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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߤߎ߯ߘߎ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
فَلَمَّا جَآءَ اَمْرُنَا جَعَلْنَا عَالِیَهَا سَافِلَهَا وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهَا حِجَارَةً مِّنْ سِجِّیْلٍ ۙ۬— مَّنْضُوْدٍ ۟ۙ
फिर जब लूत की जाति को विनष्ट करने का हमारा आदेश आ गया, तो हमने उनकी बस्तियों को उठाकर पटख दिया और ऊपर-तले कर दिया और हमने उनपर लगातार सख्त मिट्टी के पत्थर बरसाए।
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مُّسَوَّمَةً عِنْدَ رَبِّكَ ؕ— وَمَا هِیَ مِنَ الظّٰلِمِیْنَ بِبَعِیْدٍ ۟۠
इन पत्थरों को एक विशेष चिह्न के साथ अल्लाह के यहाँ से चिह्नित किया गया था। और ये पत्थर कुरैश और अन्य अत्याचारियों से कुछ दूर नहीं हैं। बल्कि वे निकट ही हैं, जब भी अल्लाह उन्हें उनपर बरसाने का फ़ैसला करेगा, बरस पड़ेंगे।
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وَاِلٰی مَدْیَنَ اَخَاهُمْ شُعَیْبًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— وَلَا تَنْقُصُوا الْمِكْیَالَ وَالْمِیْزَانَ اِنِّیْۤ اَرٰىكُمْ بِخَیْرٍ وَّاِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ مُّحِیْطٍ ۟
और हमने मदयन की ओर उनके भाई शुऐब को भेजा। उन्होंने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अकेले अल्लाह की इबादत करो। उसके अलावा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं जो इबादत का हक़दार हो। तथा जब लोगों को नाप या तौलकर कुछ दो, तो उसमें कमी न करो। मैं तुम्हें विस्तृत आजीविका और नेमत में देख रहा हूँ। इसलिए पाप करके अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को मत बदलो। मैं तुमपर उस घेरने वाले दिन की यातना से डरता हूँ, जो तुम में से हर एक को पकड़ लेगी, तुम्हें उससे भागने या शरण लेने का स्थान नहीं मिलेगा।
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وَیٰقَوْمِ اَوْفُوا الْمِكْیَالَ وَالْمِیْزَانَ بِالْقِسْطِ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟
और ऐ मेरी जाति के लोगो! जब तुम किसी को नाप-तौलकर कुछ दो, तो न्याय के साथ पूरा-पूरा नापो और तौलो। तथा नाप-तौल में कमी, धोखाधड़ी और चालबाज़ी से लोगों के हुक़ूक़ में कमी न करो। और धरती में हत्या और अन्य गुनाहों से बिगाड़ मत फैलाओ।
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بَقِیَّتُ اللّٰهِ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۚ۬— وَمَاۤ اَنَا عَلَیْكُمْ بِحَفِیْظٍ ۟
अल्लाह की हलाल बचत, जो वह लोगों को उनके अधिकार न्याय के साथ देने के बाद तुम्हारे लिए बाक़ी रखता है, नाप-तौल में कमी और धरती में बिगाड़ पैदा करने के द्वारा प्राप्त वृद्धि से अधिक लाभदायक और बरकत वाली है। यदि तुम सचमुच मोमिन हो, तो उस बचत से खुश रहो। और मैं तुमपर संरक्षक नहीं हूँँ कि तुम्हारे कार्यों की गिनती रखूँ और उनपर तुम्हारी पकड़ करूँ। उसपर संरक्षक तो वही है, जिसके पास भेदों और कानाफूसियों का ज्ञान है।
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قَالُوْا یٰشُعَیْبُ اَصَلٰوتُكَ تَاْمُرُكَ اَنْ نَّتْرُكَ مَا یَعْبُدُ اٰبَآؤُنَاۤ اَوْ اَنْ نَّفْعَلَ فِیْۤ اَمْوَالِنَا مَا نَشٰٓؤُا ؕ— اِنَّكَ لَاَنْتَ الْحَلِیْمُ الرَّشِیْدُ ۟
शुऐब की जाति के लोगों ने शुऐब से कहा : ऐ शुऐब! क्या तेरी नमाज़ जो तू अल्लाह के लिए पढ़ता है, तुझे यह आदेश देती है कि हम उन मूर्तियों की पूजा छोड़ दें, जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा किया करते थे। और तुम्हें यह आदेश देती है कि हम अपने धन का जैसे चाहें उपयोग न करें और जैसे चाहें उसे विकसित न करें?! वास्तव में, तुम बहुत सहनशील और भले आदमी हो। क्योंकि हम तुम्हें इस निमंत्रण से पूर्व समझदार और बुद्धिमान जानते थे, फिर तुम्हें क्या हुआ?!
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قَالَ یٰقَوْمِ اَرَءَیْتُمْ اِنْ كُنْتُ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّیْ وَرَزَقَنِیْ مِنْهُ رِزْقًا حَسَنًا ؕ— وَمَاۤ اُرِیْدُ اَنْ اُخَالِفَكُمْ اِلٰی مَاۤ اَنْهٰىكُمْ عَنْهُ ؕ— اِنْ اُرِیْدُ اِلَّا الْاِصْلَاحَ مَا اسْتَطَعْتُ ؕ— وَمَا تَوْفِیْقِیْۤ اِلَّا بِاللّٰهِ ؕ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَیْهِ اُنِیْبُ ۟
शुऐब ने अपनी जाति के लोगों से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम मुझे ज़रा यह बताओ, यदि मैं अपने पालनहार की ओर से स्पष्ट प्रमाण तथा दूरदर्शिता पर हूँ और उसने अपनी ओर से मुझे हलाल रोज़ी भी दे रखी है और नुबुव्वत प्रदान की है, तो तुम्हारा हाल क्या होगा। मेरा उद्देश्य यह नहीं है कि मैं तुम्हें किसी चीज़ से रोकूँ और तुम्हारी मुखालफत करते हुए स्वयं वही काम करूँ। मेरा उद्देश्य केवल यह है कि तुम्हें अपने पालनहार की तौहीद की ओर बुलाकर और शक्ति भर उसका आज्ञापालन करके तुम्हारा सुधार करूँ। और मुझे इसका सामर्थ्य प्रदान करने वाला केवल अल्लाह महिमावान है। मैं अपने सभी कामों में अकेले उसी पर भरोसा करता हूँ और उसी की ओर लौटता हूँ।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من سنن الله إهلاك الظالمين بأشد العقوبات وأفظعها.
• अल्लाह के नियमों में से अत्याचारियों को सबसे गंभीर और कठोर दंड के साथ नष्ट करना है।

• حرمة نقص الكيل والوزن وبخس الناس حقوقهم.
• नाप-तौल में कमी करने और लोगों को उनके अधिकार कम देने का निषेध।

• وجوب الرضا بالحلال وإن قل.
• हलाल से संतुष्ट होने की अनिवार्यता, भले ही वह कम हो।

• فضل الأمر بالمعروف والنهي عن المنكر، ووجوب العمل بما يأمر الله به، والانتهاء عما ينهى عنه.
• भली बात का आदेश देने तथा बुराई से रोकने का महत्व और अल्लाह के आदेश पर चलने और उसकी मनाही से रुकने की अनिवार्यता।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߤߎ߯ߘߎ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲