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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَآىِٕكُمْ مَّنْ یَّبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ ؕ— قُلِ اللّٰهُ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ فَاَنّٰی تُؤْفَكُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन बहुदेववादियों से कह दें : क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में, जिनकी तुम अल्लाह के सिवा पूजा करते हो, कोई ऐसा है, जो पूर्व उदाहरण के बिना उत्पत्ति का आरंभ करे और फिर उसकी मृत्यु के पश्चात् उसे पुनर्जीवित करेॽ आप उनसे कह दें कि अल्लाह ही पूर्व उदाहरण के बिना उत्पत्ति का आरंभ करता है और फिर वही उसकी मृत्यु के पश्चात् उसे पुनर्जीवित करेगा। तो फिर (ऐ बहुदेववादियो!) तुम लोग सत्य से असत्य की ओर कैसे फिरे जा रहे होॽ!
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قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَآىِٕكُمْ مَّنْ یَّهْدِیْۤ اِلَی الْحَقِّ ؕ— قُلِ اللّٰهُ یَهْدِیْ لِلْحَقِّ ؕ— اَفَمَنْ یَّهْدِیْۤ اِلَی الْحَقِّ اَحَقُّ اَنْ یُّتَّبَعَ اَمَّنْ لَّا یَهِدِّیْۤ اِلَّاۤ اَنْ یُّهْدٰی ۚ— فَمَا لَكُمْ ۫— كَیْفَ تَحْكُمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : क्या तुम्हारे ठहराए हुए उन साझीदारों में, जिनकी तुम अल्लाह के अलावा पूजा करते हो, कोई ऐसा है, जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करेॽ आप उनसे कह दें : केवल अल्लाह ही सत्य की ओर मार्गदर्शन करता है। तो क्या जो लोगों को सीधा रास्ता दिखाए और उसकी ओर लोगों को बुलाए, वह इसका अधिक योग्य है कि उसका अनुसरण किया जाए या कि तुम्हारे वे पूज्य जो स्वयं ही मार्ग नहीं पाते, जबतक कि कोई दूसरा उन्हें मार्ग न दिखा देॽ! फिर तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे व्यर्थ फ़ैसले करते हो, जब यह दावा करते हो कि वे अल्लाह के साझीदार हैंॽ! अल्लाह तुम्हारे कथन से बहुत ऊँचा है।
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وَمَا یَتَّبِعُ اَكْثَرُهُمْ اِلَّا ظَنًّا ؕ— اِنَّ الظَّنَّ لَا یُغْنِیْ مِنَ الْحَقِّ شَیْـًٔا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِمَا یَفْعَلُوْنَ ۟
बहुदेववादियों में से अधिकांश लोग केवल उसी का अनुसरण करते हैं जिसका उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। वे केवल भ्रम और संशय का पालन करते हैं। निश्चय संशय न तो ज्ञान का स्थान ले सकता और न ही उससे बेनियाज़ कर सकता है। वे जो कुछ कर रहे हैं, अल्लाह उसे भली-भाँति जानने वाला है। उनके कार्यों में से कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है और वह जल्द ही उन्हें उसका बदला देगा।
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وَمَا كَانَ هٰذَا الْقُرْاٰنُ اَنْ یُّفْتَرٰی مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ تَصْدِیْقَ الَّذِیْ بَیْنَ یَدَیْهِ وَتَفْصِیْلَ الْكِتٰبِ لَا رَیْبَ فِیْهِ مِنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟۫
यह क़ुरआन कोई ऐसी किताब नहीं है कि उसे गढ़ लिया जाए और अल्लाह के अलावा किसी और की ओर मंसूब कर दिया जाए, क्योंकि लोग निश्चित रूप से इस क़ुरआन जैसी किताब लाने में असमर्थ हैं। बल्कि यह क़ुरआन उससे पहले उतरने वाली किताबों की पुष्टि करने वाला तथा उन पुस्तकों में सार रूप से वर्णन किए गए अहकाम का विवरण प्रस्तुत करने वाला है। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सभी प्राणियों के पालनहार सर्वशक्तिमान (अल्लाह) की ओर से उतारा गया है।
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اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ فَاْتُوْا بِسُوْرَةٍ مِّثْلِهٖ وَادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
बल्कि, क्या ये बहुदेववादी कहते हैं : मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस क़ुरआन को अपनी तरफ़ से गढ़ लिया है और उसे अल्लाह की तरफ़ मंसूब कर दिया है? (ऐ रसूल!) आप उनका खंडन करते हुए कह दें : यदि (तुम्हारे कहने के अनुसार) मैं इसे अपनी तरफ़ से गढ़कर लाया हूँ, जबकि मैं तुम्हारे ही जैसा एक इनसान हूँ, तो तुम इसके समान एक सूरत ही ले आओ और अपनी सहायता के लिए जिसे बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि क़ुरआन मनगढ़ंत और झूठा है। सच्चाई यह है कि तुम ऐसा कभी नहीं कर पाओगे। यदि तुम भाषाविद तथा वाक्पटु होने के बावजूद ऐसा नहीं कर सकते, तो यह इस बात का प्रमाण है कि क़ुरआन अल्लाह की ओर से उतरने वाली पुस्तक है।
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بَلْ كَذَّبُوْا بِمَا لَمْ یُحِیْطُوْا بِعِلْمِهٖ وَلَمَّا یَاْتِهِمْ تَاْوِیْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظّٰلِمِیْنَ ۟
उन्होंने क़ुरआन को नहीं माना, बल्कि उसको समझने और उसमें मनन-चिंतन करने से पहले ही तथा जिस यातना से उन्हें डराया गया था उसके आने से पूर्व ही उन्होंने इस क़ुरआन को झुठलाने में जल्दी दिखाई, जबकि उस यातना के आने का समय क़रीब हो चुका था। इनके झुठलाने ही की तरह, पिछले समुदायों ने भी झुठलाया था, जिसके कारण उन्हें यातनाओं का सामना करना पड़ा। अतः (ऐ रसूल!) आप सोचें कि उन झुठलाने वाले समुदायों का अंत कैसा रहा? निश्चित रूप से अल्लाह ने उन्हें नष्ट कर दिया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یُّؤْمِنُ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ لَّا یُؤْمِنُ بِهٖ ؕ— وَرَبُّكَ اَعْلَمُ بِالْمُفْسِدِیْنَ ۟۠
बहुदेववादियों में से कुछ लोग अपनी मृत्यु से पहले क़ुरआन पर ईमान ले आएँगे और कुछ लोग अपने हठ और अहंकार के कारण मरते दम तक इसपर ईमान नहीं लाएँगे। (ऐ रसूल!) आपका पालनहार कुफ़्र पर जमे रहने वालों को सबसे ज़्यादा जानने वाला है और उन्हें उनके कुफ़्र का बदला देगा।
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وَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ لِّیْ عَمَلِیْ وَلَكُمْ عَمَلُكُمْ ۚ— اَنْتُمْ بَرِیْٓـُٔوْنَ مِمَّاۤ اَعْمَلُ وَاَنَا بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
यदि (ऐ रसूल!) आपकी क़ौम के लोग आपको झुठलाएँ, तो उनसे कह दें : मेरे लिए मेरे कर्म का सवाब है और मुझे ही अपने कर्म की ज़िम्मेदारी उठानी है और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म का सवाब है और तुम्हें ही उसका दंड झेलना है। जो कुछ मैं कर रहा हूँ उसके दंड से तुम बरी हो और जो कुछ तुम कर रहे हो उसके दंड से मैं बरी हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُوْنَ اِلَیْكَ ؕ— اَفَاَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ وَلَوْ كَانُوْا لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
बहुदेववादियों में से कुछ लोग ऐसे हैं कि जब आप क़ुरआन पढ़ते हैं, तो वे (ऐ रसूल!) आपकी ओर कान लगा लेते हैं, परंतु मानने और पालन करने के उद्देश्य से नहीं। तो क्या आप उन लोगों को सुना सकते हैं, जिनसे सुनने की शक्ति छीन ली गई है?! इसी प्रकार आप इन लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखा सकते, जो सत्य को सुनने से बहरे हैं। अतः वे उसे समझते नहीं हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• الهادي إلى الحق هداية التوفيق هو الله وحده دون ما سواه.
• सत्य की ओर मार्गदर्शन की तौफीक़ प्रदान करने वाला एकमात्र अल्लाह है, उसके सिवा कोई और नहीं।

• الحث على تطلب الأدلة والبراهين والهدايات للوصول للعلم والحق وترك الوهم والظن.
• ज्ञान और सत्य तक पहुँचने के लिए साक्ष्यों एवं प्रमाणों तथा मार्गदर्शन तलब करने और भ्रम तथा अनुमान को त्यागने का आग्रह करना।

• ليس في مقدور أحد أن يأتي ولو بآية مثل القرآن الكريم إلى يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन तक कोई भी व्यक्ति क़ुरआन की तरह एक आयत भी नहीं ला सकता।

• سفه المشركين وتكذيبهم بما لم يفهموه ويتدبروه.
• बहुदेववादियों की मूर्खता और उनका उस चीज़ को झुठलाना, जो उनकी समझ में नहीं आई और जिसपर उन्होंने सोच-विचार नहीं किया।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߦߣߎߛߊ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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