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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیَاتُنَا بَیِّنٰتٍ ۙ— قَالَ الَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ لِقَآءَنَا ائْتِ بِقُرْاٰنٍ غَیْرِ هٰذَاۤ اَوْ بَدِّلْهُ ؕ— قُلْ مَا یَكُوْنُ لِیْۤ اَنْ اُبَدِّلَهٗ مِنْ تِلْقَآئِ نَفْسِیْ ۚ— اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ ۚ— اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
जब उनके सामने अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) को दर्शाने वाली क़ुरआन की स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले लोग, जो सवाब की आशा नहीं रखते और न सज़ा से डरते हैं, कहते हैं : (ऐ मुहम्मद!) मूर्तिपूजा के अपमान पर आधारित इस क़ुरआन के अलावा दूसरा क़ुरआन ले आओ, अथवा हमारी इच्छाओं के अनुसार इसके कुछ भाग या पूर्ण भाग को निरस्त करके इसे बदल दो। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : इसे बदलना मेरे लिए संभव नहीं है, और इसके सिवा कोई दूसरा क़ुरआन लाने में तो मैं - और भी - सक्षम नहीं हूँ। बल्कि, केवल अल्लाह ही है जो उसमें से जो चाहे बदल सकता है। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो अल्लाह मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) भेजता है। यदि मैं तुम्हारी माँग का उत्तर देकर अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो मुझे एक महान दिन की सज़ा का डर है और वह क़ियामत का दिन है।
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قُلْ لَّوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا تَلَوْتُهٗ عَلَیْكُمْ وَلَاۤ اَدْرٰىكُمْ بِهٖ ۖؗۗ— فَقَدْ لَبِثْتُ فِیْكُمْ عُمُرًا مِّنْ قَبْلِهٖ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : यदि अल्लाह चाहता कि मैं तुम्हें क़ुरआन पढ़कर न सुनाऊँ, तो मैं तुम्हें क़ुरआन पढ़कर न सुनाता और इसे तुम तक न पहुँचाता। तथा यदि अल्लाह चाहता, तो तुम्हें मेरी ज़ुबानी क़ुरआन से सूचित न करता। फिर मैं तुम्हारे बीच जीवन की एक लंबी अवधि (चालीस वर्ष) व्यतीत कर चुका हूँ। न मैं पढ़ना जानता था और न लिखना। मैं इस तरह की किसी चीज़ की खोज और तलाश में भी नहीं था। तो क्या तुम अपनी बुद्धि से यह नहीं जानते कि जो कुछ मैं तुम्हारे पास लेकर आया हूँ वह अल्लाह की ओर से है, और उसमें मेरा कोई दख़ल नहीं है?!
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فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الْمُجْرِمُوْنَ ۟
अतः उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ गढ़े। फिर मेरे लिए यह कैसे संभव है कि मैं अल्लाह पर झूठ गढ़ते हुए क़ुरआन को बदल दूँ? बात यह है कि जो लोग अल्लाह पर झूठ गढ़कर उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, वे अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते।
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وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَضُرُّهُمْ وَلَا یَنْفَعُهُمْ وَیَقُوْلُوْنَ هٰۤؤُلَآءِ شُفَعَآؤُنَا عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— قُلْ اَتُنَبِّـُٔوْنَ اللّٰهَ بِمَا لَا یَعْلَمُ فِی السَّمٰوٰتِ وَلَا فِی الْاَرْضِ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग अल्लाह के सिवा कथित देवताओं की पूजा करते हैं, जो न लाभ पहुँचाते हैं और न हानि। जबकि सत्य पूज्य तो जब चाहे लाभ और हानि पहुँचा सकता है। तथा वे लोग अपने देवताओं के बारे में कहते हैं : ये मध्यस्थ हैं, जो अल्लाह के यहाँ हमारे लिए सिफारिश करेंगे। अतः वह हमारे पापों के कारण हमें यातना नहीं देगा। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : क्या तुम लोग सब कुछ जानने वाले अल्लाह को सूचना दे रहे हो कि उसका कोई साझी है, हालाँकि वह आकाशों में और धरती में अपना कोई साझी नहीं जानता! मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग जो कुछ असत्य एवं झूठ कह रहे हैं, अल्लाह उससे पाक और पवित्र है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَا كَانَ النَّاسُ اِلَّاۤ اُمَّةً وَّاحِدَةً فَاخْتَلَفُوْا ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَقُضِیَ بَیْنَهُمْ فِیْمَا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
सारे मनुष्य केवल एक ही एकेश्वरवादी मोमिन समुदाय थे। फिर उन्होंने विभेद किया। अतः उनमें से कुछ लोग विश्वासी (मोमिन) बने रहे और कुछ ने कुफ़्र (अविश्वास) किया। यदि अल्लाह की तरफ से पहले ही यह निर्णय न किया जा चुका होता कि वह लोगों के बीच होने वाले मतभेद के बारे में इस दुनिया में फैसला नहीं करेगा, बल्कि उनके बीच उसके बारे में क़ियामत के दिन फ़ैसला करेगा। यदि यह बात न होती, तो इस संसार ही में उनके बीच उसका फ़ैसला कर दिया जाता, जिसमें वे विभेद कर रहे हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता कि कौन सीधे रास्ते पर चलने वाला है और कौन भटका हुआ है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَیَقُوْلُوْنَ لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ۚ— فَقُلْ اِنَّمَا الْغَیْبُ لِلّٰهِ فَانْتَظِرُوْا ۚ— اِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِیْنَ ۟۠
तथा मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग कहते हैं : मुहम्मद - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - पर उनके पालनहार की तरफ़ से उनकी सच्चाई को दर्शाने वाली कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गईॽ तो (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : निशानियों का उतरना परोक्ष की बात है, जिसे अल्लाह ही जानता है। इसलिए तुम उन भौतिक निशानियों की प्रतीक्षा करो, जिनका तुमने सुझाव दिया है। मैं भी तुम्हारे साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• عظم الافتراء على الله والكذب عليه وتحريف كلامه كما فعل اليهود بالتوراة.
• अल्लाह पर झूठा आरोप लगाना, उसपर झूठ बोलना तथा उसकी वाणी को विकृत करना, जैसा कि यहूदियों ने तौरात के साथ किया था, बहुत गंभीर है।

• النفع والضر بيد الله عز وجل وحده دون ما سواه.
• लाभ और हानि केवल अल्लाह के हाथ में है, किसी और के नहीं।

• بطلان قول المشركين بأن آلهتهم تشفع لهم عند الله.
• बहुदेववादियों के इस कथन की अमान्यता कि उनके पूज्य अल्लाह के निकट उनकी सिफ़ारिश करेंगे।

• اتباع الهوى والاختلاف على الدين هو سبب الفرقة.
• इच्छाओं के पीछे चलना और धर्म में विभेद करना विभाजन का कारण है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲