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सूरा अज़्-ज़ल्ज़ला

اِذَا زُلْزِلَتِ الْاَرْضُ زِلْزَالَهَا ۟ۙ
जब धरती को पूरी तरह झंझोड़ दिया जाएगा।
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وَاَخْرَجَتِ الْاَرْضُ اَثْقَالَهَا ۟ۙ
तथा धरती अपने बोझ बाहर निकाल देगी।
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وَقَالَ الْاِنْسَانُ مَا لَهَا ۟ۚ
और इनसान कहेगा कि इसे क्या हो गया?
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یَوْمَىِٕذٍ تُحَدِّثُ اَخْبَارَهَا ۟ؕ
उस दिन वह अपनी खबरें बयान करेगी।
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بِاَنَّ رَبَّكَ اَوْحٰی لَهَا ۟ؕ
क्योंकि तेरे पालनहार ने उसे इसका आदेश दिया होगा।
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یَوْمَىِٕذٍ یَّصْدُرُ النَّاسُ اَشْتَاتًا ۙ۬— لِّیُرَوْا اَعْمَالَهُمْ ۟ؕ
उस दिन लोग अलग-अलग होकर लौटेंगे, ताकि उन्हें उनके कर्म दिखाए जाएँ।[1]
1. (1-6) इन आयतों में बताया गया है कि जब प्रलय (क़ियामत) का भूकंप आएगा, तो धरती के भीतर जो कुछ भी है, सब उगल कर बाहर फेंक देगी। यह सब कुछ ऐसे होगा कि जीवित होने के पश्चात् सभी को आश्चर्य होगा कि यह क्या हो रहा है? उस दिन यह निर्जीव धरती प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों की गवाही देगी कि किसने क्या-क्या कर्म किए हैं। यद्पि अल्लाह सबके कर्मों को जानता है, फिर भी उसका निर्णय गवाहियों से प्रमाणित करके होगा।
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فَمَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَیْرًا یَّرَهٗ ۟ؕ
तो जिसने एक कण के बराबर भी नेकी की होगी, उसे देख लेगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا یَّرَهٗ ۟۠
और जिसने एक कण के बराबर भी बुराई की होगी, उसे देख लेगा।[2]
2. (7-8) इन आयतों का अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अकेला आएगा, परिवार और साथी सब बिखर जाएँगे। दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि इस संसार में जो किसी भी युग में मरे थे सभी दलों में चले आ रहे होंगे, और सबको अपने किए हुए कर्म दिखाए जाएँगे। और कर्मानुसार पुण्य और पाप का बदला दिया जाएगा। और किसी का पुणय और पाप छिपा नहीं रहेगा।
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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߙߍߦߙߍ ߝߐߘߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߘߟߊߡߌߘߊ ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫߸ ߊ߳ߺߊ߬ߺߗ߭ߺߌ߯ߺߗ߭ߎ߫ ߊ.ߟߑߤ߭ߊߞ߫ߞ߫ߌ߫ ߊ.ߟߑߊ߳ߡߊߙߌ߮ ߟߊ߫ ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߋ߬.

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