पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद सूरः: सूरतु अबस   श्लोक:

सूरा अ़बस

عَبَسَ وَتَوَلّٰۤی ۟ۙ
उस (नबी) ने त्योरी चढ़ाई और मुँह फेर लिया।
अरबी व्याख्याहरू:
اَنْ جَآءَهُ الْاَعْمٰى ۟ؕ
इस कारण कि उनके पास अंधा आया।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَا یُدْرِیْكَ لَعَلَّهٗ یَزَّ ۟ۙ
और आपको क्या मालूम शायद वह पवित्रता प्राप्त कर ले।
अरबी व्याख्याहरू:
اَوْ یَذَّكَّرُ فَتَنْفَعَهُ الذِّكْرٰى ۟ؕ
या नसीहत ग्रहण करे, तो वह नसीहत उसे लाभ दे।
अरबी व्याख्याहरू:
اَمَّا مَنِ اسْتَغْنٰى ۟ۙ
लेकिन जो बेपरवाह हो गया।
अरबी व्याख्याहरू:
فَاَنْتَ لَهٗ تَصَدّٰى ۟ؕ
तो आप उसके पीछे पड़ रहे हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَا عَلَیْكَ اَلَّا یَزَّكّٰى ۟ؕ
हालाँकि आपपर कोई दोष नहीं कि वह पवित्रता ग्रहण नहीं करता।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاَمَّا مَنْ جَآءَكَ یَسْعٰى ۟ۙ
लेकिन जो व्यक्ति आपके पास दौड़ता हुआ आया।
अरबी व्याख्याहरू:
وَهُوَ یَخْشٰى ۟ۙ
और वह डर (भी) रहा है।
अरबी व्याख्याहरू:
فَاَنْتَ عَنْهُ تَلَهّٰى ۟ۚ
तो आप उसकी ओर ध्यान नहीं देते।[1]
1. (1-10) भावार्थ यह है कि सत्य के प्रचारक का यह कर्तव्य है कि जो सत्य की खोज में हो, भले ही वह दरिद्र हो, उसी के सुधार पर ध्यान दे। और जो अभिमान के कारण सत्य की परवाह नहीं करते उनके पीछे समय न गवाँए। आपका यह दायित्व भी नहीं है कि उन्हें अपनी बात मनवा दें।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّاۤ اِنَّهَا تَذْكِرَةٌ ۟ۚ
ऐसा हरगिज़ नहीं चाहिए, यह (क़ुरआन) तो एक उपदेश है।
अरबी व्याख्याहरू:
فَمَنْ شَآءَ ذَكَرَهٗ ۟ۘ
अतः जो चाहे, उसे याद करे।
अरबी व्याख्याहरू:
فِیْ صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍ ۟ۙ
(यह क़ुरआन) सम्मानित सहीफ़ों (ग्रंथों) में है।
अरबी व्याख्याहरू:
مَّرْفُوْعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ ۟ۙ
जो उच्च स्थान वाले तथा पवित्र हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
بِاَیْدِیْ سَفَرَةٍ ۟ۙ
ऐसे लिखने वालों (फ़रिश्तों) के हाथों में हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
كِرَامٍ بَرَرَةٍ ۟ؕ
जो माननीय और नेक हैं।[2]
2. (11-16) इनमें क़ुरआन की महानता को बताया गया है कि यह एक स्मृति (याद दहानी) है। किसी पर थोपने के लिए नहीं आया है। बल्कि वह तो फ़रिश्तों के हाथों में स्वर्ग में एक पवित्र शास्त्र के अंदर सुरक्षित है। और वहीं से वह (क़ुरआन) इस संसार में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारा जा रहा है।
अरबी व्याख्याहरू:
قُتِلَ الْاِنْسَانُ مَاۤ اَكْفَرَهٗ ۟ؕ
सर्वनाश हो मनुष्य का, वह कितना कृतघ्न (नाशुक्रा) है।
अरबी व्याख्याहरू:
مِنْ اَیِّ شَیْءٍ خَلَقَهٗ ۟ؕ
(अल्लाह ने) उसे किस चीज़ से पैदा किया?
अरबी व्याख्याहरू:
مِنْ نُّطْفَةٍ ؕ— خَلَقَهٗ فَقَدَّرَهٗ ۟ۙ
एक नुत्फ़े (वीर्य) से उसे पैदा किया, फिर विभिन्न चरणों में उसकी रचना की।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ السَّبِیْلَ یَسَّرَهٗ ۟ۙ
फिर उसके लिए रास्ता आसान कर दिया।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ اَمَاتَهٗ فَاَقْبَرَهٗ ۟ۙ
फिर उसे मृत्यु दी, फिर उसे क़ब्र में रखवाया।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ اِذَا شَآءَ اَنْشَرَهٗ ۟ؕ
फिर जब वह चाहेगा, उसे उठाएगा।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّا لَمَّا یَقْضِ مَاۤ اَمَرَهٗ ۟ؕ
हरगिज़ नहीं, अभी तक उसने उसे पूरा नहीं किया, जिसका अल्लाह ने उसे आदेश दिया था।[3]
3. (17-23) तक विश्वासहीनों पर धिक्कार है कि यदि वे अपने अस्तित्व पर विचार करें कि हमने कितनी तुच्छ वीर्य की बूँद से उसकी रचना की तथा अपनी दया से उसे चेतना और समझ दी। परंतु इन सब उपकारों को भूलकर कृतघ्न बना हुआ है, और उपासना अन्य की करता है।
अरबी व्याख्याहरू:
فَلْیَنْظُرِ الْاِنْسَانُ اِلٰى طَعَامِهٖۤ ۟ۙ
अतः इनसान को चाहिए कि अपने भोजन को देखे।
अरबी व्याख्याहरू:
اَنَّا صَبَبْنَا الْمَآءَ صَبًّا ۟ۙ
कि हमने ख़ूब पानी बरसाया।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ شَقَقْنَا الْاَرْضَ شَقًّا ۟ۙ
फिर हमने धरती को विशेष रूप से फाड़ा।
अरबी व्याख्याहरू:
فَاَنْۢبَتْنَا فِیْهَا حَبًّا ۟ۙ
फिर हमने उसमें अनाज उगाया।
अरबी व्याख्याहरू:
وَّعِنَبًا وَّقَضْبًا ۟ۙ
तथा अंगूर और (मवेशियों का) चारा।
अरबी व्याख्याहरू:
وَّزَیْتُوْنًا وَّنَخْلًا ۟ۙ
तथा ज़ैतून और खजूर के पेड़।
अरबी व्याख्याहरू:
وَّحَدَآىِٕقَ غُلْبًا ۟ۙ
तथा घने बाग़।
अरबी व्याख्याहरू:
وَّفَاكِهَةً وَّاَبًّا ۟ۙ
तथा फल और चारा।
अरबी व्याख्याहरू:
مَّتَاعًا لَّكُمْ وَلِاَنْعَامِكُمْ ۟ؕ
तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे पशुओं के लिए जीवन-सामग्री के रूप में।[4]
4. (24-32) इन आयतों में इनसान के जीवन साधनों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो अल्लाह की अपार दया की परिचायक हैं। अतः जब सारी व्यवस्था वही करता है, तो फिर उसके इन उपकारों पर इनसान के लिए उचित था कि उसी की बात माने और उसी के आदेशों का पालन करे जो क़ुरआन के माध्यम से अंतिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्म) द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। (दावतुल क़ुरआन)
अरबी व्याख्याहरू:
فَاِذَا جَآءَتِ الصَّآخَّةُ ۟ؗ
तो जब कानों को बहरा कर देने वाली प्रचंड आवाज़ (क़ियामत) आ जाएगी।
अरबी व्याख्याहरू:
یَوْمَ یَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ اَخِیْهِ ۟ۙ
जिस दिन इनसान अपने भाई से भागेगा।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاُمِّهٖ وَاَبِیْهِ ۟ۙ
तथा अपनी माता और अपने पिता (से)।
अरबी व्याख्याहरू:
وَصَاحِبَتِهٖ وَبَنِیْهِ ۟ؕ
तथा अपनी पत्नी और अपने बेटों से।
अरबी व्याख्याहरू:
لِكُلِّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ یَوْمَىِٕذٍ شَاْنٌ یُّغْنِیْهِ ۟ؕ
उस दिन उनमें से प्रत्येक व्यक्ति की ऐसी स्थिति होगी, जो उसे (दूसरों से) बेपरवाह कर देगी।
अरबी व्याख्याहरू:
وُجُوْهٌ یَّوْمَىِٕذٍ مُّسْفِرَةٌ ۟ۙ
उस दिन कुछ चेहरे रौशन होंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
ضَاحِكَةٌ مُّسْتَبْشِرَةٌ ۟ۚ
हँसते हुए, प्रसन्न होंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
وَوُجُوْهٌ یَّوْمَىِٕذٍ عَلَیْهَا غَبَرَةٌ ۟ۙ
तथा कुछ चेहरों उस दिन धूल से ग्रस्त होंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ ۟ؕ
उनपर कालिमा छाई होगी।
अरबी व्याख्याहरू:
اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ ۟۠
वही काफ़िर और कुकर्मी लोग हैं।[5]
5. (33-42) इन आयतों का भावार्थ यह है कि संसार में किसी पर कोई आपदा आती है, तो उसके अपने लोग उसकी सहायता और रक्षा करते हैं। परंतु प्रलय के दिन सबको अपनी-अपनी पड़ी होगी और उसके कर्म ही उसकी रक्षा करेंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
 
अर्थको अनुवाद सूरः: सूरतु अबस
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पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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