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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَاِذَاۤ اَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً مِّنْ بَعْدِ ضَرَّآءَ مَسَّتْهُمْ اِذَا لَهُمْ مَّكْرٌ فِیْۤ اٰیَاتِنَا ؕ— قُلِ اللّٰهُ اَسْرَعُ مَكْرًا ؕ— اِنَّ رُسُلَنَا یَكْتُبُوْنَ مَا تَمْكُرُوْنَ ۟
और जब हम बहुदेववादियों को उनके अकाल और दुखों से पीड़ित होने के पश्चात् बारिश एवं हरियाली का स्वाद चखाते हैं, तो वे हमारी निशानियों का मखौल उड़ाते और उन्हें झुठलाते हैं। (ऐ पैगंबर!) आप इन बहुदेववादियों से कह दें : अल्लाह का उपाय सबसे तीव्र है और वह तुम्हें ढील देने और सज़ा देने में अधिक तेज़ है। निःसंदेह संरक्षक फ़रिश्ते तुम्हारी चालबाज़ियों को लिख रहे हैं। उनसे कोई चीज़ नहीं छूटती है। तो फिर उनके पैदा करने वाले (अल्लाह) से कैसे छूट सकती है?! तथा अल्लाह तुम्हें तुम्हारी चालबाज़ी का बदला देगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
هُوَ الَّذِیْ یُسَیِّرُكُمْ فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا كُنْتُمْ فِی الْفُلْكِ ۚ— وَجَرَیْنَ بِهِمْ بِرِیْحٍ طَیِّبَةٍ وَّفَرِحُوْا بِهَا جَآءَتْهَا رِیْحٌ عَاصِفٌ وَّجَآءَهُمُ الْمَوْجُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ اُحِیْطَ بِهِمْ ۙ— دَعَوُا اللّٰهَ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ۚ۬— لَىِٕنْ اَنْجَیْتَنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
वह अल्लाह ही है, जो (ऐ लोगो!) तुम्हें थल में तुम्हारे पैरों पर तथा तुम्हारे चौपायों (सवारियों) पर चलाता है और वही तुम्हें समुद्र में नौकाओं में चलाता है। यहाँ तक कि जब तुम नौकाओं में समुद्र में होते हो और नौकाएँ यात्रियों को लेकर अच्छी हवा के सहारे चल पड़ती हैं, तो सवार लोग उस अच्छी हवा से प्रसन्न हो उठते हैं। चुनाँचे इसी दौरान जबकि वे अपने आनंद में होते हैं, उनपर एक तेज़ चलने वाली हवा आती है और हर तरफ़ से समुद्र की लहरें उनपर उठती चली आती हैं तथा उनका प्रबल गुमान यह होता है कि उनका सर्वनाश होने वाला है। ऐसे में, वे अकेले अल्लाह को पुकारते हैं और उसके साथ किसी दूसरे को साझी नहीं करते, यह कहते हुए : यदि तूने हमें इस विनाशकारी विपत्ति से बचा लिया, तो तेरे इस अनुग्रह के लिए हम अवश्य तेरे आभारी होंगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَمَّاۤ اَنْجٰىهُمْ اِذَا هُمْ یَبْغُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّمَا بَغْیُكُمْ عَلٰۤی اَنْفُسِكُمْ ۙ— مَّتَاعَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؗ— ثُمَّ اِلَیْنَا مَرْجِعُكُمْ فَنُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
फिर जब वह उनकी दुआ स्वीकार कर लेता है और उन्हें उस विपत्ति से बचा लेता है, तो वे अचानक धरती में कुफ़्र, अवज्ञा और पाप करके उपद्रव करने लगते हैं। (ऐ लोगो!), होश में आ जाओ, वास्तव में तुम्हारे उपद्रव का दुष्परिणाम स्वयं तुम्हें ही झेलना है। क्योंकि तुम्हारी सरकशी व उद्दंडता से अल्लाह को कोई नुक़सान नहीं होगा। तुम इस दुनिया के जीवन में उसका आनंद ले रहे हो, जबकि यह नश्वर है। फिर क़ियामत के दिन तुम्हें हमारी ही ओर लौटकर आना है। तब हम तुम्हें बताएँगे कि तुम क्या पाप कर रहे थे तथा हम तुम्हें उसका बदला देंगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اِنَّمَا مَثَلُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا كَمَآءٍ اَنْزَلْنٰهُ مِنَ السَّمَآءِ فَاخْتَلَطَ بِهٖ نَبَاتُ الْاَرْضِ مِمَّا یَاْكُلُ النَّاسُ وَالْاَنْعَامُ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَخَذَتِ الْاَرْضُ زُخْرُفَهَا وَازَّیَّنَتْ وَظَنَّ اَهْلُهَاۤ اَنَّهُمْ قٰدِرُوْنَ عَلَیْهَاۤ ۙ— اَتٰىهَاۤ اَمْرُنَا لَیْلًا اَوْ نَهَارًا فَجَعَلْنٰهَا حَصِیْدًا كَاَنْ لَّمْ تَغْنَ بِالْاَمْسِ ؕ— كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
सांसारिक जीवन का उदाहरण, जिसके आनंद में तुम लीन हो, जल्दी समाप्त होने के मामले में, बारिश के पानी की तरह है, जिससे धरती से उगने वाले पौधे, जिन्हें इनसान भी खाते हैं, जैसे अनाज और फल आदि और पशु भी खाते हैं, जैसे घास आदि, खूब घने होकर निकल आए। यहाँ तक कि जब धरती ने सुंदरता की चादर ओढ़ ली और वह विभिन्न प्रकार के पौधों से सज गई तथा उसके मालिकों ने समझ लिया कि वे धरती की उगाई हुई फसलों को काटने और फलों को तोड़ने में सक्षम हैं, कि अचानक उसे नष्ट करने का हमारा निर्णय आ गया और हमने उसे कटी हुई फ़सल की तरह कर दिया, मानो वह खेत कुछ समय पहले तक पेड़-पौधों से भरा हुआ था ही नहीं। जिस प्रकार हमने तुम्हारे लिए दुनिया की स्थिति और उसके जल्दी ख़त्म होने को खोल-खोलकर बयान किया है, उसी प्रकार हम सोचने और विचार करने वालों के लिए प्रमाणों एवं तर्कों का वर्णन करते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاللّٰهُ یَدْعُوْۤا اِلٰی دَارِ السَّلٰمِ ؕ— وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
अल्लाह सभी लोगों को अपनी जन्नत की ओर बुलाता है, जो कि शांति का घर है, जिसमें लोग विपत्तियों और चिंताओं से सुरक्षित होंगे और मौत से भी महफ़ूज़ रहेंगे। अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, इस्लाम धर्म को अपनाने की तौफ़ीक़ देता है, जो इस शांति के घर की ओर ले जाता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• الله أسرع مكرًا بمن مكر بعباده المؤمنين.
• जो लोग अल्लाह के मोमिन बंदों के साथ चालबाज़ी करते हैं, उनके साथ अल्लाह का उपाय अधिक तेज़ है।

• بغي الإنسان عائد على نفسه ولا يضر إلا نفسه.
• इनसान की सरकशी स्वयं उसी पर लौटने वाली है और वह केवल अपना नुक़सान करता है।

• بيان حقيقة الدنيا في سرعة انقضائها وزوالها، وما فيها من النعيم فهو فانٍ.
• दुनिया की इस वास्तविकता का वर्णन कि वह बहुत जल्द समाप्त और ख़त्म हो जाने वाली है और उसमें जो आनंद है, वह नश्वर है।

• الجنة هي مستقر المؤمن؛ لما فيها من النعيم والسلامة من المصائب والهموم.
• मोमिन का ठिकाना जन्नत है; क्योंकि उसमें आनंद तथा विपत्तियों और चिंताओं से सुरक्षा है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲