुआ। और अब यह कुकर्म पूरे विश्व में विशेष रूप से यूरोपीय देशों में व्यापक है। और समलैंगिक विवाह को यूरोप के बहुत-से देशों में वैध मान लिया गया है। जिसके कारण कभी भी उन पर अल्लाह की यातना आ सकती है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَذَرُوْنَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ عٰدُوْنَ ۟
तथा उन्हें छोड़ देते हो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए तुम्हारी पत्नियाँ पैदा की हैं। बल्कि तुम हद से आगे बढ़ने वाले लोग हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ یٰلُوْطُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : ऐ लूत! निःसंदेह यदि तू नहीं रुका, तो निश्चित रूप से तू अवश्य निष्कासित लोगों में से हो जाएगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ اِنِّیْ لِعَمَلِكُمْ مِّنَ الْقَالِیْنَ ۟ؕ
उसने कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारे काम से सख़्त घृणा करने वालों में से हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
رَبِّ نَجِّنِیْ وَاَهْلِیْ مِمَّا یَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे घर वालों को उससे बचा ले, जो ये करते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَنَجَّیْنٰهُ وَاَهْلَهٗۤ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
तो हमने उसे और उसके सभी घर वालों को बचा लिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِلَّا عَجُوْزًا فِی الْغٰبِرِیْنَ ۟ۚ
सिवाय एक बुढ़िया[27] के, जो पीछे रहने वालों में से थी।
27. इससे अभिप्रेत लूत (अलैहिस्सलाम) की काफ़िर पत्नी थी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْاٰخَرِیْنَ ۟ۚ
फिर हमने दूसरों को विनष्ट कर दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ مَّطَرًا ۚ— فَسَآءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِیْنَ ۟
और हमने उनपर ज़ोरदार बारिश[28] बरसाई। तो उन लोगों की बारिश बहुत बुरी थी, जिन्हें डराया गया था।
28. अर्थात पत्थरों की बारिश। (देखिए : सूरत हूद, आयत : 82-83)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذَّبَ اَصْحٰبُ لْـَٔیْكَةِ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
ऐका[29] वालों ने रसूलों को झुठलाया।
29. ऐका का अर्थ झाड़ी है। यह मदयन का क्षेत्र है जिसमें शुऐब अलैहिस्सलाम को भेजा गया था।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَیْبٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
जब उनसे शुऐब ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَوْفُوا الْكَیْلَ وَلَا تَكُوْنُوْا مِنَ الْمُخْسِرِیْنَ ۟ۚ
नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَزِنُوْا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِیْمِ ۟ۚ
और सीधे तराज़ू से तोलो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟ۚ
और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاتَّقُوا الَّذِیْ خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْاَوَّلِیْنَ ۟ؕ
और उससे डरो, जिसने तुम्हें तथा पहले लोगों को पैदा किया है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالُوْۤا اِنَّمَاۤ اَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : निःसंदेह तू तो उन लोगों में से है जिनपर ताक़तवर जादू किया गया है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَنْتَ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَاِنْ نَّظُنُّكَ لَمِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟ۚ
और तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य[30] है और निःसंदेह हम तो तुझे झूठों में से समझते हैं।
30. यहाँ यह बात विचारणीय है कि सभी विगत जातियों ने अपने रसूलों को उनके मानव होने के कारण नकार दिया। और जिसने स्वीकार भी किया, तो उसने कुछ युग बीतने के पश्चात् अतिशयोक्ति करके अपने रसूलों को प्रभु अथवा प्रभु का अंश बना कर उन्हीं को पूज्य बना लिया। तथा एकेश्वरवाद को कड़ा आघात पहुँचाकर मिश्रणवाद का द्वार खोल लिया और कुपथ हो गए। वर्तमान युग में भी इसी का प्रचलन है और इसका आधार अपने पूर्वजों की रीतियों को बनाया जाता है। इस्लाम इसी कुपथ का निवारण करके एकेश्वरवाद की स्थापना के लिए आया है और वास्तव में यही सत्धर्म है। ह़दीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : मूझे वैसे न बढ़ाओ जैसे ईसाइयों ने मरयम के पुत्र (ईसा) को बढ़ा दिया। निःसंदेह मैं उसका दास हूँ। अतः मुझे अल्लाह का दास और उसका रसूल कहो। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3445)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاَسْقِطْ عَلَیْنَا كِسَفًا مِّنَ السَّمَآءِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟ؕ
तो हम पर आसमान से कुछ टुकड़े गिरा दे, यदि तू सच्चों में से है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ رَبِّیْۤ اَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
उसने कहा : मेरा पालनहार अधिक जानने वाला है जो कुछ तुम कर रहे हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَكَذَّبُوْهُ فَاَخَذَهُمْ عَذَابُ یَوْمِ الظُّلَّةِ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
चुनाँचे उन्होंने उसे झुठला दिया। तो उन्हें छाया[31] के दिन की यातना ने पकड़ लिया। निश्चय वह एक बड़े दिन की यातना थी।
31. अर्थात उनकी यातना के दिन उनपर बादल छा गया। फिर आग बरसने लगी और धरती कंपित हो गई। फिर एक कड़ी ध्वनि ने उनकी जानें ले लीं। (इब्ने कसीर)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّهٗ لَتَنْزِیْلُ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
तथा निःसंदेह, यह (क़ुरआन) निश्चय सारे संसारों के पालनहार का उतारा हुआ है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
نَزَلَ بِهِ الرُّوْحُ الْاَمِیْنُ ۟ۙ
इसे रूह़ुल-अमीन[32] (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है।
32. रूह़ुल-अमीन से अभिप्राय आदरणीय फ़रिश्ता जिबरीलल (अलैहिस्सलाम) हैं, जो मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह की ओर से वह़्य लेकर उतरते थे, जिसके कारण आप रसूलों की और उनकी जातियों की दशा से अवगत हुए। अतः यह आपके सत्य रसूल होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
عَلٰی قَلْبِكَ لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُنْذِرِیْنَ ۟ۙ
आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
بِلِسَانٍ عَرَبِیٍّ مُّبِیْنٍ ۟ؕ
स्पष्ट अरबी भाषा में।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّهٗ لَفِیْ زُبُرِ الْاَوَّلِیْنَ ۟
तथा निःसंदेह यह निश्चित रूप से पहले लोगों की पुस्तकों में मौजूद है।[33]
33. अर्थात सभी आकाशीय ग्रंथों में अंतिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन तथा आपपर पुस्तक क़ुरआन के अवतरित होने की भविष्वाणी की गई है। और सब नबियों ने इसकी शुभ-सूचना दी है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَوَلَمْ یَكُنْ لَّهُمْ اٰیَةً اَنْ یَّعْلَمَهٗ عُلَمٰٓؤُا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
क्या उनके लिए यह एक निशानी न थी है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान[34] जानते हैं।
34. बनी इसराईल के विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम आदि, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और क़ुरआन पर ईमान लाए, वे इसके सत्य होने का खुला प्रमाण हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَوْ نَزَّلْنٰهُ عَلٰی بَعْضِ الْاَعْجَمِیْنَ ۟ۙ
और यदि हम इसे ग़ैर-अरब[35] लोगों में से किसी पर उतार देते।
35. अर्थात ऐसे व्यक्ति पर जो अरब देश और जाति के अतिरिक्त किसी अन्य जाति का हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَقَرَاَهٗ عَلَیْهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ مُؤْمِنِیْنَ ۟ؕ
फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी वे उसपर ईमान लाने वाले न होते।[36]
36. अर्थात अरबी भाषा में न होता, तो कहते कि यह हमारी समझ में नहीं आता। (देखिए : सूरत ह़ा, मीम, सजदा, आयत : 44)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
كَذٰلِكَ سَلَكْنٰهُ فِیْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ؕ
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के हृदयों में प्रवेश कर दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
لَا یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ حَتّٰی یَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِیْمَ ۟ۙ
वे उसपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना देख लें।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَیَاْتِیَهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟ۙ
तो वह उनपर अचानक आ पड़े और वे सोचते भी न हों।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَیَقُوْلُوْا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُوْنَ ۟ؕ
फिर वे कहें : क्या हम मोहलत दिए जाने वाले हैं
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَفَبِعَذَابِنَا یَسْتَعْجِلُوْنَ ۟
तो क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَفَرَءَیْتَ اِنْ مَّتَّعْنٰهُمْ سِنِیْنَ ۟ۙ
तो क्या आपने विचार किया यदि हम इन्हें कुछ वर्षों तक लाभ दें।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ جَآءَهُمْ مَّا كَانُوْا یُوْعَدُوْنَ ۟ۙ
फिर उनपर वह (यातना) आ जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता था।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
مَاۤ اَغْنٰی عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یُمَتَّعُوْنَ ۟ؕ
तो उन्हें जो लाभ दिया जाता था, वह उनके किस काम आएगा?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَاۤ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْیَةٍ اِلَّا لَهَا مُنْذِرُوْنَ ۟
और हमने किसी बस्ती को विनष्ट नहीं किया, परंतु उसके लिए कई सावधान करने वाले थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ذِكْرٰی ۛ۫— وَمَا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
याद दिलाने के लिए। और हम अत्याचारी नहीं थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّیٰطِیْنُ ۟ۚ
तथा इस (क़ुरआन) को लेकर शैतान नहीं उतरे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَا یَنْۢبَغِیْ لَهُمْ وَمَا یَسْتَطِیْعُوْنَ ۟ؕ
और न यह उनके योग्य है, और न वे ऐसा कर सकते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُوْلُوْنَ ۟ؕ
निःसंदेह वे तो (इसके) सुनने ही से अलग[37] कर दिए गए हैं।
37. अर्थात इसके अवतरित होने के समय शैतान आकाश की ओर जाते हैं तो उल्का उन्हें भस्म कर देते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتَكُوْنَ مِنَ الْمُعَذَّبِیْنَ ۟ۚ
अतः आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें, अन्यथा आप दंड पाने वालों में हो जाएँगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَنْذِرْ عَشِیْرَتَكَ الْاَقْرَبِیْنَ ۟ۙ
और आप अपने निकटतम रिश्तेदारों को डराएँ।[38]
38. आदरणीय इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि जब यह आयत उतरी तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सफ़ा पर्वत पर चढ़े। और क़ुरैश के परिवारों को पुकरा। और जब सब एकत्र हो गए, और जो स्वयं नहीं आ सका तो उसने किसी प्रतिनिधि को भेज दिया। और अबू लहब तथा क़ुरैश आ गए तो आपने फरमाया : यदि मैं तुमसे कहूँ कि उस वादी में एक सेना है जो तुम पर आक्रमण करने वाली है, तो क्या तुम मुझे सच्चा मानोगे? सबने कहा : हाँ। हमने आपको सदा ही सच्चा पाया है। आपने कहा : मैं तुम्हें आगामी कड़ी यातना से सावधान कर रहा हूँ। इसपर अबू लहब ने कहा : तेरा पूरे दिन नाश हो! क्या हमें इसी के लिए एकत्र किया है? और इसीपर सूरत लह्ब उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4770)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۚ
और ईमान वालों में से जो आपका अनुसरण करे, उसके लिए अपना बाज़ू[39] झुका दें।
39. अर्थात उसके साथ विनम्रता का व्यवहार करें।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
फि यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि तुम जो कुछ कर रहे हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَوَكَّلْ عَلَی الْعَزِیْزِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ
तथा उस सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् पर भरोसा करें।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
الَّذِیْ یَرٰىكَ حِیْنَ تَقُوْمُ ۟ۙ
जो आपको देखता है, जब आप खड़े होते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَقَلُّبَكَ فِی السّٰجِدِیْنَ ۟
और सजदा करने वालों में आपके फिरने को भी।[40]
40. अर्थात प्रत्येक समय, अकेले हों या लोगों के बीच हों।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
هَلْ اُنَبِّئُكُمْ عَلٰی مَنْ تَنَزَّلُ الشَّیٰطِیْنُ ۟ؕ
क्या मैं आपको बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते हैं?
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
تَنَزَّلُ عَلٰی كُلِّ اَفَّاكٍ اَثِیْمٍ ۟ۙ
वे हर बड़े झूठे और बड़े पापी[41] पर उतरते हैं।
41. ह़दीस में है कि फ़रिश्ते बादल में उतरते हैं, और आकाश में होने वाले निर्णय की बात करते हैं, जिसे शैतान चोरी से सुन लेते हैं। और ज्योतिषियों को पहुँचा देते हैं। फिर वह उसमें सौ झूठ मिलाते हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3210)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
یُّلْقُوْنَ السَّمْعَ وَاَكْثَرُهُمْ كٰذِبُوْنَ ۟ؕ
वे सुनी हुई बात को (काहिनों तक) पहुँचा देते हैं, और उनमें से अधिकतर झूठे हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَالشُّعَرَآءُ یَتَّبِعُهُمُ الْغَاوٗنَ ۟ؕ
और कवि लोग, उनके पीछे भटके हुए लोग ही चलते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَلَمْ تَرَ اَنَّهُمْ فِیْ كُلِّ وَادٍ یَّهِیْمُوْنَ ۟ۙ
क्या आपने नहीं देखा कि वे प्रत्येक वादी में भटकते फिरते[42] हैं।
42. अर्थात कल्पना की उड़ान में रहते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاَنَّهُمْ یَقُوْلُوْنَ مَا لَا یَفْعَلُوْنَ ۟ۙ
और यह कि निःसंदेह ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِلَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَذَكَرُوا اللّٰهَ كَثِیْرًا وَّانْتَصَرُوْا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا ؕ— وَسَیَعْلَمُ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْۤا اَیَّ مُنْقَلَبٍ یَّنْقَلِبُوْنَ ۟۠
सिवाय उन (कवियों) के, जो[43] ईमान लाए, और अच्छे कर्म किए और अल्लाह को बहुत याद किया तथा बदला लिया, इसके बाद कि उनके ऊपर ज़ुल्म किया गया। तथा वे लोग, जिन्होंने अत्याचार किया, शीघ्र ही जान लेंगे कि वे किस जगह लौटकर जाएँगे।
43. इनसे अभिप्रेत ह़स्सान बिन साबित आदि कवि हैं, जो क़ुरैश के कवियों की भर्त्सना किया करते थे। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 4124)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߞߎ߬ߦߊ߬ߟߊ ߟߎ߬ ߝߐߘߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߘߟߊߡߌߘߊ ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫߸ ߊ߳ߺߊ߬ߺߗ߭ߺߌ߯ߺߗ߭ߎ߫ ߊ.ߟߑߤ߭ߊߞ߫ߞ߫ߌ߫ ߊ.ߟߑߊ߳ߡߊߙߌ߮ ߟߊ߫ ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߋ߬.

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